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ऊना में मालवाहक वाहन की सवारी, कभी भी पड़ सकती है भारी

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Published : Mar 17, 2022, 5:22 PM IST

जिला ऊना स्थित डेरा बाबा बड़भाग सिंह में चल रहे सुप्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले के साथ-साथ बाबा बालक नाथ के चैत्र मेले औरपीर निगाह मेले के दौरान आस्था के नाम पर मौत का सफर किया जा रहा (Hola Mohalla Fair in Una) है. इन मेलों में पहुंचने वाले अधिकतर श्रद्धालु मालवाहक वाहनों में सफर करके माननीय न्यायालय के आदेशों की धज्जियां तो उड़ा ही रहे (Devotees flouting orders in Una) हैं. साथ ही अपनी जिंदगी को भी दांव पर लगा रहे हैं. इस पर लगाम लगाने की बजाय सरकार और प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं.

Hola Mohalla Fair in Una
ऊना में होला मोहल्ला मेला

ऊना:माननीय हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद जिला ऊना स्थित डेरा बाबा बड़भाग सिंह में चल रहे सुप्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले के साथ-साथ बाबा बालक नाथ के चैत्र मेले और पीर निगाह मेले के दौरान आस्था के नाम पर मौत का सफर किया जा रहा (Hola Mohalla Fair in Una) है. मालवाहक वाहनों में यात्रियों को लाने व ले जाने के इस सफर पर नुकेल कसने में ऊना पुलिस नाकाम साबित हो रही है. जिला के प्रवेश बैरियरों से पुलिस की नाक तले रोजाना सैकड़ों मालवाहक वाहन श्रद्धालुओं को भरकर गुजर रहे हैं, लेकिन पुलिस अधिकारी व ट्रैफिक कर्मी इस पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.

महज कुछ सौ रुपए का जुर्माना कर मौत की इस सवारी को कानूनी मान्यता दी जा रही है. पुलिस की ढील के कारण ही दर्जनों अवैध वाहन हिमाचल की सीमा में आकर पहाड़ी सफर कर रहे हैं, जिससे हर समय दुर्घटना का अंदेशा बना रहता (Devotees flouting orders in Una) है. हैरानी यह है कि ट्रकों व ट्रालियों में लकड़ी के फट्टे लगाकर इनको डबल डेक्कर बनाया जा रहा है और इसमें श्रद्धालुओं को भेड़-बकरियों की तरह भरा जा रहा है.

ऊना में होला मोहल्ला मेला

एक-एक गाड़ी में 50 से 80 के बीच श्रद्धालु जान हथेली पर रखकर मौत का यह सफर कर रहे हैं. हर बार दावे करने के बावजूद प्रशासन सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ने का काम कर रहा है. प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटने के लिए शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है. जब इस बारे एसपी ऊना अर्जितसेन ठाकुर से बात की गई तो उनसे वो ही रट्टा रटाया जबाब मिला की पुलिस ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर (SP Una on Hola Mohalla Fair) रही है.

वहीं, इस गंभीर मुद्दे पर बुद्धिजीवी लोग मानते हैं कि प्रशासन को ऐसे कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसे वाहन चलाने वाले ट्रांसपोर्टरों और ड्राइवर को एक कड़ा संदेश जाए और वो इस तरह से सफर करने से पहले सौ बार सोचे. इन सफरों के तहत जा रही जिंदगियों के लिए भी ये बुद्धिजीवी पूरी तरह से प्रशासन को ही जिम्मेवार मानते हैं.

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