शिमला: हिमाचल प्रदेश में 2017 का विधानसभा चुनाव (BJP prepared for assembly elections) कई मायनों में अचरज भरा रहा. चुनाव में बहुत से दिग्गज हार गए और हिमाचल में एक नए सियासी युग की शुरुआत हुई. भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और हाईकमान ने जयराम ठाकुर को हिमाचल का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया. वर्ष 2017 का चुनाव कई मायनों में रोचक रहा. भाजपा के सीएम फेस और दो बार के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, कांग्रेस के बड़े नेता जीएस बाली, कौल सिंह, ठाकुर सिंह भरमौरी, गंगूराम मुसाफिर चुनाव हार गए. दशकों तक कांग्रेस की राजनीति में अहम चेहरा रही विद्या स्टोक्स तो चुनावी मैदान से ही बाहर हो गईं. भाजपा ने चुनाव जीता और जयराम ठाकुर सीएम बने. उनके मंत्रिमंडल में अधिकांश कैबिनेट मंत्री छात्र राजनीति से चुनावी राजनीति में आए थे. अब जयराम सरकार चार साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है. ऐसे मौके पर हिमाचल में भाजपा सरकार के अब तक के कार्यकाल, आगामी चुनौतियों और प्रदेश के सियासी घटनाक्रम पर चर्चा करना रोचक रहेगा.
हिमाचल प्रदेश में 10 नवंबर 2017 को मतदान हुआ. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तब मतदान के सारे रिकॉर्ड टूट गए थे. प्रदेश में 74.64 फीसदी मतदान दर्ज हुआ. जिला सिरमौर नाम का ही नहीं, बल्कि मतदान का भी सिरमौर साबित हुआ. सिरमौर जिला में 81.05 फीसदी मतदान हुआ था. सबसे साक्षर जिलों में शुमार हमीरपुर जिला कम मतदान वाला जिला रहा. हमीरपुर में 70.19 फीसदी मतदान हुआ. निर्वाचन विभाग के अनुसार 2017 का मतदान प्रतिशत हिमाचल के चुनाव में अब तक के मतदान प्रतिशत में सबसे अधिक था. इससे पहले वर्ष 2003 के चुनाव में 74.51 फीसदी मतदान हुआ था. हिमाचल में 18 दिसंबर 2017 को मतगणना हुई. चुनावी परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे. वर्ष 2017 में भाजपा ने हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 44 सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस को 21 सीटें मिलीं. एक सीट माकपा नेता राकेश सिंघा ने जीती. दो निर्दलीय विजयी हुए.
कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव फजीहत का सबब बने. लोकसभा की चारों सीटों के तहत सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को बढ़त मिली. कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा को 72 फीसदी मत मिले. ये देश भर का रिकॉर्ड रहा. किशन कपूर की जीत का अंतर 4 लाख 77 हजार, 623 मतों का रहा. इसी तरह मंडी से रामस्वरूप भी चार लाख से अधिक मतों के अंतर से जीते. अनुराग ठाकुर को हमीरपुर सीट पर छह लाख 82 हजार 692 मत पड़े. शिमला से सुरेश कश्यप भी छह लाख से अधिक मत हासिल करने में कामयाब रहे. भाजपा को कुल मतों का 70 फीसदी हिस्सा पड़ा. हिमाचल के इतिहास में ऐसी जीत किसी दल को नहीं मिली थी, लेकिन समय गुजरने के साथ ही भाजपा की राह भी कठिन होना शुरू हो गई. प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे चार निगमों के चुनाव में कांग्रेस ने सोलन व पालमपुर में बड़ी जीत दर्ज की. धर्मशाला में हालांकि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला लेकिन आखिर में भाजपा ने नगर निगम पर कब्जा कर लिया. इन चुनावों में केवल मंडी में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की और कांग्रेस को बड़े अंतर से पीछे छोड़ा.
प्रदेश में 43 सीटों पर भाग्य आजमाने उतरी आम आदमी पार्टी का एक भी प्रत्याशी जीत दर्ज करने में सफल नहीं हो सका. इसके अलावा छह नगर पंचायतों में नतीजे भी भाजपा के पक्ष में रहे. भाजपा ने आनी, कंडाघाट, अम्ब, निरमंड में जीत दर्ज की. नेरवा में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है, जबकि चिडग़ांव में कांग्रेस के हाथ बाजी लगी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में नगर निगम चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की 15 वार्डों में से 11 पर भाजपा प्रत्याशी जीते. नगर निगम धर्मशाला में भाजपा कुछ हद तक साख बचाने में कामयाब रही है. पांच सीटों पर कांग्रेस व चार पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है. पालमपुर में कांग्रेस के दुर्ग को भेदने में भाजपा सफल नहीं हो पाई. यहां 15 वार्डों में से कांग्रेस के प्रत्याशियों ने 11 सीटों पर जीत हासिल की है. भाजपा के हाथ केवल दो सीटें आईं. दो सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया.
इसके बाद तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य में बीजेपी के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को सवालों के घेरे में ला दिया. मंडी संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने, जबकि विधानसभा उपचुनाव में अर्की सीट पर कांग्रेस के संजय अवस्थी, जुब्बल-कोटखाई सीट पर कांग्रेस के रोहित ठाकुर और फतेहपुर सीट पर कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की. हालांकि इन चुनावों में हिमाचल में भाजपा की सबसे बड़ी चिंता पार्टी की गुटबाजी को माना जा रहा है. जिसका जिक्र बाद में पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी परोक्ष रूप से किया. खींचतान की वजह से उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई से चेतन बरागटा को पार्टी टिकट नहीं मिला. बीजेपी ने बरागटा की जगह जिस महिला नेत्री नीलम सरैइक को टिकट दिया, उन्हें महज 2644 वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई. चार सीटों के नतीजे आने के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने माना कि महंगाई ही भाजपा की हार की वजह रही.