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हिमाचल की राजनीति में नए दौर की कहानी, चुनावी मैदान में नहीं दिखेंगे कई दिग्गज खिलाड़ी

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Published : May 6, 2022, 9:08 AM IST

Updated : May 6, 2022, 9:41 AM IST

special story on himachal assembly election 2022
हिमाचल की राजनीति ()

हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष विधासभा चुनाव (himachal assembly election 2022) होने हैं. हिमाचल की राजनीति में दशकों तक अपनी चमक बिखेरने वाले कई बड़े नेता इस बार चुनाव में नजर नहीं आएंगे. पांच दशक से भी अधिक समय तक हिमाचल की राजनीति को अपने ही तरीके से प्रभावित करने वाले वीरभद्र सिंह (former cm virbhadra singh) का विगत वर्ष निधन हो गया था. वे अर्की सीट से चुनाव जीते थे. कुछ दिग्गज नेता इस बार सियासी पिक्चर में नहीं होंगे. वे इस संसार को छोड़ चुके हैं. कांग्रेस में तो बिल्कुल ही नया माहौल होगा. अलबत्ता भाजपा के मिशन रिपीट के कामयाब होने की सूरत में जयराम ठाकुर ही सीएम बनेंगे, जैसा कि हाईकमान के संकेत हैं.

शिमला: हिमाचल की राजनीति में दशकों तक अपनी चमक बिखेरने वाले कई सितारे इस बार की चुनावी फिल्म के पर्दे पर ( himachal assembly election 2022) नजर नहीं आएंगे. सबसे बड़े चेहरे के तौर पर कांग्रेस की राजनीति के किंग वीरभद्र सिंह अब देहरूप में नहीं हैं. पांच दशक से भी अधिक समय तक हिमाचल की राजनीति को अपने ही तरीके से प्रभावित करने वाले वीरभद्र सिंह (former cm virbhadra singh) का विगत वर्ष निधन हो गया था. वे अर्की सीट से चुनाव जीते थे. इसी तरह कांगड़ा से कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता जीएस बाली भी अब संसार में नहीं हैं. वे कांग्रेस सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे हैं. कांगड़ा जिला के ही एक अन्य नेता सुजान सिंह पठानिया (sujan singh pathania) का भी निधन हो चुका है. ऊपरी शिमला में भाजपा को स्थापित करने वाले नेता नरेंद्र बरागटा का भी देहांत हो चुका है. ये सभी अब हिमाचल की राजनीति में स्मृतियों में हैं.

वहीं, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स (senior congress leader vidya stokes) स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पिछली बार भी चुनाव नहीं लड़ी थीं. इस बार भी वे चुनावी मैदान में नहीं होंगी. भाजपा का सियासी सूरमा और पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल (former cm prem kumar dhumal) के भी चुनाव लड़ने पर संशय है. कारण ये है कि भाजपा में एक खास उम्र की सीमा पार कर चुके नेताओं को टिकट नहीं दिया जाता. इसी कड़ी में भाजपा के कई और नेता भी शामिल होंगे. भाजपा के ही प्रभावशाली नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रेम कुमार धूमल के समधी गुलाब सिंह ठाकुर भी चुनावी मैदान में नजर नहीं आएंगे. इस तरह कई दिग्गज नेता इस बार चुनावी मैदान में नहीं दिखेंगे. ये ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें चुनावी राजनीति में देखने की हिमाचल की जनता को आदत सी हो गई थी.

विद्या स्टोक्स, कांग्रेस नेता

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हिमाचल की राजनीति से जुड़ा एक और पहलू भी है. वर्ष 2017 के चुनाव में हिमाचल की राजनीति में जनता ने कई दिग्गज नेताओं को जमीन सुंघाई है. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, पूर्व भाजपा हिमाचल की राजनीति (himachal politics) से जुड़ा एक और पहलू भी है. वर्ष 2017 के चुनाव में हिमाचल की राजनीति में जनता ने कई दिग्गज नेताओं को जमीन सुंघाई है. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, पूर्व भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती (former bjp president satpal singh satti), पूर्व मंत्री रविंद्र रवि, कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल जीएस बाली, कौल सिंह ठाकुर, गंगूराम मुसाफिर, ठाकुर सिंह भरमौरी, सुधीर शर्मा आदि चुनाव हार गए थे. सबसे अप्रत्याशित हार प्रेम कुमार धूमल की रही. उनके हारने के बाद ही भाजपा (himachal pradesh bjp) में जयराम राज का आरंभ हुआ. अब प्रेम कुमार धूमल एक तरह से मार्गदर्शक की भूमिका में हैं.

प्रेम कुमार धूमल, पूर्व सीएम

छात्र राजनीति से निकले नेताओं के हाथ में आई सत्ता: हिमाचल की राजनीति में नए दौर की खास बात छात्र राजनीति से निकले नेताओं के रूप में है. भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री सहित कई कैबिनेट मंत्री छात्र राजनीति की देन हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (himachal cm jairam thakur) ने अपने सियासी सफर की बुनियाद छात्र राजनेता के तौर पर रख दी थी. भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (akhil bharatiya vidyarthi parishad) के कार्यकर्ता से शुरू हुआ उनका सफर राज्य के सीएम के रूप में ऊंचाई पर पहुंचा है.

जयराम ठाकुर, सीएम, हिमाचल प्रदेश

सरकार में इस समय सुरेश भारद्वाज, राजीव सैजल, गोविंद ठाकुर, वीरेंद्र कंवर और बिक्रम ठाकुर छात्र राजनीति की देन हैं. विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार भी छात्र राजनीति की पौध हैं. सुरेश भारद्वाज व विपिन परमार (himachal assembly speaker vipin parmar) तो एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. गोविंद ठाकुर व बिक्रम सिंह ठाकुर सहित डॉ. राजीव सैजल भी छात्र नेता रहे हैं. इसी तरह कांग्रेस में सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने छात्र राजनीति में खूब नाम कमाया है.

चुनाव कोई भी जीते, युग नया ही होगा:हिमाचल में यदि भाजपा मिशन रिपीट (himachal bjp mission repeat) में कामयाब हो जाती है तो पार्टी हाईकमान के फैसले के अनुरूप जयराम ठाकुर ही सीएम होंगे. वहीं, कांग्रेस सत्ता में आती है तो उनकी तरफ से जो भी नेता सीएम बनेगा, वो नया नाम ही होगा. कारण ये ही कि वीरभद्र सिंह के रहते हुए कोई भी नेता कांग्रेस में सीएम बनने की सोच भी नहीं सकता था. ऐसे में चुनाव कोई भी जीते, हिमाचल की राजनीति में सियासी युग नया ही कहा जाएगा. कांग्रेस में सीएम के पद को लेकर सबसे अधिक महत्वाकांक्षा कौल सिंह ठाकुर (hp congress leader kaul singh thakur) की रही है.

कौल सिंह ठाकुर, कांग्रेस नेता

सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी सशक्त दावेदार हैं और मुकेश अग्निहोत्री भी. आशा कुमारी की दावेदारी भी कोई कम नहीं है. ऐसे में कांग्रेस के चुनाव जीतने की स्थिति में सीएम पद पर एकराय बनाना चुनौती होगी. वरिष्ठ मीडिया कर्मी संजीव शर्मा का कहना है कि इस बार का चुनाव रोचक होगा. तीसरे विकल्प की भी चुनाव मैदान में एंट्री हुई है. वैसे चुनाव में कोई भी जीत हासिल करे, लेकिन सियासी तस्वीर बिल्कुल नई होगी. कुछ दिग्गज नेता इस बार सियासी पिक्चर में नहीं होंगे. वे इस संसार को छोड़ चुके हैं. कांग्रेस में तो बिल्कुल ही नया माहौल होगा. अलबत्ता भाजपा के मिशन रिपीट के कामयाब होने की सूरत में जयराम ठाकुर ही सीएम बनेंगे, जैसा कि हाईकमान के संकेत हैं.

सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कांग्रेस नेता

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Last Updated :May 6, 2022, 9:41 AM IST

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