शिमला:आईजीएमसी में फ्री जेनरिक दवाइयां देने का दावा करने वाली सरकार और प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. सवाल तो यह है कि जब जेनेरिक स्टोर में दवाइयां उपलब्ध नहीं करवानी थी तो इसे क्यों खोला गया? पहले प्रशासन सीधे तौर पर यह कहता था कि अभी सरकार से फंड नहीं आया है इसलिए कम दवाइयां उपलब्ध हो रही है, लेकिन जब फंड आ गया तो भी सारी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पाई हैं. अगर प्रशासन के पास फंड पड़ा हुआ है तो दवाइयां उपलब्ध ना करवाना बहुत बड़ी लापरवाही है.
इन दिनों स्थिति ऐसी बन चुकी है कि दिनभर मरीज भीड़ के बीच ओपीडी में डॉक्टर से चैकअप करवाने के लिए धक्के खा रहे होते हैं. उसके बाद उन्हें जेनेरिक स्टोर में निशुल्क दवाइयां लेने भेजा जाता है. वहां पर भी पहले लाइनों में खड़ा रहना पड़ता है. जब दवाइयां लेने की बारी आती है तो मरीज को साफ शब्दों में कहा जाता है कि हमारे (Shortage of medicines in generic store in IGMC) पास यह दवाइयां नहीं है. स्टोर में 330 के करीब दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए थी, लेकिन यहां पर काफी कम दवाइयां बताई जा रही हैं. यहां पर मरीजों को गुमराह किया जा रहा है.
प्रशासन तो यह भी तय नहीं कर पा रहा है कि उनके पास कितनी (free medicine dispensary igmc shimla) दवाइयां उपलब्ध है. आखिर दवाइयां उपलब्ध क्यों नहीं हो पा रही है इसको लेकर उचित जांच होनी चाहिए. आईजीएमसी में प्रदेश के कोने- कोने से लोग अपना उपचार करवाने आते है. लेकिन जब उन्हें यहां सुविधाएं ही नहीं मिलेगी तो उनकी समस्या भी बढ़ जाएगी. मरीजों के साथ हो रहा ये खिलवाड़ बंद होना चाहिए और जेनेरिक स्टोर में पर्याप्त दवाइयों की उपलब्धता होनी चाहिए.
स्टोर में तैनात स्टाफ की बढ़ी मुश्किलें:दवाइयां ना होने से जेनेरिक स्टोर में तैनात स्टाफ की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जब उनके पास दवाइयां ही उपलब्ध नहीं है, तो उन्हें भी मरीज बार-बार कहते हैं की दवाइयां क्यों नहीं मिल रही है. वहीं, स्टाफ भी अब फ्री हो गया है. इनका काम भी कुछ नहीं है. हालांकि यहां पर स्टाफ की तो गलती नहीं है. दवाइयां उपलब्ध करवाना उनका काम नहीं है. इसकी तरफ तो प्रशासन व सरकार को ध्यान देना चाहिए.