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एमसी शिमला के पांच वार्डों के डी-लिमिटेशन से जुड़े मामले में फैसला सुरक्षित, हाईकोर्ट ने सुने दोनों पक्ष

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Published : Sep 21, 2022, 9:54 PM IST

एमसी शिमला के पांच वार्डों के डी-लिमिटेशन

प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला चुनाव को लेकर पांच वार्डों के पुन: सीमांकन से जुड़े मामले (Case of Delimitation of wards of MC Shimla) में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में न्यायालय ने पहले ही राज्य सरकार, मंडलीय आयुक्त, उपायुक्त शिमला व राज्य चुनाव आयोग से जवाब तलब किया था. पढ़ें पूरी खबर...

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High court) ने नगर निगम शिमला चुनाव को लेकर पांच वार्डों के पुन: सीमांकन से जुड़े मामले (Case of Delimitation of wards of MC Shimla) में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने मामले पर दोनों पक्षकारों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इस मामले में न्यायालय ने पहले ही राज्य सरकार, मंडलीय आयुक्त, उपायुक्त शिमला व राज्य चुनाव आयोग से जवाब तलब किया था.

याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार नगर निगम शिमला के तहत पांच वार्डों यथा नाभा, फागली, टूटीकंडी समरहिल व बालूगंज का पुन: सीमांकन मनमाने तरीके से किया गया है. फागली व टूटी कंडी वार्ड के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नाभा वार्ड के क्षेत्र को बिल्कुल कम कर दिया गया. पहले की अपेक्षा अब नाभा वार्ड आधा रह गया. फागली वार्ड को इतना बड़ा कर दिया कि नगर निगम के सभी वार्डों की अपेक्षा फागली वार्ड का क्षेत्र अधिक हो गया है.

इसके अलावा बालूगंज वार्ड का वह क्षेत्र भी समरहिल में मिला दिया गया जो कि बालूगंज के नाम से ही जाना जाता है. याचिकाकर्ता का यह आरोप है कि राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से इन वार्डों का पुन: सीमांकन किया गया है, जो कि कानून की दृष्टि से गलत है. प्रार्थी ने 24 जून 2022 व 8 जुलाई 2022 को मंडलीय आयुक्त शिमला व उपायुक्त शिमला द्वारा पारित आदेशों को रद्द करने की न्यायालय से गुहार लगाई है. फिलहाल हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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