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कुल्लू दशहरे में सजा राज परिवार की दादी माता हिडिम्बा का दरबार, मनोकामना लेकर पहुंच रहे श्रद्धालु

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Published : Oct 29, 2020, 10:03 AM IST

Updated : Oct 29, 2020, 2:26 PM IST

ये दोनों देवियां हर साल दशहरा उत्सव में भाग लेती हैं. माता हिडिम्बा काली का रूप मानी जाती हैं. ये भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने वाली हैं. जो भी इनके दरबार में सच्चे मन से मनोकामना मांगता माता उनकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं.

royal family's grandmother Hidimba arrived in Kullu Dussehra
माता हिडिम्बा.

कुल्लू: दशहरा उत्सव में भाग लेने पहुंची राज परिवार की दादी माता हिडिम्बा और नगर की अधिठात्री देवी राज परिवार की कुल देवी माता त्रिपुरा सुंदरी के अस्थायी शिविर में श्रद्धालु हर दिन माथा टेकने आ रहे हैं. पहले हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते थे. लेकिन कोरोना महामारी ने उनकी संख्या को सीमित कर दिया है.

माता हिडिम्बा का मूल स्थान मनाली डूंगरी में है, यहां पूरे विश्व से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. माता हिडिम्बा का कुल्लू के राज परिवार की दादी हैं. वहीं, माता त्रिपुरा सुंदरी नगर की अधिष्ठात्री देवी हैं. ये राजपरिवार की कुल देवी हैं.

ये दोनों देवियां हर साल दशहरा उत्सव में भाग लेती हैं. माता हिडिम्बा काली का रूप मानी जाती हैं. ये भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने वाली हैं. जो भी इनके दरबार में सच्चे मन से मनोकामना मांगता माता उनकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं.

दशहरा उत्सव में सैंकड़ों श्रद्धालू माता के पास अपने दुखों के निवारण के लिए आते हैं और माता के पुजारी और गुर के पास अपनी अर्जी डालते हैं. माता के निर्देश पर गुर और पुजारी भक्तों को उनकी मुश्किल का हल बताते हैं.

सात दिनों तक इनके शिविर में श्रद्धालुओं के लिए भोजन और प्रसाद की व्यवस्था होती है. लेकिन इस साल महामारी के चलते सूक्ष्म ढंग से किया जा रहा है. माता हिडिम्बा ने पहले दिन प्रशासन व सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा था कि देव परम्परा के साथ खिलवाड़ करने नहीं दूंगी.

गौर रहे कि माता हिडिम्बा के आगमन से ही दशहरा उत्सव शुरू होता है. सात दिन ढालपुर में अपने अस्थायी शिविर में विराजमान होकर लंका के दिन सबसे पहले लंका दहन करके अपने घर मनाली को लौट जाती है.

Last Updated : Oct 29, 2020, 2:26 PM IST

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