हमीरपुर: जिला हमीरपुर के लोकमित्र केंद्र संचालकों (LOK MITRA KENDRA HAMIRPUR) ने अपनी मांगों को लेकर विधायक हमीरपुर नरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौंपा. टाउन हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोकमित्र केंद्र संचालक उनसे मिले और अपनी व्यथा सुनाई. लोकमित्र केंद्र संचालकों को कहना है कि लोकमित्र केंद्रों में कई तरह की सेवाएं लोगों को प्रदान की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें नाममात्र दाम दिए जाते हैं. काम के दाम का 80 फीसदी हिस्सा सरकार के खाते में चला जाता है. इनके हिस्से में आने वाला नाममात्र हिस्सा नाकाफी है. पिछले 13 सालों से सेवाओं के रेट रिवाइज नहीं किए गए हैं. जो मूल्य 13 साल पहले थे, आज भी वही हैं.
ऐसे में इनके लिए इनके परिवार का पालन पोषण करना संभव नहीं है. सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए. अपनी इन्हीं मांगों को लेकर समस्त लोकमित्र संचालक सीएससीवीएल सोसाइटी हमीरपुर (Lokmitra Director CSCVL Society Hamirpur) ने ज्ञापन सौंपा है. सोसाइटी के उपप्रधान शशि पाल ने कहा कि जब कोई एक लोकमित्र केंद्र की शुरूआत करता है. उसके लिए कम से कम एक लेपटॉप, फोटोस्टेट, कलर प्रिंट, लेमिनेशन मशीन, फर्नीचर, स्टेशनरी इत्यादि की आवश्यकता होती है.
शुरूआत में ही खर्च करीब डेढ़ लाख रुपये आ जाता है. लोकमित्र केंद्र संचालक या तो खुद की दुकान में काम शुरू करता है या फिर किराए की दुकान में. दुकान का किराया भी हजारों रुपयों में भरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल ऑनलाइन सेवा से प्रमाण पत्रों का शुल्क से लाभ बहुत कम है. उपयोगकर्ता शुल्क 10 रुपये, प्रक्रिया शुल्क 10 रुपये, प्रशासन शुल्क सात रुपये है जोकि इन सभी को मिलाकर 27 रुपये बनता है. इसमें से 20.56 रुपये सरकार के खाते में जाते हैं और हमें 6.44 रुपये ही बचते हैं. इन 27 रुपये से दोगुना तो प्रति आवेदन पर ही खर्च हो जाता है.