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कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता था ये लड़का, पिता की जिद ने बना दिया नेशनल लेवल का बॉक्सर

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Published : Mar 22, 2022, 10:56 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 12:34 PM IST

ये ईटीवी भारत की खास पेशकश 'खिलाड़ी' है. जिसमें हम आपको हरियाणा के ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से मिलवा रहे हैं जिनकी कहानियां हर किसी को प्रेरित करती हैं. इस बार हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसे खिलाड़ी से जो कभी ठीक से चल भी नहीं पाता था, लेकिन आज नेशनल लेवल का बॉक्सर है. सिर्फ इतना ही नहीं इस युवा बॉक्सर की बहन ने भी अपने भाई से प्रेरणा ली और वो भी आज इंटरनेशनल लेवल की बॉक्सर बन चुकी है.

panipat boxer sister brother
panipat boxer sister brother

पानीपत: जब-जब देश और दुनिया में खेल और खिलाड़ियों की बात की जाती है तो हरियाणा का नाम जरूर लिया जाता है. हरियाणा ने ये नाम ऐसे ही नहीं कमाया. कुछ ऐसे किस्से और कहानियां हैं जिन्होंने हरियाणा को इस मुकाम तक पहुंचाया है. हरियाणा में कई ऐसी प्रतिभाएं हैं जिन्हें सुनकर आप भी कहेंगे वाह क्या बात है. ऐसी कई प्रतिभाओं से हम आपको मिलवा चुके हैं. वहीं इस बार हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसे बॉक्सर भाई बहन से जिन्होंने नेशनल ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल की प्रतियोगिता में देश का नाम रोशन किया है.

पानीपत के रहने वाले बॉक्सर भाई बहन, मिलन देशवाल (17) और याक्षिका देशवाल (15) के बॉक्सर बनने का किस्सा भी बड़ा रोचक है. दरअसल मिलन देशवाल आज से 7 साल पहले एकदम दुबला पतला और टांगों से कमजोर हुआ करता था. ज्यादा दूरी तय करने में भी उसे टांगों के चलते बड़ी परेशानी हुआ करती थी. पिता को मिलन के भविष्य को लेकर काफी चिंता सताने लगी. पिता पवन ने फैसला किया कि अगर मिलन की शारीरिक कमजोरी को दूर नहीं किया गया तो आने वाला भविष्य खराब होगा. फिर वे मिलन को लेकर हर रोज ग्राउंड जाने लगे.

कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता था ये लड़का, पिता की जिद ने बना दिया नेशनल लेवल का बॉक्सर

मिलन ने बताया कि बच्चों को दौड़ता भागता देख उसके दिल में भी कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ. फिर वो भी प्रैक्टिस करने लगा. इसके बाद पिता पवन ने उसे बॉक्सिंग कोच सुनील के पास बॉक्सिंग सीखने के लिए भेज दिया. शरीर का दुबलापन देखकर कोच को भी एक बार ऐसा लगा कि ये कर पाएगा या नहीं. सुनील उसे हर दिन प्रैक्टिस करवाने लगा तो धीरे-धीरे मिलन की टांगों की कमजोरी दूर होती चली गई और वह अच्छे बॉक्सिंग के गुर सीखता चला गया और एक अच्छा बॉक्सर बनके उभरने लगा.

दोनों बहन भाई एक ही एकेडमी में प्रैक्टिस करते हैं

पहले प्रयास में ही मिलन ने नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत लिया और फिर उसके बाद नेशनल में दो बार गोल्ड मेडल और दो बार कांस्य पदक अपने नाम किए. जैसे ही मिलन ने नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता तो स्कूल और एकेडमी में मिलन का भव्य स्वागत देख बहन याक्षिका ने भी ठान लिया कि वह भी अपने भाई की तरह ही एक बॉक्सर बनकर इसी तरह का सम्मान प्राप्त करेगी, तो उसने भी भाई के साथ ग्राउंड में आना शुरू कर दिया.

दोनों बहन भाई साथ में प्रैक्टिस करते हुए

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शुरू में भाई मिलन उसकी प्रैक्टिस करवाता था, बाद में कोच सुनील के पास ही याक्षिका ने भी एडमिशन ले लिया. 3 साल की प्रैक्टिस के बाद जैसे ही स्टेट लेवल पर टूर्नामेंट हुआ तो पहली बार में ही उसने गोल्ड मेडल जीता और नेशनल लेवल पर भी पहली बार में याक्षिका ने गोल्ड पर ही कब्जा किया. याक्षिका ने हाल ही में जॉर्डन में हुई एशिया बॉक्सिंग चैंपियनशिप में देश को गोल्ड मेडल दिलाया है. परिवार के साथ-साथ दोनों बच्चों ने भी कड़ी मेहनत करके ये मुकाम हासिल किया है. अब इन दोनों बॉक्सर भाई बहनों का लक्ष्य ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है और देश का नाम रोशन करना है. हम आशा करते हैं कि ये दोनों जल्द से जल्द अपना लक्ष्य प्राप्त करें और इसी तरह देश के बाकी युवाओं को प्रेरित करते रहें.

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Last Updated :Mar 23, 2022, 12:34 PM IST

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