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Women’s Day Special: कभी बच्चों को पालने के लिए इस महिला ने दूसरों के घरों में किया था काम, आज कई लोगों को दे रही रोजगार

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Published : Nov 6, 2021, 10:04 PM IST

Updated : Mar 6, 2022, 5:32 PM IST

Women’s Day Special: विश्व महिला दिवस पर 'ईटीवी भारत' लाया है, आपके लिए खास पेशकश 'अस्तित्व'. अस्तित्व में आज हम आपको मिलवाएंगे हरियाणा की उस महिला से जिन्होंने पति की मृत्यु के बाद मजदूरी की और अपनी बेटियों को सरकारी अधिकारी बनाया. उनके संघर्ष भरे जीवन की इस कहानी से हर किसी को प्रेरणा मिलेगी.

panipat inspirational story businesswomen
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पानीपत:'कौन कहता है आसमान में सुराग हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो', इस कहावत को सच कर दिखाया है केरल से हरियाणा में काम करने आई एक महिला ने (panipat inspirational story of a businesswomen). जिसने अपने पति की मौत के बाद मेहनत करके बच्चों की परवरिश की और उन्हें बड़ी बुलंदियों तक पहुंचाया. मिसाल बन चुकी पानीपत की ये महिला आज भी 64 साल की उम्र में बेटे के साथ उसके बिजनेस में हाथ बंटा रही हैं.

हम बात कर रहे हैं केरल से हरियाणा में आई शोभना नामक महिला की. 1984 में वह केरल से अपने पति राजेश के साथ हिसार के हांसी हलके में आई थी. उनके पति हांसी में एक बिस्कुट फैक्ट्री में मशीन ऑपरेटर थे. 1988 में इस फैक्ट्री मालिक के भाई ने जब पानीपत में नया प्लांट लगाया था शोभना के पति राजेश को पानीपत प्लांट में मशीन ऑपरेटर रख लिया गया. शोभना के पति की 1994 में किडनी डैमेज होने के कारण मौत हो गई थी. उसके बाद से शोभना के संघर्ष का सिलसिला जारी हो गया.

कभी बच्चों को पालने के लिए इस महिला ने दूसरों के घरों में किया था काम, आज कई लोगों को दी रही रोजगार

शोभना ने अपने पति की मौत के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. जब पति की मौत हुई उनके पास तीन बेटी, और एक बेटा था. सास-ससुर, रिश्तेदार, मां-बाप उनका साथ देने वाला कोई भी नहीं था. सामाजिक संगठनों की सहायता से उन्हें एक पटवारी के पास मुंशी रखवा दिया गया. वह घर-घर जाकर वोटर लिस्ट का काम, बीपीएल सर्वे का काम करने लगी. वहीं बच्चों को अनाथ आश्रम में छोड़कर घरों में बर्तन मांजना, घर की साफ-सफाई का काम भी शोभना ने किया. उसके बाद शोभना बताती हैं कि गाय का दूध बेचकर वह अपने बच्चों का पालन पोषण करने लगी.

शोभना की बड़ी बेटी जब पढ़ लिखकर आयुष मंत्रालय में रिसर्च सेंटर में सर्विस लगी तो शोभना को बाकी बच्चों का भविष्य भी उज्जवल दिखाई देने लगा. शोभना ने उसके बाद फिर दूध बेचने के कारोबार को और बड़ा कर दिया. फिर दूसरे नंबर की बेटी को बिजली विभाग में एलडीसी के पद पर लगवाया. फिर तीसरी बेटी को पढ़ा लिखाकर योगा टीचर बनाया और बेटे को टेक्सटाइल का कोर्स करवाने के बाद टेक्सटाइल फैक्ट्री लगा कर दी.

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अब वह बेटे के साथ टेक्सटाइल फैक्ट्री में लगातार 16 से 18 घंटे काम करती हैं. टेक्सटाइल के इस उद्योग में टी-शर्ट, जैकेट बनाने का काम किया जाता है और उन्हें ऑनलाइन सेल किया जाता है. हर रोज सैकड़ों ऑर्डर शोभना की फैक्ट्री से निकलते हैं. शोभना के पास आज 30 से 35 लोग, जो 40 से 50 हजार प्रति महीना के वेतन पर काम करते हैं. शोभना का कहना हैं कि उनकी जिंदगी काफी संघर्ष भरी रही, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

उन्होंने कहा कि कभी भी मेहनत करना बंद नहीं किया. उसी का नतीजा है कि आज उनके सभी बच्चे सफल हो गए हैं. साथ ही वे कई लोगों भी रोजगार दे रही हैं. उन्हें रोजगार देते हुए बहुत खुशी महसूस होती है और उनका सपना है कि वह अपने बेटे के साथ मिलकर व्यापार को बड़ा करें. शोभना को कई बार सामाजिक संगठनों और हरियाणा महिला बाल विकास विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है.

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Last Updated :Mar 6, 2022, 5:32 PM IST

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