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फतेहाबाद में कम हो रहा बाढ़ का पानी, भूपेंद्र हुड्डा बोले- अगर सरकार ने काम किया होता, तो इतनी तबाही ना होती

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Published : Jul 23, 2023, 10:20 PM IST

घग्गर नदी के रौद्र रूप के चलते फतेहाबाद के करीब 121 गांव बाढ़ में डूब गए. अब राहत की बात ये है कि बाढ़ का पानी कम हो रहा है. वहीं रविवार को पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया.

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फतेहाबाद के लोगों के लिए राहत की खबर है. जिले में बाढ़ का पानी अब कम हो रहा है. घग्गर नदी के रौद्र रूप के चलते जिले के करीब 121 गांव बाढ़ में डूब गए. फतेहाबाद नगर परिषद के एक्सईएन अमित कौशिक ने बताया कि प्रशासन का प्लान-ए सफल रहा है. जिसकी वजह से फतेहाबाद शहर की आबादी में पानी प्रवेश नहीं कर पाया. घग्गर में लगातार बढ़ रहे जलस्तर के चलते प्रशासन के द्वारा प्लान-बी पर काम किया जा रहा है. जिसके तहत शहर में बांध बनाए जाएंगे.

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उन्होंने कहा कि अब बाईपास पर भी पानी कम होना शुरू हो गया है. अब ये धीरे-धीरे काफी कम होता जाएगा. पानी को खान मोहम्मद गांव के रास्ते दो नालों की मदद से गांव के खेतों में छोड़ा जा रहा है. रविवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने फतेहाबाद के बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश की हवाई सरकार ने अगर जमीन पर उतर कर काम किए होते, तो प्रदेश में तबाही नहीं होती.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में हजारों एकड़ जमीन बाढ़ के कारण बर्बाद हो चुकी है, लेकिन प्रदेश सरकार के द्वारा इसको लेकर लापरवाही बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार घग्गर, रंगोई सहित विभिन्न नदी और नालों की समय पर सफाई करवाती, तो ये दिन ना देख ना पड़ता. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार को चाहिए कि वो तुरंत किसान को प्रति एकड़ 40 हजार रुपये मुआवजा दें.

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वहीं जिन लोगों के मकान और दुकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. उन्हें भी मुआवजा दिया जाए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बाढ़ में जान गंवाने वाले लोगों को चार लाख की बजाय 10 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मौसम विभाग के द्वारा बारिश को लेकर पहले चेतावनी जारी कर दी गई थी, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और तैयारी नहीं की गई. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उनके कार्यकाल में यमुना से 8 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, लेकिन फिर भी प्रदेश को बाढ़ से बचाया गया, लेकिन अबकी सरकार में तीन लाख क्यूसिक पानी को भी नहीं संभाल पाई.

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