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वूड टॉयज़ की बढ़ती डिमांड, सूरजकुंड के दिवाली मेले में छाया लकड़ी के खिलौनों का स्टॉल, जमकर उमड़ रही लोगों की भीड़

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 8, 2023, 8:05 PM IST

Faridabad News : लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा. पहले के ज़माने का ये फेमस सॉन्ग क्या आपको याद है. शायद नहीं. होगा भी कैसे, वक्त जो तेज़ी से बदल गया है. ग्लोबल इकोनॉमी, चीनी खिलौने और दौड़ती भागती ज़िंदगी में लकड़ी के खिलौने भी कहीं गुम हो गए थे. लेकिन वक्त सदा एक सा नहीं रहता. मौजूदा वक्त में लकड़ी के खिलौनों की मांग भी तेज़ी से बढ़ी है और लोग प्लास्टिक से दूरी बनाकर ईको-फ्रेंडली वूड टॉयज़ ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

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सूरजकुंड के दिवाली मेले में छाया लकड़ी के खिलौनों का स्टॉल

वूड टॉयज़ की बढ़ती डिमांड

फरीदाबाद :खिलौने किसे पंसद नहीं है. बचपन में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने खिलौनों से खेला ना हो. लेकिन पहले के खिलौने और अभी के जमाने के खिलौने में बड़ा अंतर आ गया है. पहले के जमाने में हर हाथ में लकड़ी के खिलौने हुआ करते थे, लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज तो प्लास्टिक के खिलौने ही हर जगह देखे जाते हैं और पैरेंट्स भी इन्हीं खिलौनों को तवज्जो देते हैं. लेकिन टाइम चेंज हो रहा है. प्लास्टिक से धरती को पहुंचते नुकसान को लेकर जहां सरकारें सख्त हो रही है तो लोग भी जागरुक हो रहे हैं.

दिवाली मेले में वूड टॉयज़ का स्टॉल :सूरजकुंड मेला ग्राउंड पर दिवाली उत्सव मेला चल रहा है, जिसमें एक से बढ़कर एक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में एक स्टॉल लगा है वूड टॉयज़ का, जो यहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ये वूड टॉयज़ का स्टॉल लगाया है यूपी के सहारनपुर से आए रहमान ने. बड़ी तादाद में लोग भी लकड़ी के खिलौने देखते हुए इस स्टॉल पर पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम भी इस स्टॉल पर पहुंची और रहमान से वूड टॉयज़ और लोगों की पसंद पर बातचीत की. रहमान ने बताया कि उन्हें ये कला विरासत में मिली है. उनके दादा और पिता भी लकड़ियों से सामान बनाया करते थे. ऐसे में रहमान ने उनकी कला को ज़िंदा रखते हुए लकड़ी से बच्चों के खिलौने बनाने का फैसला लिया. खिलौने बनाते-बनाते रहमान ने और भी लोगों को अपने साथ जोड़ लिया है और अब लकड़ी से बाकी कलाकृतियां भी बनाते हैं.

वूड टॉयज़ की दुकान पर भीड़

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प्लास्टिक से बढ़ता प्रदूषण :रहमान बताते हैं कि पहले उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन वक्त के साथ-साथ हालात बदले हैं और प्लास्टिक से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए लोगों का खिलौनों को लेकर मूड भी बदला है. अब लोगों का झुकाव लकड़ी के खिलौनों की ओर देखा जा रहा है. उनके मुताबिक आज इसी बिजनेस से वे ना सिर्फ अपना घर चला रहे हैं बल्कि कई लोगों को रोज़गार भी दे रहे हैं. रहमान कहते हैं कि वे आज देश के अलग-अलग कोनों में जाकर खिलौनों का स्टॉल भी लगाते हैं और लोगों की उमड़ती भीड़ देख उन्हें खुशी भी होती है. अगर कॉस्ट और ड्यूरेबिलिटी की बात करें तो उनके खिलौनों की कीमत प्लास्टिक के खिलौनों के मुकाबले काफी कम है और वे लंबे अरसे तक चल जाते हैं.

सूरजकुंड दिवाली मेले में वूड टॉयज़ का स्टॉल

टॉय इंडस्ट्री का फ्यूचर :भारतीय टॉय इंडस्ट्री विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है. विश्व पटल पर भारत खिलौनों का बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2022 में वूड टॉय का वैश्विक कारोबार 25.7 बिलियन डॉलर था. वहीं साल 2031 तक बढ़कर इसके 35 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद जताई जा रही है.

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