फरीदाबाद: आम जनता की परेशानी को दूर करने के लिए बीड़ा उठाना हर किसी के वश में नहीं है लेकिन फरीदाबाद के रहने वाले बाबा राम केवल ने अपना जीवन आम लोगों की समस्या को दूर करने में ही लगा दिया है. बाबा न केवल लोगों की परेशानी की ओर प्रशासन का ध्यान दिलाते हैं बल्कि सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार में भी बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं.
कौन हैं बाबा राम केवल ? :बाबा राम केवल फरीदाबाद के रहने वाले हैं. 61 साल के बाबा राम केवल ने अपना जीवन आम जनता की भलाई में लगा दिया है. जहां भी आम जनता को परेशानी होती है वहां बाबा लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए पहुंच जाते हैं. जहां सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की खबर आती है वहां भी बाबा प्रशासन का ध्यान दिलाने के लिए कमर कस लेते हैं. बाबा महात्मा गांधी के पथ पर चलने में यकीन रहते हैं. लोगों की समस्या जब दूर नहीं हो पाती है तो बाबा धरने पर बैठ जाते हैं. चाहे जितना दिन धरने पर बैठना पड़े, जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता है बाबा अपना धरना समाप्त नहीं करते हैं.
कब-कब दिया धरना: बाबा राम केवल बताते हैं कि उनकी धरना देने की यात्रा साल 2002 से शुरू हुई जब उन्होंने पुल निर्माण को लेकर धरना दिया था. सरकार को उनकी मांग माननी पड़ी और कई पुलों का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ. भ्रष्टाचार के खिलाफ भी बाबा ने धरना दिया है. 2021 में वे 56 दिन तक फरीदाबाद नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठे थे. उनके धरने का नतीजा यह हुआ कि 200 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ और सम्बन्धित अधिकारी गिरफ्तार भी हो गया. फरीदाबाद के गांव रिवाजपुर में डंपिग यार्ड के निर्माण के विरोध में बाबा 65 दिन तक धरने पर बैठे रहे और अंतत: प्रशासन को झुकना पड़ा और डंपिग यार्ड को दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया.
दूसरे राज्यों में भी दिया है धरना:बाबा राम केवल केवल हरियाणा में ही लोगों की समस्या को दूर करने के धरना नहीं देते हैं बल्कि दूसरे राज्यों के लोगों की समस्या पर सरकार का ध्यान दिलाने के लिए भी धरना देते हैं. साल 2022 में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में प्रधान के भ्रष्टाचार के खिलाफ 15 दिन तक बाबा धरने पर बैठे. जिले के डीसी ने खुद उनका धरना समाप्त कराया और प्रधान को सस्पेंड कर दिया गया. बाबा उत्तरप्रदेश के अमेठी और रायबरेली जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण को लेकर भी धरने पर बैठे. धरने के कारण ही सड़क बनने का काम शुरू हो गया. इसी प्रकार अमेठी नेहरू कॉलेज के लिए भवन निर्माण को लेकर दो बार धरना दिया. नतीजतन भवन निर्माण के लिए प्रशासन ने फंड रिलीज किया और छात्रों की परेशानी दूर हो गयी.