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अरुणाचल में माओवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुआ हरियाणा का लाल, पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार

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Published : Aug 17, 2021, 3:25 PM IST

martyr soldier Vedprakash
charkhi dadri martyr soldier

हरियाणा के चरखी दादरी जिले के रहने वाले जवान वेदप्रकाश शहीद (martyr soldier Vedprakash) हो गए हैं. वेद्रपकाश करीब 22 साल पहले सेना की असम राइफल रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. उनके पैतृक गांव मौड़ी में सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.

चरखी दादरी:स्वतंत्रता दिवस के दिन अरुणाचल प्रदेश में माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में दादरी के गांव मौड़ी निवासी हवलदार वेद प्रकाश शहीद (martyr soldier Vedprakash) हो गए. शहीद का उनके पैतृक गांव में सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वीर जांबाज को विदाई देने के लिए गांव में जनसैलाब उमड़ा. 'वेद प्रकाश अमर रहे', 'जब तक सूरज चांद रहेगा, वेद प्रकाश तेरा नाम रहेगा...' के नारों से आसमां गूंज उठा. इस दौरान सैन्य और पुलिस टुकड़ी ने मातमी धुन के साथ हवाई फायर कर शहीद को सलामी दी.

गांव मौड़ी निवासी 40 वर्षीय वेद्र पकाश करीब 22 साल पहले सेना की असम राइफल रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. सेवा काल के दौरान उनकी तैनाती अरुणाचल प्रदेश में ही रही है. परिजनों के अनुसार रविवार सुबह वेद प्रकाश की जहां तैनाती थी, उस पोस्ट पर स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया गया था. जवानों के राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते ही पेट्रोलिंग टीम गश्त के लिए चली गई. हवलदार वेद प्रकाश भी इस पेट्रोलिंग टीम के सदस्य थे. पहले से घात लगाए बैठे माओवादियों ने पेट्रोलिंग टीम पर फायरिंग कर दी और इसी दौरान एक गोली हवलदार वेद प्रकाश की गर्दन में लगी और वे शहीद हो गए.

वीर जांबाज को विदाई देने के लिए गांव में जनसैलाब उमड़ा

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सैनिक टीम शहीद की पार्थिव देह लेकर मंगलवार को गांव मौड़ी पहुंची. वहीं शहादत की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी भी मौड़ी पहुंचे. शहीद की राजकीय व सैनिक सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई. उनके बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस दौरान सैनिक अधिकारियों के अलावा एसडीएम डॉ. विरेंद्र सिंह व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे. शहीद वेद प्रकाश अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए हैं. उनका बड़ा बेटा आशीष 18 साल का है और छोटा बेटा अनुज 15 साल का है.

शहीद वेद प्रकाश के पिता कर्ण सिंह ने कहा कि मेरे परिवार से ये पहली शहादत है और मेरा लाल मेरा सिर मान से ऊंचा कर गया. मैंने दिहाड़ी-मजदूरी कर अपने बेटों को पढ़ाया और वेद प्रकाश ने 22 साल पहले सेना में भर्ती होकर मेरी मेहनत को सार्थक कर दिया. उन्होंवे कहा कि बेटे के जाने का गम तो बयां नहीं कर सकता, लेकिन बेटे के देश की मिट्टी का कर्ज चुकाने पर सीना फक्र से चौड़ा भी है.

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