हरियाणा

haryana

चरखी दादरी: टमाटर के गिरते दामों से मायूस किसान, शूरू की भूख हड़ताल

By

Published : Jun 13, 2020, 5:47 PM IST

टमाटर के दाम लगातार गिरते जा रहे हैं. किसानों में टमाटर की फसल का उचित दाम नहीं मिलने से रोष है. किसानों ने कृषि मंत्री पर ठगने का आरोप लगाया है.

farmers doing hunger strike in charkhi dadari due to falling tomato prices
चरखी दादरी: टमाटर के गिरते दामों से मायूस किसान

चरखी दादरी:पिछले दो हफ्ते से टमाटर उत्पादक किसानों ने शनिवार को भूख हड़ताल शुरू कर दी है. इस दौरान किसानों ने जहां कृषि मंत्री पर ठगने का आरोप लगाया. वहीं धरने को जन आंदोलन का रूप देने के लिए रणनीति तैयार की. किसानों ने अल्टीमेटम दिया कि पीड़ित किसानों को मुआवजा नहीं मिला तो वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे.

पांच किसान भूख हड़ताल पर बैठे

भाकियू की अगुवाई में क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा गांवों के टमाटर उत्पादक किसानों की तरफ से गांव मानकावास में धरना दिया जा रहा है. धरने के 14वें दिन भाकियू जिलाध्यक्ष जगबीर घसोला की अगुवाई में पांच किसान भूख हड़ताल पर बैठे और रोष प्रदर्शन किया. किसानों ने धरनास्थल पर विधायक सोमबीर सांगवान और नैना चौटाला के पुतले बनाकर तैयार किए हैं और जनप्रतिनिधियों पर किसानों की आवाज नहीं उठाने का आरोप लगाया.

चरखी दादरी में टमाटर के गिरते दामों से किसानों में रोष, देखिए रिपोर्ट

किसानों ने कहा कि लॉकडाउन के चलते टमाटर उत्पादक किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. नुकसान की भरपाई भाव भावांतर योजना में भी शामिल नहीं किया गया. ऐसे में किसानों को अपनी फसल पर हुआ खर्चा भी वहन करना पड़ा है. सरकार को प्रभावित क्षेत्रों की स्पेशल गिरदावरी करवाकर मुआवजा देना चाहिए. वहीं धरने के समर्थन में पहुंचे किसान नेता रमेश खरखड़ी ने कहा कि कृषि मंत्री द्वारा किसानों के साथ ठगी की गई है.

टमाटर उत्पादक किसानों को भाव भावांतर योजना में भरपाई का आश्वासन दिया था. बावजूद इसके किसानों की कोई सूध नहीं ली गई. इस बार किसान चुप नहीं बैठेंगे और धरने को जन आंदोलन का रूप देंगे. धरने पर किसानों ने प्रतिदिन पांच किसान भूख हड़ताल पर बैठने व आगामी आंदोलन को लेकर रूप रेखा भी तैयार की.

जानें, क्या है भावांतर भरपाई योजना ?

इस योजना की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की गई. सरकार ने यह योजना उस अवधि के लिए चलाई है, जब किसानों की सब्जी की फसल का उत्पादन अपने चरम पर होता है और मार्केट में सब्जियों की आवक तेज होती है. इस दौरान सब्जी की कीमत कम हो जाती है. जिससे किसानों को कई बार अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. इस जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना चलाई है और सरकार की ओर से निर्धारित अवधि के दौरान मंडी में फसल की ब्रिकी पर किसान को यदि नुकसान होता है. तो किसान को मिलने वाले दाम और किसान के लागत की बीच के अन्तर का जो नुकसान होता है. सरकार उसकी भरपाई करती है.

फसल का नाम संरक्षित मूल्य(रुपये प्रति क्विंटल )
आलू 500
प्याज 650
टमाटर 500
फूल गोभी 750
बैंगन 500
किन्नू 1100
गाजर 700
मटर 1100
शिमला मिर्च 650
अमरूद 1300

ये भी पढ़िए:गुरुग्राम के सभी अस्पतालों के 25 फीसदी बेड कोविड-19 मरीजों के लिए आरक्षित

ABOUT THE AUTHOR

...view details