चंडीगढ़: सबसे घातक कैंसरों में से एक, फेफड़ों का कैंसर तब शुरू होता है, जब महत्वपूर्ण श्वसन अंग में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, अधिकांश मौतों के लिए फेफड़े और ब्रोन्कस कैंसर जिम्मेदार हैं और इस कैंसर से 1 लाख 20 हजार से अधिक लोगों के सालाना तोर पे मौत हो रही है.
फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारक: बता दें कि 2022 में भारत में एक लाख से अधिक लोगों में फेफड़ों के कैंसर के मामले देख गए थे. पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शीर्ष पांच प्रमुख स्थानों में शामिल था. फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान करने वालों को सबसे अधिक प्रभावित करता है और फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित 80% से अधिक लोग अक्सर धूम्रपान करते हैं. धूम्रपान, रेडॉन, वायु प्रदूषण, फेफड़ों के कैंसर का पारिवारिक इतिहास, अन्य जोखिम कारक हो सकते हैं. लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई, खांसी में खून आना, सीने में दर्द, थकान ये सभी फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हैं जिन पर लोगों को ध्यान देना चाहिए.
लंग कैंसर के पांच तरह की ट्रीटमेंट: लंग कैंसर के पांच तरह की ट्रीटमेंट पीजीआई में किए जाते हैं. जिसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन यह तीनों ही इलाज पुराने जमाने से किए जा रहे हैं. लेकिन, अब जहां एडवांस ट्रीटमेंट भी किया जाता है, इसके चलते दो नए तरीके जिसमें टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल किए गए हैं. इन दोनों थेरेपी का इस्तेमाल गंभीर मरीजों के लिए किया जाता है. इन दोनों थेरेपी का इस्तेमाल भी उन मरीजों के लिए किया जाता है जिनकी सर्जरी और रेडिएशन के जरिए इलाज नहीं किया जा सकता.
उपचार और खर्च: ऐसे में जो मरीज नॉनस्मोकर है उनमें एडिनोकार्सिनोमा टाइप डायग्नोज होता है. उन मरीजों के लिए ऐसे कुछ मार्क्स पाए जाते हैं, इसमें ओरल ड्रग्स दी जा सकती हैं. इसे टारगेटेड थेरेपी कहा जाता है. ऐसे में अधिकतर तौर पर ईजीएफ और एल्क फ्यूजन देखी जाती है. ऐसे में ईजीएफ 25 से 30% मरीजों में देखी जाती है. एल्क फ्यूजन 10% मरीजों में देखी जाती है. ऐसे में इन मरीजों के लिए ओरल ड्रग, कीमोथेरेपी से ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. इसके साथ ही इसे सहन करना भी काफी आसान है. इम्यूनोथेरेपी थेरेपी काफी महंगी है जो कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा ही करवाई जाती है, क्योंकि इसका खर्च तिगुना होता है. क्योंकि इन ड्रग्स को कोई भारतीय कंपनी नहीं बनाती है यह सभी दवाएं विदेश से मंगवाई जाती हैं.
कुछ ही संस्थानों में लंग कैंसर का इलाज: लंग कैंसर का इलाज भारत के हर एक क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है. कुछ चुनिंदा सरकारी संस्थान ही हैं, जहां पर इसका इलाज किया जाता है. वहीं, कुछ मरीजों के लिए भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष्मान कार्ड धारक ही उक्त बीमारी का इलाज करवा सकते है. ऐसे में अगर इस इलाज से संबंधित खर्च की बात की जाए तो यह है काफी महंगा इलाज साबित होता है. क्योंकि कीमोथेरेपी से लेकर टारगेटेड थेरेपी तक हर एक जगह एडवांस मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, जो हर जगह उपलब्ध नहीं होती है.