चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र: कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके कई शूटरों पर हरियाणा मेंहरियाणा में नई एफआईआर दर्ज की गई है. ये एफआईआर अंबाला टास्क फोर्स ने कराया है, जिसमें कहा गया है कि लॉरेंस और उसकी गैंग के ये सदस्य हरियाणा में फिरौती मांगने समेत कई आपराधिक वारदात को अंजाम दे रहे हैं. लॉरेंस बिश्नोई इस समय हरियाणा समेत पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और कई राज्यों में खौफ दूसरा नाम बन चुका है.
अंबाला एसटीएफ की एफआईआर में यमुनानगर का गैंगस्टर वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा और करनाल का शूटर भानु प्रताप भी शामिल हैं. ये वही काला राणा है जिसके ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए भी कई बार रेड कर चुकी है. उसके घर वालों से पूछताछ समेत उसकी कई प्रॉपर्टी भी अटैच की जा चुकी है. आइये आपको बताते हैं कि आखिर ये काला राणा कौन है जो पुलिस का सिर दर्द बन चुका है.
कौन है गैंगस्टर काला राणा- काला राणा का असली नाम वीरेंद्र प्रताप है. काला राणा हरियाणा के यमुनानगर का रहने वाला है. बताया जा रहा है कि वो इस समय लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सबसे खास शूटरों में से एक है और हरियाणा में फिरौती समेत हत्या जैसी वारदात को अंजाम दे रहा है. काला राणा के ऊपर करीब 28 मुकदमे दर्ज हैं. जिनमें हत्या, फिरौती समेत कई संगीन मामले शामिल हैं. राणा पर अंबाला में 4, यमुनानगर में 19, कुरुक्षेत्र में 4 और फतेहाबाद में एक केस दर्ज है. वो हरियाणा समेत, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली पुलिस का वांटेड है.
विदेश से पकड़ा गया काला राणा- काला राणा हरनाम सिंह के नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाकर थाईलैंड भाग गया था. पिछले साल उसे थाईलैंड में गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद इंटरपोल की मदद से एसटीएफ उसे हरियाणा लेकर आई. काला राणा फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. पुलिस की मानें तो जेल के अंदर रहकर भी वो बाहर अपने लोगों के जरिए लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ की वसूली और हत्या के काम को अंजाम दे रहा है.
अंबाला एसटीएफ ने FIR में क्या बताया- एसटीएफ टीम में तैनात एएसआई राजन के मुताबिक एसटीएफ अंबाला की टीम बदमाशों की तलाश के लिए कुरुक्षेत्र में थी. इस दौरान उनको जानकारी मिली कि गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल बिश्नोई विदेश में बैठकर भारत के बदमाशों के साथ संपर्क में रहते हैं. वो फिरौती मांगने का काम करते हैं. पंचकूला, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर जिलों में इमीग्रेशन सेंटर और क्लब संचालकों से ये लोग फिरौती मांगते हैं. अगर कोई फिरौती नहीं देता तो उनके ऊपर फायरिंग की जाती है ताकि उनको डराया जा सके.