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ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर हुई बैठक में नहीं निकला कोई नतीजा, अगले सप्ताह फिर हो सकती है बैठक

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Published : Mar 3, 2023, 2:03 PM IST

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर आज अधिकारियों के साथ बैठक की गई. लेकिन बैठक बेनतीजा रही. ओपीएस को लेकर अगले सप्ताह फिर से बैठक किए जाने का कयास लगाया जा रहा है.

Old Pension Scheme meeting in Chandigarh
Old Pension Scheme meeting in Chandigarh

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर हुई बैठक

चंडीगढ़: चंडीगढ़: हरियाणा में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं. कांग्रेस शासित राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने के बाद हरियाणा के कर्मचारी भी सरकार पर इसको लागू करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं. इसी दबाव की वजह से हरियाणा सरकार ने इस मसले पर बातचीत के लिए तीन सदस्य कमेटी भी बनाई हुई है, जो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी है.

इस मुद्दे पर शुक्रवार को इस कमेटी की पेंशन बहाली संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के साथ पहली बैठक हुई. कयास लगाया जा रहा था कि इस बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया जा सकता है लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बैठक में सरकार उसको लेकर आने वाले दिनों में क्या कदम उठा सकती है, इस पर विस्तार से चर्चा हुई, लेकिन यह बैठक बेनतीजा निकली. बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से बात करते हुए पेंशन बहाली संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि हम सभी आंकड़ों को लेकर पूरी तैयारी के साथ आए थे, लेकिन अधिकारियों की पूरी तैयारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि बैठक में अधिकारियों ने कहा कि इन आंकड़ों पर अगली बैठक में चर्चा की जाएगी. अब अगले सप्ताह दूसरी बैठक हो सकती है.

विजेंदर धारीवाल ने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर 5 मार्च को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी. समिति की अगली रणनीति इस बैठक में तय की जाएगी. वहीं उन्होंने कहा कि सरकार चाहे जितनी मर्जी बैठकें कर ले, हम बैठक में जरूर शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करवाना ही है.

यह भी पढ़ें-हरियाणा में पुरानी पेंशन योजना को लेकर आज फिर बैठक, सरकार की कमेटी और कर्मचारियों के बीच चर्चा

बता दें कि हरियाणा पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले बीते दिनों पंचकूला में जोरदार प्रदर्शन किया गया था. इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया था, जिसमें कई कर्मचारी घायल भी हो गए थे. वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे पर कर्मचारियों के साथ है और इसी दबाव के चलते हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे के समाधान के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था.

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