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हरियाणा में निजी स्कूलों की मान्यता का विवाद: सीएम से नए नियमों को सरल बनाने की मांग, 200 सरकारी स्कूलों में भी नहीं हो रही है पालना

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Published : Dec 17, 2022, 1:44 PM IST

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हरियाणा सरकार के नए नियमों से निजी स्कूल संचालक परेशान हैं. वे इन्हें सरल बनाने की मांग कर रहे हैं. हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Haryana Private School Association) के अध्यक्ष ने सरकार से बैठक कर इस समस्या का समाधान करने की मांग की है, जिससे यहां पढ़ रहे विद्यार्थियों का भविष्य खराब ना हो.

हरियाणा सरकार के नए नियमों से निजी स्कूल संचालक परेशान हैं.

चंडीगढ़: हरियाणा में स्कूलों की मान्यता (Private Schools Recognition Controversy in Haryana) को लेकर निजी स्कूल संचालक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. जिसकी वजह से करीब 5 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. जिनमें 2 हजार से अधिक वह स्कूल हैं, जो अस्थाई मान्यता प्राप्त हैं. जिससे करीब 5 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है. क्या है पूरा मामला, और सरकार क्या इस मामले में क्या कर रही है? इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा से बातचीत की.

हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Haryana Private School Association) के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि 2003 में सरकार के बनाए नियमों को जो स्कूल पूरा कर लेते थे, उनको स्थाई मान्यता मिल जाती थी. उन्होंने कहा कि उस समय नियम बहुत ही सरल थे, बाद में सरकार ने इन नियमों को सख्त कर दिया. जिसमें जमीन, कमरे, बरामदे या स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सख्त नियम बनाए गए. इन नियमों को पुराने स्कूल किसी भी अवस्था में पूरा नहीं कर सकते हैं. जिसकी वजह से यह पेचीदगी खड़ी हुई है. वहीं सरकार ने 2003 से पहले से चल रहे स्कूल या 2003 से 2007 के बीच अस्थाई या बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों को भी नियम मानने के लिए बाध्य कर दिया है. सरकारी नियम नहीं मानने पर अब निजी स्कूल संचालित नहीं किए जा सकेंगे.

नियमों की पालना नहीं कर रहे सरकारी स्कूल:कुलभूषण ने कहा कि ऐसा नहीं है कि प्राइवेट स्कूल ही उन नियमों की पालना नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे कई सरकारी स्कूल भी हैं, जो उन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. कुलभूषण ने आरटीआई से इस संबंध में ऐसे 200 सरकारी स्कूलों की जानकारी जुटाई है. जिसमें 18 मिडिल स्कूल 102 हाई स्कूल और कुछ सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने नियमों के नाम पर छोटे निजी स्कूलों पर कुठाराघात किया है. जिनमें से कई निजी स्कूल तो सरकारी स्कूल से भी कम फीस पर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. इन स्कूलों को पहले हर वर्ष एक्सटेंशन दी जाती थी, सरकार ने अब इसे भी बंद कर दिया है. जबकि सरकारी स्कूल भी इन नियमों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

निजी स्कूलों पर हीक्यों लागू हो नए नियम : एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि नियम इतने कठोर हैं कि यह शायद ही कभी पूरे हो पाए. ऐसे में इस विषय को लेकर सरकार को निजी स्कूलों के साथ बैठक कर समाधान निकालना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने उन सरकारी स्कूलों को भी बंद करने की मांग की, जो नियम की पालना नहीं कर पा रहे हैं. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार के पास बहुत सारे संसाधन हैं. जिसके बावजूद कई सरकारी स्कूल नियमों की पालना नहीं कर पा रहे हैं. फिर निजी स्कूलों से ही इन नियमों की पालना करने की अपेक्षा क्यों की जा रही है.

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कोरोना काल में बढ़ा आर्थिक संकट: कोरोना काल की वजह से निजी स्कूलों की वित्तीय हालत खराब हो गई है. स्कूलों में नए दाखिलों की दर में भी गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि स्थाई स्कूलों की संख्या 2 हजार के करीब है वहीं गैर मान्यता प्राप्त स्कूल करीब 3 हजार हैं. एक तरफ हरियाणा सरकार 2025 में नई शिक्षा नीति लागू करने की बात कर रही है. ऐसे में नई शिक्षा नीति कैसे लागू होगी. उन्होंने कहा कि सरकार के इन नियमों की वजह से करीब 5 लाख बच्चों के भविष्य पर तलवार लटक रही है.

जबकि कोर्ट ने भी इनका एडमिशन करने के लिए कहा है. शुक्रवार को इस मामले में कोर्ट में सुनवाई भी थी और अब अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी. उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी सबसे पहले हरियाणा सरकार की बनती है. जब मामला लाखों बच्चों के भविष्य से जुड़ा हो तो ऐसे में सरकार को इस पर चिंतन मनन करना चाहिए. सरकार को इससे प्रभावित स्कूलों के प्रतिनिधियों से बैठकर बातचीत करनी चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य बचाया जा सके.

निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के भविष्य का जिम्मेदार कौन?

निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के भविष्य का जिम्मेदार कौन?: निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि कोर्ट में होने वाली सुनवाई का बोर्ड के बच्चों के फॉर्म भरने पर भी असर पड़ेगा. अभी भी जो स्कूल मान्यता ले रहे हैं, उनको एक हजार रुपए की लेट फीस के साथ अपने बच्चों के फॉर्म और इनरोलमेंट करवानी पड़ रही है. बहुत सारे स्कूलों ने मान्यता के लिए फाइलें दाखिल की हुई है. वे छह महीने से धक्के खा रहे हैं. उनकी फाइलें फुटबॉल की तरह इधर-उधर घूम रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सैंकड़ों निजी स्कूलों ने नियम पूरे कर अप्लाई किया हुआ है. इसके बावजूद उनकी फाइलों को निपटाया नहीं जा रहा है. ऐसे में अगर उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में लटकता है तो उसका जिम्मेदार कौन है?

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मुख्यमंत्री से पहल करनी की मांग: इस पूरे मामले में सीएम से दखल देने की मांग की गई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस मामले का तुरंत संज्ञान लेते हुए बैठक बुलानी चाहिए. इन बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने बताया कि एसोसिएशन की ओर से उन्होंने शिक्षा मंत्री को जानकारी दी थी. उन्होंने उन सैंकड़ों सरकारी स्कूल के बारे में भी बताया जो इन नियमों की पालना नहीं कर पा रहे हैं. अब हम ऐसे सरकारी स्कूलों की फाइल शिक्षा मंत्री को सौंपने वाले हैं. 200 स्कूलों की जानकारी जुटाई है, शेष की जानकारी भी जल्द ही जुटाकर शिक्षा मंत्री को सौंपेंगे.

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