हरियाणा

haryana

World Sparrow Day: विलुप्त होने के कगार पर है इंसान प्रेमी पक्षी गौरैया, ये छोटी सी कोशिश कर सकती है आबाद

By

Published : Mar 17, 2023, 10:05 AM IST

Updated : Mar 25, 2023, 3:06 PM IST

20 मार्च को हर साल विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया जाता है. ये छोटा और इंसान प्रेमी पक्षी इस समय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. बढ़ते शहर और इंसानों की बदलती जीवनशैली के चलते गौरैया विलुप्त होने के कगार पर है. गौरैया बचाओ अभियान में शामिल प्रोफेसर कंवलजीत कौर से ईटीवी भारत ने इस संबंध में बातचीत की.

ETV Special on World Sparrow Day
विश्व गौरैया दिवस पर ईटीवी भारत विशेष

प्रोफेसर कंवलप्रीत कौर गौरैया बचाने की मुहिम में शामिल हैं.

चंडीगढ़: घर और बाग को अपनी चहक से गुलजार रखने वाली गौरैया अब विलुप्त होने के कगार पर है. 2010 के बाद से गैरैया की संख्या में चिंताजनक गिरावट आई है. पर्यावरण प्रेम और वैज्ञानिक इसको लेकर सचेत तो कर रहे हैं लेकिन इंसानों की जीवनशैली और बढ़ता शहरी निर्माण इस पक्षी का अस्तित्व संकट में डाल रहा है. गौरैया को बचाने और इसके ठहरने की जगहों पर अब रिसर्च किया जा रहा है.

गौरैया इकलौती ऐसी पक्षी मानी जाती है जो इंसानों के आस-पास रहती है. गौरैया की चहक सुनकर आसानी से समझा जा सकता है कि वहां पर कोई है. इसका लगातार गायब होना अब चिंता का विषय बनता जा रहा है. दुनिया के कई हिस्सों में गौरैया की आबादी में गिरावट आई है. भारत में गौरैया शहरों के मुकाबले कस्बों और गांवों में अधिक पाई जाती थी लेकिन दुख की बात है कि अब ऐसा नहीं है. हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में इतने पेड़ और ग्रीनरी होने के बावजूद भी गौरैया चिड़िया गायब है.

चंडीगढ़ सेक्टर 26 के श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर कंवलप्रीत कौर ने इस संबंध में ईटीवी भारत ने बातचीत की. कंवलजीत कौर गौरैया बचाने के लिए सिटीजन स्पैरो जैसी मुहिम से भी जुड़ी हुई हैं. प्रोफेसर कौर ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से गौरैया के संदर्भ में काम कर रही हैं. सिटिजन स्पैरो मुहिम के जरिए आम लोगों से पूछा जाता है कि अगर उनके इलाके में गौरैया पाई जाती है तो वे हमें सूचिक करें ताकि हम उनके लिए काम कर सकें.

प्रोफेसर कंवलप्रीत कौर ने बताया कि गौरैया देश के कई हिस्सों में आमतौर पर देखे जाने वाली पक्षियों में से एक हुआ करती थी, लेकिन हाल के दिनों में उनकी आबादी में खतरनाक गिरावट आई है. गौरैया पूरी तरह से गायब नहीं हुई है लेकिन कम हो रही है. यह सच है कि एक दशक पहले तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में गौरैया को देखना आसान था लेकिन गौरैया की आबादी पिछले कुछ वर्षों में कई कारणों से घट रही है. 2019 में हरियाणा सरकार द्वारा भी पिंजौर में जैव विविधता गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया. जिसमें गौरैया के लिए बचाव एवं अनुसंधान पर भी काम करने का निर्णय लिया गया.

गौरैया की संख्या 2010 के बाद तेजी से घटी है.

प्रोफेसर कंवलप्रीत कौर ने बताया कि बचपन से ही गौरैया हम देखते आ रहे हैं. पहले घरों के आकार कुछ हवादार और खुले हुआ करते ‌थे, जिससे हमारे घर में भी चिड़ियों के घोंसले रहते थे. उन दिनों किसी को भी ध्यान नहीं था कि वे घर के अंदर घोंसला बनाते हैं. वे परिवार का हिस्सा थी. पिछले करीब 10 हजार साल से गौरैया इंसानों की साथी रही है. वे समय के साथ हमारे साथ विकसित हुई है. मानव जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है. भवनों, टाउनशिप का निर्माण हो रहा है. नई इमारतें गौरैया के बिल्कुल अनुकूल नहीं हैं. जो कि गैरैया के घटने का सबसे बड़ा कारण है. इसके अलावा मोबाइल टॉवर भी बड़ी संख्या में लग रहे हैं. इलेक्ट्रिक रेंज बढ़ने को भी गौरैया के गायब होने की एक वजह माना जा रहा है.

गैरैया की आबादी लगातार घटने के लिए एक और कारण वैज्ञानिक मान रहे हैं. और वो है अनाज में इस्तेमाल होने वाला कीटनाशक. लगातार अनाज में पेस्टीसाईड इस्तेमाल होने के कारण गौरैया इसकी शिकार हुई है. इसके अलावा आम घरों में बनाए गए गार्डन में भी जहां अक्सर गौरैया छोटे मोटे कीट आसानी से पा जाती थी वो भी अब नहीं मिल रहा है. इस वजह से गौरैया का प्रजनन भी नहीं हो पा रहा है.

प्रोफेसर कंवलप्रीत कौर का कहना है कि दुर्भाग्य से इस पक्षी की प्रजाति को बचाने के लिए 2010 से बहुत कम काम किए गए हैं. गौरैया की संख्या में गिरावट के प्रमुख कारण पेड़ों की कटाई से उनके आवास का नुकसान, उनके भोजन को बर्बाद करने वाले कीटनाशकों के बड़े पैमाने पर उपयोग, मोबाइल टावरों से विकिरण उनकी प्रतिरक्षा और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है. प्रोफेसर कौर का कहना है कि लोगों को अपने घर के बाहर बर्ड फीडर लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही अधिक पौधे उगाना कुछ पक्षियों को वापस आने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है.

Last Updated : Mar 25, 2023, 3:06 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details