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जानिए क्या है अधर पणा और इसका रहस्य

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Published : Jul 19, 2021, 4:08 AM IST

एकादशी के दिन अधर पणा का कार्यक्रम होता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा को पणा नामक पेय अर्पित किया जाता है. स्थानीय भाषा में अधर का अर्थ होंठ और पणा का मतलब एक मीठा सुगंधित पेय है. जिसे दूध, चीनी, पनीर, केला, कपूर, मेवा, काली मिर्च आदि से बनाया जाता है. इन सभी सामाग्रियों के अलावा इस खास पेय में हर्बल पौधों जैसे तुलसी आदि को भी मिलाया जाता है. इस पेय को तीनों देवताओं की प्रतिमाओं के होठों तक एक विशाल बेलनाकार बर्तन में रखकर उन्हें अर्पित किया जाता है. पूजा अर्चना के दौरान इस पेय को मिट्टी से बने 9 बर्तनों में भरा जाता है और प्रत्येक देवता को 3-3 पेय से भरे बर्तन अर्पित किये जाते हैं. राघवदास मठ, बड़ ओड़िया मठ और मंदिर प्रशासन मिलकर इस अवसर के लिए बर्तन और पेय बनाने के लिए योगदान करते हैं. पुजारी 'षोड़श उपचार पूजा' (पूजा का नाम) के दौरान इस पेय को भगवान को अर्पित करते हैं. पूजा समाप्त हो जाने के बाद सेवकों द्वारा मिट्टी के बर्तनों को तोड़ दिया जाता है और पणा पूरे रथ में फैल जाता है. मान्यता है कि इसे पीने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस वजह से प्रेत आत्माएं उसे लेने के लिए वहां आती हैं. अनुष्ठान के मुताबिक, अधर पणा भक्तों और सेवकों के लिए नहीं है, बल्कि यह रथ यात्रा के दौरान बुरी आत्माओं और रथ पर विराजमान तीनों भगवानों के लिए होता है. रथ पर इन मिट्टी के बर्तनों को तोड़ने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है और वह यह है कि इसे अन्य देवता और प्रेत आत्माएं पिएं और संतुष्ट हो जाएं.

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