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जरूरत से ज्यादा प्रयोग व गलतियों से न सीखने के कारण खिताब नहीं जीत पा रही है टीम इंडिया !

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Published : Nov 11, 2022, 11:14 AM IST

Updated : Nov 11, 2022, 11:46 AM IST

वर्क लोड के बहाने किए गए जरुरत से ज्यादा एक्सपेरिमेंट को भले ही भारतीय क्रिकेट टीम के हित में बताया गया और कई अन्य खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिला, लेकिन इसका फायदा टीम इंडिया को आईसीसी की बड़ी प्रतियोगिता में देखने को नहीं मिला.

Team India
भारतीय क्रिकेट टीम

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया में खेले जा रहे टी20 क्रिकेट विश्व कप 2022 के सेमीफाइनल मैच में इंग्लैंड के हाथों 10 विकेट से बुरी तरह हार के बाद भारतीय क्रिकेट टीम की तरह तरह से आलोचना हो रही है. कुछ लोग टीम में अंतिम 11 खिलाड़ियों के चयन के गलत ठहरा रहे हैं तो कई लोग टीम इंडिया के द्वारा पिछले एक साल में किए गए जरूरत से ज्यादा प्रयोगों को हार का प्रमुख कारण बताया है. हर कोई अपने अपने हिसाब से हार का मूल्यांकन कर रहा है. भारत ने 2021 के टी20 विश्वकप में हार के बाद से कई तरह के प्रयोग किए, लेकिन उसके बाद भी गलतियों से सबक नहीं लिया, जिसके कारण भारतीय टीम सेमीफाइनल में बुरी तरह से हार कर विश्व कप से बाहर हो गई. अब आइए जानते हैं कि 2021 के बाद क्या क्या बदलाव भारतीय क्रिकेट टीम में किए गए और उससे क्या फर्क पड़ा.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने टीम मैनेजमेंट के साथ कप्तानों और खिलाड़ियों के साथ जरुरत से ज्यादा एक्सपेरिमेंट किए. वर्क लोड के बहाने किए गए इन प्रयोगों को भले ही टीम के हित में बताया गया और कई अन्य खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिला, लेकिन इसका फायदा टीम इंडिया को आईसीसी की बड़ी प्रतियोगिता में देखने को नहीं मिला. इन प्रयोगों के पीछे मैनेजमेंट का मानना था कि टीम बहुत ज्यादा मैच खेलती है. ऐसे में किसी एक खिलाड़ी को कुछ मैचों में आराम देकर उसके उपर से लोड कम करना होगा. इससे खिलाड़ी को अपना फिटनेस बनाए रखने में मदद मिलेगी तो वहीं ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को टीम इंडिया में खेलने का मौका मिलेगा और उसी के जरिए उभरते खिलाड़ियों को मौका भी मिलेगा.

नहीं खोज पाए बुमराह और जडेजा का सही विकल्प
इस तरह एक्सपेरिमेंट के बाद भी वर्ल्ड कप से ठीक पहले तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और ऑल राउंडर रवींद्र जडेजा चोट के चलते टूर्नामेंट से बाहर हो गए और और इसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा. प्रयोग के तौर पर डेथ और मिडिल ओवर्स में विकेट लेने के स्पेशलिस्ट माने जाने वाले हर्षल पटेल को टीम ने विश्वकप 15 खिलाड़ियों में चुना लेकिन टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं खिला पाए. अगर खिलाड़ी के साथ ऐसा ही व्यवहार करना था तो इतने एक्सपेरिमेंट करने से क्या फायदा है. वहीं ऑल राउंडर रवींद्र जडेजा की जगह शामिल अक्षर पटेल को सारे मैच में खेलने का मौका मिला तो भी वह किसी भी मैच में ऑल राउंडर वाला प्रदर्शन न कर पाए.

रोहित शर्मा

रोहित पर भी उठे कई सवाल
आपको बता दें कि 2021 वर्ल्ड कप के बाद विराट कोहली की जगह रोहित शर्मा टी-20 समेत तीनों फॉर्मेट में कप्तान बना दिया गया. साथ ही साथ रवि शास्त्री की जगह टीम इंडिया के लिए दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ को भी हेड कोच की जिम्मेदारी दे दी गयी. इसके बाद 15 नवंबर 2021 से 15 अक्टूबर 2022 तक 11 महीने में टीम इंडिया ने 35 टी-20 मैच खेले, जिनमें 29 खिलाड़ियों को खेलने का मौका दिया गया. इनमें 7 नए खिलाड़ियों को ने डेब्यू करने का मौका दिया. साथ ही साथ 4 खिलाड़ियों को और जिम्मेदार बनाने व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन का दबाव महसूस कराने के लिए 4 कप्तान भी बदले. लेकिन नतीजा वही हुआ और हमारी टीम खिताब नहीं जीत पायी. अबकी बार एक परिवर्तन जरुर दिखा कि टीम सेमीफाइनल में जाकर हार गयी. इतने अधिक एक्सपेरिमेंट के बाद टी20 वर्ल्ड कप के लिए चुने गए 15 खिलाड़ियों ने ICC ट्रॉफी जिताने की काबिलियत हासिल न कर सके.

कहा जाता है कि आईपीएल में परफॉर्मेंस के आधार पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा भी एक्सपेरिमेंट के फेवर में दिखे. कप्तान रोहित शर्मा का कहना था कि वे वर्ल्ड कप से पहले अपनी बेस्ट टीम खोजने के लिए ऐसा करना चाह रहे हैं. इसीलिए उन्होंने कई सारे प्लेयर्स को ट्राई करके अंतिम 15 खिलाड़ी चुने. हालांकि, टीम इंडिया आखिर तक एक्सपेरिमेंट करते करते रह गई और टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में अंतिम 11 खिलाड़ियों के चयन न कर पाने से हार कर घर की ओर लौटने को मजबूर हो गयी.

नॉकआउट मैच हारने का ठप्पा
भारतीय क्रिकेट टीम ने आखिरी टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में और आखिरी वनडे वर्ल्ड कप 2011 और आखिरी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में महेन्द्र सिंह धौनी की कप्तानी में ही जीती थी. 2013 के बाद भारत ने ICC के 8 मेगा टूर्नामेंट में 10 नॉक आउट मुकाबले खेले, जिसमें से में 7 हार मिली और केवल 3 जीत सके. इनमें भी 2 बार टीम ने बांग्लादेश को हराया है. वहीं, एक बार 2014 टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका को हराया पायी है. लेकिन इसके बाद फाइनल में पहुंचे तो श्रीलंका से हार गए. भारत ने 2015 के क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश को तो हराया, लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार कर वापस लौटना पड़ा. फिर 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में भी बांग्लादेश को ही हराने का कारनामा कर दिखाया, लेकिन टीम फाइनल में पाकिस्तान से हार गयी.

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इस तरह से देखा जाय तो 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत के बाद से टीम इंडिया ICC के किसी भी बड़े टूर्नामेंट की ट्रॉफी नहीं उठा सकी है. टीम को 7 बार जिन टीमों ने हराया है, उनमें श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी टीमें शामिल हैं. न्यूजीलैंड ने तो इस दौरान 2 बार हमें नॉक आउट मुकाबले हराया है. पहले 2019 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में और फिर 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी मात दे दी है. इस दौरान बड़े मैचों में कभी बड़े खिलाड़ी नहीं चले तो कभी गेंदबाजों ने सही तरीके से गेंदबाजी नहीं की. चाहे जो हो 2013 के बाद से हम खिताब जीतने में असफल साबित होते रहे हैं.

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अंतिम 11 खिलाड़ियों पर सवाल
वर्ल्ड कप से पहले के 35 मैचों में भारत ने ईशान किशन, संजू सैमसन, दिनेश कार्तिक, ऋषभ पंत और लोकेश राहुल से विकेट कीपिंग कराई गयी ताकि सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपर बल्लेबाज को टीम में रखा जा सके. आखिर में टीम ने कार्तिक की फिनिशिंग स्किल्स पर भरोसा जताते हुए उनके अनुभव को वरीयता दी. साथ ही ऋषभ पंत को बैकअप विकेट कीपर के रूप में टीम में रखा गया और उप कप्तान बनाए गए केएल राहुल से केवल ओपनिंग कराई गई अगर वह कीपिंग भी करते तो किसी और गेंदबाज या बल्लेबाज को टीम में रखकर विविधता लायी जा सकती थी. लेकिन

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने टीम मैनेजमेंट के गलत फैसले के कारण न तो पूरा भरोसा दिनेश कार्तिक पर दिखाया गया और न ही ऋषभ पंत पर. दोनों में होड़ बनाए रखी गयी. शुरू के 4 मैच खेले और केवल 14 रन बना पाए. पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में तो वह हार के कारण बनते बनते बच गए. वहीं पंत ने आखिर के 2 मैचों में बैटिंग तो की लेकिन वह केवल 9 रन ही बना सके. भारत आखिर तक तय नहीं कर पाया कि कीपर के रूप में पंत को खिलाए या कार्तिक को. इसका भी प्रभाव टीम के परफॉर्मेंस पर देखा गया.

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Last Updated :Nov 11, 2022, 11:46 AM IST

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