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बाल, त्वचा व सेहत के लिए फायदेमंद है चमेली का तेल

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Published : May 19, 2022, 5:23 PM IST

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आयुर्वेद में चमेली यानी जैस्मिन को औषधि की श्रेणी में रखा जाता है तथा कई उपचारों में इसके तेल तथा फूल, पत्तों व जड़ों से बनी औषधियों का उपयोग किया जाता है. बालों तथा त्वचा के स्वास्थ्य तथा सौन्दर्य को बनाए रखने में इसका इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है.

चमेली के फूल की खुशबू जितनी मनमोहक होती है उतना ही उसका तेल भी बालों तथा त्वचा के लिए लाभकारी होता है. चमेली के तेल में ऐसे औषधीय गुणों की भरमार होती है जो ना सिर्फ बालों व त्वचा की समस्याओं को दूर करते हैं बल्कि उनकी सेहत व सुंदरता दोनों को बढ़ाने में मददगार होते हैं. यही नहीं, एरोमाथेरेपी में चमेली/जैस्मिन के तेल तथा इत्र का इस्तेमाल करने पर अनिन्द्रा तथा तनाव सहित कई मानसिक अवस्थाओं में भी राहत मिलती है. आयुर्वेद में भी कई रोगों के उपचारों में तथा औषधियों में चमेली के तेल, उसके फूल, पत्तों व जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है.

बालों के लिए फायदे
एसेंशियल ऑइल विशेषज्ञ तथा एमे ऑर्गेनिक की सीईओ नंदिता बताती हैं कि प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति में चमेली का तेल बालों मे लगाने तथा इत्र के रूप में लगाए जाने की परंपरा रही है. यहां तक कि आयुर्वेद में भी औषधि के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. जिसका कारण हैं इसके चिकित्सीय गुण तथा इसकी सुगंध का हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव.

वह बताती हैं कि इस तेल में कार्बोहाइड्रेट, फ्लेवोनॉयड, टैनिन्स और फेनोलिक यौगिक, ग्लाइकोसाइड और सैपोनिंस जैसे तत्व पाए जाते हैं. यह बालों को प्राकृतिक रूप से नमी प्रदान करने साथ ही उन्हे मजबूत बनाता है, जिससे उनके टूटने व झड़ने की समस्या कम होती है. इसके अलावा इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो सिर की त्वचा पर संक्रमण या बैक्‍टीरियल संक्रमण में राहत दिला सकते हैं. सप्ताह में इस तेल से 2 बार सिर की मालिश बालों को कई तरह से फायदे पहुंचाती हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • चमेली का तेल बालों की प्राकृतिक रूप से नमी संरक्षित रखता है जिससे बालों में खुश्की कम होती हैं, वे कम उलझते हैं और ज्यादा चमकदार नजर आते हैं.
  • चमेली का तेल ही नही हेयर पैक लगाने से भी बालों के टूटने झड़ने की समस्या में राहत मिलती है. इस तेल से सिर की मालिश से करने से रक्त संचार बढ़ता है, तथा बालों को जरूरी पोषण भी मिलता हैं, जिससे बाल जड़ों से मजबूत बनते हैं.
  • रूसी या सिर की त्वचा में संक्रमण होने पर भी चमेली के तेल का इस्तेमाल काफी लाभकारी होता है क्योंकि इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं.
  • धूल, मिट्टी और प्रदूषण के कारण कई बार बालों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है जिससे बाल डैमेज होने लगते हैं. चमेली के तेल की मालिश बालों पर इनके प्रभाव को कम करती है. तथा इसके मॉइश्चराइजिंग गुण के कारण यह बालों पर कंडीशनर की तरह काम करता हैं.
  • चमेली का तेल में एंटी पैरासाइट गुण भी पाए जाते हैं. इसमें मौजूद बेंजाइल अल्कोहल बालों में पनपने वाली जुओं को जड़ से खत्म करता है.

नंदिता बताती हैं कि चूंकि इसकी खुशबू बहुत तीव्र होती है इसलिए कई लोग इसे सीधे बालों में लगाने से कतराते हैं, ऐसे में इसे नारियल तेल, जैतून का तेल या जोजोब ऑइल के साथ मिलाकर भी बालों में लगाया जा सकता है.

त्वचा पर चमेली के तेल के फायदे
वह बताती हैं कि चमेली के तेल में विटामिन ई भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लामेट्री और एंटीसेप्टिक गुण भी पाए जाते हैं . ऐसे में यह त्वचा को प्राकृतिक नमी प्रदान करने के साथ ही मुँहासों तथा रेशेज आदि समस्या में भी राहत दिलाता है. चमेली का तेल त्वचा को हाइड्रेट तो करता ही है साथ ही प्रीमैच्योर एजिंग यानी उम्र से पहले त्वचा पर नजर आने वाले बुढ़ापे के असर को कम करता है. एसेंशियल ऑइल के रूप में त्वचा पर इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियां तथा रेखाओं में कमी आती है. वहीं इस तेल की मालिश तथा सामान्य इस्तेमाल से त्वचा पर सामान्य दाग-धब्बो, स्‍ट्रेच मार्क्‍स तथा घाव के निशान आदि भी हल्के हो सकते हैं.

आयुर्वेद में चमेली के तेल के फायदे
आयुर्वेद में चमेली को औषधि की श्रेणी में रखा जाता है तथा कफ पित्तशामक, वातशामक, त्रिदोषहर, व्रणरोपक, व्रणशोधक, वर्ण्य और वाजीकारक माना जाता है. भोपाल के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में सिर्फ इसके फूलों ही नही बल्कि इसके पत्तों तथा जड़ों का भी औषधियों में इस्तेमाल किया जाता है. पेट में कीड़े होने पर, एसीडिटी, रक्तपित्त ,मुखरोग, दांतों की समस्या, मुंह में छालें व बदबू, सरदर्द, माइग्रेन, पेट में कीड़े, खांसी – कफ, बुखार, मोतियाबिंद, सूजन, वात दोष तथा पेट में दर्द में चमेली युक्त औषधि के इस्तेमाल से काफी लाभ मिलता है.

चूंकि इसमें एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं इसलिए आयुर्वेद में किसी भी तरह के घाव पर चमेली का तेल को औषधि के रूप में लगाने की सलाह दी जाती है. इससे घाव जल्दी भर जाता है. वह बताते हैं कि अनिन्द्रा यानी नींद ना आने की बीमारी में भी चमेली के तेल तथा उससे बनी औषधि का इस्तेमाल काफी लाभकारी होता है. दरअसल अनिद्रा के कारण लोगों में कई बार तनाव अवसाद, थकान, कमजोरी तथा माइग्रेन जैसी समस्याएं भी देखने में आने लगती हैं. इस समस्याओं में भी इस तेल का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है.

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