नई दिल्ली:विश्वआर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) के उपलक्ष्य में दिल्ली के लोधी एस्टेट इलाके में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें आर्द्रभूमि (वेटलैंड) को संरक्षित करने पर चर्चा की गई. वेटलैंड क्यों जरूरी है, इस पर भी चर्चा की गई. 2 फरवरी 1971 में प्राकृतिक पर्यावरण और वेटलैंड को संरक्षित करने को लेकर ईरान के रामसर में एक कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे और इसी वजह से 2 फरवरी को विश्व वेटलैंड डे के रूप में मनाया जाता है.
वेटलैंड उन क्षेत्रों को कहा जाता है, जहां जल पूरे साल या कम से कम 6 महीने तक रहता है. जैसे तालाब, पोखर, नदी जैसे क्षेत्र इसके अंतर्गत आते हैं. वेटलैंड्स इंटरनेशनल दक्षिण एशिया ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में विश्व वेटलैंड्स दिवस पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया. वेटलैंड्स के मल्टीपल वैल्यूज के प्रति समाज को संवेदनशील बनाने के लिए किया गया. मौके पर G20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए. इस दौरान चर्चा की गईं कि पिछले तीन दशकों में प्राकृतिक आर्द्रभूमि का 30 प्रतिशत हिस्सा खो दिया गया है. वेटलैंड्स का नुकसान केवल एक पारिस्थितिक आपदा नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक जल बुनियादी ढांचे का भी महत्वपूर्ण नुकसान है.