दिल्ली

delhi

DUSU Election 2023: महिला मतदाताओं की संख्या अधिक, तय करेंगी चुनाव का रुख

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 21, 2023, 1:02 PM IST

Updated : Sep 21, 2023, 2:12 PM IST

DUSU चुनाव को लेकर छात्र संगठन भी महिलाओं की समस्याओं को जोर-शोर से उठा रहे हैं. डूसू में हमेशा से जीत दर्ज करने वाले छात्र संगठनों NSUI और ABVP ने एक-एक छात्रा उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. वहीं इसबार डीयू में 47 प्रतिशत छात्रों के मुकाबले 53 प्रतिशत छात्राओं का प्रवेश हुआ है. चुनाव का फैसला बहुत हद तक छात्राओं के वोट पर निर्भर करेगा.

Etv Bharat
Etv Bharat

नई दिल्ली: लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया है. वहीं इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव (डूसू) में भी महिलाओं से जुड़े हुए मुद्दों को खास तरजीह दी है. छात्र संगठन महिलाओं की समस्याओं को जोर-शोर से उठा रहे हैं. लेकिन उनकी चिंता टिकट वितरण में दिखाई नहीं देती. डूसू में हमेशा से जीत दर्ज करने वाले छात्र संगठनों एनएसयूआइ और एबीवीपी ने एक-एक छात्रा उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. डूसू चुनाव वर्ष 1959 से लड़ा जा रहा है. 64 सालों में 10 महिलाएं ही अध्यक्ष रही हैं. चुनावों में महिलाओं की भागीदारी कितनी कम है, इसको समझा जा सकता है. डीयू में आखिरी बार वर्ष 2008 में अध्यक्ष पद पर विद्यार्थी परिषद की प्रत्याशी रही नूपुर शर्मा ने जीत दर्ज की थी.

छात्राओं की दावेदारी अध्यक्ष पद के लिए क्यों नहीं?

बीते 15 सालों से डूसू में अध्यक्ष पद महिला विहीन रहा है. डीयू के इस वर्ष भी 47 प्रतिशत छात्रों के मुकाबले 53 प्रतिशत छात्राओं का प्रवेश हुआ है. ऐसे में जीत और हार का फैसला बहुत हद तक छात्राओं के वोट पर निर्भर करेगा. इसके बावजूद एनएसयूआइ और एबीवीपी ने छात्राओं की दावेदारी अध्यक्ष पद के लिए पेश नहीं की है.

डीयू के शैक्षणिक पदों पर भी महिलाओं का बोलबाला

दिल्ली विश्वविद्यालय में महिला आरक्षण की बात करें तो यहां पर शैक्षणिक पदों पर भी महिलाओं का बोलबाला है. डीयू के शिक्षक संगठन एनडीटीएफ के पदाधिकारी डॉ हंसराज सुमन ने बताया कि "डीयू में करीब 50 प्रतिशत पदों पर महिला शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि डीयू से संबद्धित 18 महिला कॉलेज हैं. इन कॉलेज में पहले से ही बड़ी संख्या में महिला शिक्षक नियुक्त हैं. अभी कुछ साल पहले ही इनमें पुरुष शिक्षकों की नियुक्ति होना शुरू हुई है. नहीं तो सभी शिक्षकों के पदों पर महिलाओं का ही बोल-बाला होता था" उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल पास होने से डीयू में महिलाओं को नुकसान हो सकता है, क्योंकि महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद उन्हें 33 प्रतिशत ही आरक्षण मिल पाएगा, जबकि अभी बिना आरक्षण के 50 प्रतिशत से ज्यादा पदों पर उनका कब्जा है.

महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती है विद्यार्थी परिषद- अपराजिता कुशवाहा

डूसू चुनाव में विद्यार्थी परिषद की सचिव पद की उम्मीदवार अपराजिता कुशवाहा ने कहा कि विद्यार्थी परिषद शुरू से ही महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य करती रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार महिला घोषणा पत्र भी जारी किया है और आगे भी छात्राओं से जुड़े मुद्दों को लेकर काम करते रहेंगे. विद्यार्थी परिषद से निकली हुई कई कार्यकर्ताओं ने भारतीय राजनीति में अपनी जगह बनाई है. पिछले चुनाव में भी संयुक्त सचिव पद पर विद्यार्थी परिषद की तरफ से शिवांगी खिरवाल ने जीत दर्ज की थी. इस बार विद्यार्थी परिषद 4-0 से डूसू चुनाव जीतेगी.

आइसा ने तीन प्रमुख पदों पर महिला प्रत्याशी को उतारा है

आइसा के पूर्व अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने कहा, छात्राओं की समस्याएं अधिक हैं. उनको छात्राएं सुलझा भी सकती हैं और समझ भी सकती हैं ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने सर्वाधिक तीन छात्राओं को प्रत्याशी बनाया है. आयशा खान अध्यक्ष, अनुष्का चौधरी उपाध्यक्ष और अंजलि कुमारी संयुक्त सचिव पद के लिए मैदान में हैं.

ETV GFX

वहीं एनएसयूआई दिल्ली के अध्यक्ष कुणाल सेहरावत का कहना है कि हमने एक पद पर छात्रा को टिकिट देने के साथ ही महिला घोषणा पत्र भी जारी किया है.

छात्र संगठन का नाम और उनकी महिला प्रत्याशी

छात्र संगठन का नाम महिला प्रत्याशी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) 1
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) 1
ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) 3
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) 2

यह भी पढ़ें-DUSU Election 2023: आज थम जाएगा चुनाव प्रचार, 10 सालों में 7 बार ABVP तीन बार एनएसयूआई को मिली जीत

यह भी पढ़ें-DUSU Election 2023: ABVP ने एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर छात्राओं से बदतमीजी का लगाया आरोप, NSUI ने किया पलटवार

Last Updated : Sep 21, 2023, 2:12 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details