नई दिल्ली:एक तरफ तो आम आदमी पार्टी यह दावा करती है कि दिल्ली में वह एक भी झुग्गी को तोड़ने नहीं देगी. वहीं दूसरी तरफ खुद डिप्टी सीएम का महकमा डिप्टी सीएम के मनाही के बावजूद धौलाकुआं कैंप को तोड़ने के लिए दोबारा नोटिस जारी कर रहा है. इस नोटिस के बाद ही पूरे कैंप में मानो मातम फैल गया है. कैंप में रहने वाले सैकड़ों परिवार के किसी भी घर में चूल्हा तक नहीं जला. दिनभर मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले यह गरीब मजदूर दिल्ली सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके घर को नहीं तोड़ा जाए.
चलिए धौलाकुआं के इस समस्या को लेकर आपको इसकी थोड़ी कहानी बताते हैं. दरअसल यहां झुग्गी में रहने वाले लोग यहां बीते कई दशकों से रह रहे हैं. यह जमीन सरकारी है और यह लोग शुरू से ही अवैध तरीके से यहां पर रह रहे हैं. 26 दिसंबर को यहां पीडब्ल्यूडी एक नोटिस चिपका जाती है, जिसमें इस झुग्गी को खाली करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया था. हमारी टीम को जैसे ही इसकी जानकारी मिली हमने इस खबर को किया और 8 जनवरी को पुरजोर तरीके से इसको अपने वेबसाइट पर प्रकाशित किया, नतीजा 9 जनवरी को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने तुरंत एक आदेश जारी किया, जिसमें साफ लिखा की मीडिया रिपोर्ट से उन्हें इस डेमोलेशन के बारे में पता लगा है, पीडब्ल्यूडी अविलंब डेमोलिशन की कार्रवाई पर फिलहाल के लिए रोक लगा दे.
उस दिन इस कैंप में मानो होली और दिवाली एक साथ आ गई. कैंप में रहने वाले लोगों ने दिल्ली सरकार को जी भर के दुआएं दी, यहां के बड़े बुजुर्ग और बच्चे सभी की मानो जिंदगी लौट आई हो, लेकिन इनकी खुशी महज चंद दिनों के लिए ही थी. क्योंकि 28 जनवरी को पीडब्ल्यूडी ने एक बार फिर यहां डेमोलिशन करने का नोटिस लगा दिया, जिसमें 3 फरवरी तक इस जगह को खाली कर द्वारका के आश्रय घर में जाने की बात कही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि धौलाकुआं के इस कैंप में सैकड़ों परिवार बीते कई दशकों से रह रहे हैं. यहां से जाने के बाद ना उनके सर पर छत होगा और ना ही कोई रोजगार, परिवार का पेट पालना इन के लिए मुश्किल हो जाएगा. लगातार सरकारी नोटिस से परेशान इन झुग्गी वालों ने कहा है कि अब अगर बुलडोजर यहां चला तो वह परिवार के साथ बुलडोजर के नीचे अपनी जान दे देंगे लेकिन इस जगह को नहीं छोड़ेंगे.