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दिल्ली बजट 2021: प्रवासी मजदूर को भी केजरीवाल सरकार से बड़ी उम्मीदें

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Published : Mar 8, 2021, 4:54 PM IST

दिल्ली में लगभग 10 लाख प्रवासी श्रमिक हैं, जिनमें से 1.31 लाख श्रमिक दिल्ली सरकार के दिल्ली निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत है. इसके साथ ही लगभग 80 हजार श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया भी जारी है.

दिल्ली के बजट से क्या चाहते हैं प्रवासी मजदूर, देखें वीडियो
दिल्ली के बजट से क्या चाहते हैं प्रवासी मजदूर, देखें वीडियो

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार 9 मार्च को अपना बजट पेश करने जा रही है. आम लोगों के साथ-साथ प्रवासी श्रमिक और बेरोजगारों को भी इस बजट से खास उम्मीदें हैं. प्रवासी श्रमिक और बेरोजगारों के लिए बजट में क्या कुछ होना चाहिए. इसको लेकर ईटीवी भारत ने कुछ प्रवासी श्रमिकों से बात की.

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'लौटना पड़ा अपने गृह नगर'

लॉकडाउन लागू होने के साथ ही दिहाड़ी मजदूरों और लेबरों का जिंदगी मुश्किलों से घिर गई. तमाम पाबंदियों के बावजूद मजदूर अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े. जब इन मजदूरों की कमाई का कोई जरिया नहीं बचा तो इन्होने ऐसे समय में अपने गृह नगर या गांव जाने का रास्ता चुना क्योंकि ऐसा करने से उनके जीवित रहने की संभावनाओं को भी बल मिला.


'मंडरा रहा है रोजगार का खतरा'

वर्तमान समय में में आर्थिक रूप से अक्षम इन प्रवासी मजदूरों के सामने दो समस्याएं मंडरा रही हैं. पहली है उनका रोजगार छिन जाना और दूसरा उनके कोरोना वायरस के संपर्क में आने का डर. बिना रोजगार इन गरीब मजदूरों के लिए दिल्ली जैसे शहर में जीवनयापन करना नामुमकिन है और वो भी तब जब उनके पास रहने के लिए छत तक ना हो या वो अपने पूरे परिवार के साथ फुटपाथ पर सो रहे हों.

'राशन-पानी की हो व्यवस्था'

भागलपुर के रहने वाले जमालुद्दीन दिल्ली में ठेला खींच कर अपने परिवार सहित जीवन यापन करते हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही रोजगार नहीं मिल रहा. मुश्किल से 50 से 100 रुपये की आमदनी होती है. बजट से हमें उम्मीद है कि हमें राशन-पानी मिल सके और हमारे लिए कोई रोजगार की व्यवस्था हो. क्योंकि लॉकडाउन के बाद से ही बाजार में रोजगार नहीं है. कभी-कभी 3 दिन तक हमें कोई काम नहीं मिलता. इतने पढ़े-लिखे नहीं हैं कि कोई नौकरी कर सकें. इसलिए बजट में हमारे लिए भी सरकार कुछ सोचे.

'हमारे लिए बजट में हों विशेष प्रावधान'

सोशल एक्टिविस्ट शबनम खान ने बताया कि कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने प्रवासी श्रमिक और बेरोजगारों के लिए अच्छा काम किया, लेकिन इससे ज्यादा की जरूरत थी. अब जबकि बजट पेश होने जा रहा है तो ऐसे में दिल्ली सरकार को बजट में प्रवासी श्रमिकों की बेहतरी के लिए कुछ विशेष प्रावधान करने चाहिए.

जिससे संकट के समय वह पलायन करने को मजबूर न हो पाए. क्योंकि लॉकडाउन के दौरान सबने मजदूरों का पलायन देखा था. कोई अपने बच्चे को लेकर जा रहा था तो कोई अपने परिवार को ठेला गाड़ी पर बैठा कर. तो आगामी बजट में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि किसी आपदा के समय प्रवासी श्रमिकों को दर-दर भटकना न पड़े और उनके लिए विशेष प्रावधान की भी व्यवस्था हो.

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दिल्ली में करीब 10 लाख प्रवासी श्रमिक

दिल्ली में लगभग 10 लाख प्रवासी श्रमिक हैं, जिनमें से 1.31 लाख श्रमिक दिल्ली सरकार के दिल्ली निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत है. इसके साथ ही लगभग 80 हजार श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया भी जारी है.


दिल्ली सरकार से मिलती है सहायता

श्रमिकों को दिल्ली सरकार से मिलने मिलने वाली सहायता के तहत घर निर्माण के लिए 3 से 5 लाख रुपये, मातृत्व लाभ में 30 हजार रुपये, टूल खरीदने के लिए 20 हजार रुपये का लोन व पांच हजार रुपये की सहायता राशि, श्रमिकों के प्राकृतिक मृत्यु पर एक लाख व दुर्घटना मृत्यु पर दो लाख की सहायता राशि, अपंग हो जाने पर एक लाख की सहायता राशि व तीन हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन, बच्चों की स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा के लिए पांच सौ से दस हजार रुपये प्रतिमाह, श्रमिकों व उनके बच्चों के विवाह के लिए 35 हजार से 51 हजार रुपये की सहायता राशि, वृद्धावस्था पेंशन के रूप में तीन हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाती है.

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