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पहलवानों की याचिका पर पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की स्थिति रिपोर्ट, अगली सुनवाई 27 जून को

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Published : May 27, 2023, 9:36 PM IST

दिल्ली पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट को में पहलवानों की याचिका पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है. पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया कि पीड़ित महिला पहलवानों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं.

पहलवानों की याचिका पर पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की स्थिति रिपोर्ट
पहलवानों की याचिका पर पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की स्थिति रिपोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट को सूचित किया कि पीड़ित महिला पहलवानों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं. सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों द्वारा दायर एक आवेदन में दिल्ली पुलिस ने एक स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को सूचित किया.

सुनवाई की आखिरी तारीख को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि वह कोर्ट के सामने सभी पीड़ितों का बयान दर्ज करे. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने दिल्ली पुलिस को 12 मई और 27 मई को दायर दोनों स्थिति रिपोर्ट शिकायतकर्ताओं को देने का निर्देश दिया. शिकायतकर्ताओं को दिल्ली पुलिस को आवेदन की एक प्रति उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया था. अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 जून को सूचीबद्ध किया है. विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव दिल्ली पुलिस के लिए पेश हुए और अदालत को सूचित किया कि सभी पीड़ितों के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं. मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया गया है.

शिकायतकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनिंदिया मल्होत्रा पेश हुईं. उन्होंने प्रस्तुत किया कि स्थिति रिपोर्ट की प्रतियां शिकायतकर्ताओं को प्रदान की जा सकती हैं. अदालत ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उन्हें प्रतियां उन्हें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. दिल्ली पुलिस ने 12 मई को भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन अपराध के एक कथित अपराध में महिला पहलवानों के दायर आवेदन पर एक स्थिति रिपोर्ट दायर की. अदालत को यह भी बताया गया कि मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.

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अदालत ने कहा था कि बयान दर्ज होने के बाद वह आवेदन पर फैसला करेगी. एपीपी अतुल श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया था कि आवेदन पर एक विस्तृत उत्तर दाखिल किया गया है. पीड़ितों में से एक का बयान आज अदालत में दर्ज किया जाना है. अदालत ने पुलिस से रिपोर्ट की एक प्रति बचाव पक्ष के वकील को देने को कहा था. एपीपी श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया कि रिपोर्ट को साझा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह यौन उत्पीड़न का मामला है और इससे जांच में बाधा आ सकती है और पीड़ितों की पहचान भी उजागर हो सकती है. मामले की गोपनीयता और संवेदनशीलता को देखते हुए रिपोर्ट किसी के साथ साझा नहीं की जानी चाहिए.

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