नई दिल्ली:दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) द्वारा रविवार को सभी जिला न्यायालय परिसर, दिल्ली उच्च न्यायालय, स्थायी लोक अदालत और न्यायाधिकरणों (ऋण वसूली, ट्रिब्यूनल और उपभोक्ता फोरम) में तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. सात जिला न्यायालयों में अपराधिक समझौता मामलों के निपटारे के लिए कुल 347 पीठो का गठन किया गया था. डीएसएलएसए के सदस्य सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि, राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल मिलाकर एक लाख 78 हजार 848 मामले निपटाए गए. इनसे 791.35 करोड़ रुपये करीब आठ अरब रूपये के राजस्व की प्राप्ति हुई.
इस बार लोक अदालत में निस्तारण के लिए दिल्ली हाईकोर्ट, न्यायाधिकरणों (डीआरटी व उपभोक्ता मंच) और सभी जिला न्यायालयों द्वारा 2,48,037 मामले रेफर किए गए थे. यह किसी राष्ट्रीय लोक अदालत में अब तक का सबसे अधिक रेफरल वाला आंकड़ा है. मुकेश गुप्ता ने आगे बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में आपराधिक समझौता योग्य मामले, सिविल मामले, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण से संबंधित मामले, बैंक वसूली मामले, वैवाहिक विवाद (तलाक के मामलों को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण मामले और श्रम विवादों से जुड़े मामले, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत आने वाले मामले इस बार निपटान के लिए नियत किए गए थे.
कई पुराने मामलों का निपटारा
- मोटर एक्सीडेंट क्लेम (एमएसीटी) केस नंबर 216/2017 शीर्षक ललिता यादव बनाम मेजर भावना में साउथ वेस्ट डीएलएसए द्वारका कोर्ट कॉम्प्लेक्स में मोटर दुर्घटना पीड़ित के आश्रितों को समझौते के अनुसार बीमा कंपनी द्वारा 1.38 करोड़ की राशि का भुगतान किया जाएगा.
- धारा 138 के अंतर्गत परक्राम्य लिखत अधिनियम के अंतर्गत केस न. 9731/2018 शीर्षक पूजा इन्फोटेक बनाम प्रभु प्रेम इन्फोटेक मामले मे 10.50 करोड़ की राशि का समझौता हुआ.
- इसके अतिरिक्त वर्ष 2013 का सबसे पुराना मामला न. 411651/2013 शीर्षक इलैक्ट्रिकल बनाम इंजीन्यरिंग सोल्यूशंस का समझौता हुआ.
- दिल्ली उच्च न्यायालय, नई दिल्ली में भी लोक अदालत पीठ का गठन किया गया, जहां 55 मामलों का निपटारा किया गया, जिसकी समझौता राशि 1.84 करोड़ रुपये थी.