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Article 370 निरस्त होने पर J&K में खेल के बुनियादी ढांचे को मिला नया रूप

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Published : Aug 3, 2022, 10:30 AM IST

जम्मू-कश्मीर में 70 साल से खिलाड़ी बिना पतवार के जहाज की तरह थे, क्योंकि किसी भी स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की प्रतिभा होने के बावजूद उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के सीमित अवसर ही मिल पाए. हालांकि, 5 अगस्त 2019 को संविधान में एक अस्थायी प्रावधान, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से हिमालयी क्षेत्र में खिलाड़ियों और महिलाओं के लिए नए रास्ते ही नहीं, बल्कि पूरी एक नई दुनिया ही खुल गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले शासन की ओर से जम्मू-कश्मीर के तथा-कथित विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का निर्णय एक गेम चेंजर साबित हुआ है. क्योंकि पिछले तीन साल के दौरान सरकार ने सुनिश्चित किया है कि जम्मू-कश्मीर के युवा खेल सहित जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करें.

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श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर में विश्व स्तरीय खेल बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जम्मू-कश्मीर को खेलों का पावरहाउस बनाने के लिए नई नीतियां पेश की गई हैं. अब उन स्थानीय खिलाड़ियों को हर संभव सहायता दी जा रही है, जो विभिन्न खेल विषयों में केंद्र शासित प्रदेश और देश को गौरवान्वित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. खेल गतिविधियां साल भर आयोजित की जा रही हैं, जबकि बुनियादी ढांचे का काम बड़े पैमाने पर चल रहा है. ध्यान केवल क्रिकेट और फुटबॉल जैसी गतिविधियों पर नहीं है, बल्कि वॉलीबॉल, खो-खो, कबड्डी, वॉटर एंड विंटर स्पोर्ट्स खेलों जैसी लोकप्रिय गतिविधियों को समान महत्व दिया जा रहा है, जिन्हें अतीत में नजरअंदाज कर दिया गया था.

जैसे कि जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370 को खत्म करने की तीसरी वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार है. केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन गर्व से दावा कर सकता है कि उसने खेल के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है और हिमालयी क्षेत्र के खेल क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाया गया है. एक प्रतिभाशाली कश्मीरी खिलाड़ी आरिफ खान ने इस साल फरवरी में बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. 31 साल के आरिफ खेलों में अकेले भारतीय प्रतियोगी थे, जिन्होंने स्लैलम और जाइंट स्लैलम स्पर्धाओं में क्वॉलीफाई किया था. वह खेलों के एक ही संस्करण की दो स्पर्धाओं में क्वॉलीफाई करने वाले पहले भारतीय थे.

आईपीएल टीम सनराइजर्स हैदराबाद के तेज गेंदबाज जम्मू निवासी उमरान मलिक की उम्र महज 22 साल है, जिन्होंने कई मौकों पर 150 किमी प्रति घंटे से अभी अधिक की रफ्तार से गेंदबाजी करके अपनी ओर ध्यान आकर्षित किया है. अपनी तेज गति से नाम बनाने वाले मलिक को भारतीय टीम में भी शामिल किया गया और उसने इस साल की शुरुआत में आयरलैंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया. केंद्रीय खेल मंत्रालय युवाओं के बीच खेलों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त धनराशि भी प्रदान कर रहा है. केंद्रीय खेल मंत्रालय ने पिछले तीन साल के दौरान हिमालयी क्षेत्र में खेलो इंडिया योजना के तहत 77 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 506.13 करोड़ रुपए का निवेश किया है.

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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में खेलो इंडिया योजना के तहत चौबीस खेल अकादमियों को मान्यता दी गई और 199 "खेलो इंडिया' केंद्र (जिला स्तर) और 11 खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को मंजूरी दी गई. इसके अलावा, सरकार के 'जम्मू और कश्मीर में खेल सुविधाओं में वृद्धि' (पीएमडीपी) कार्यक्रम के तहत, 30 खेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ-साथ खेल उपकरण, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में 273.85 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई.

पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अरुण जेटली को समर्पित एक बहु-खेल सुविधा केंद्र जम्मू क्षेत्र के हीरा नगर में आ रहा है. केंद्र खेल संरचना सुधार के लिए पीएमडीपी योजना के तहत 200 करोड़ रुपए की आवंटित लागत पर खोला जा रहा है. घाटी में शीतकालीन खेलों (विंटर गेम्स) को बढ़ावा देने के लिए उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग में एक विश्व प्रसिद्ध स्की-रिसॉर्ट में शीतकालीन खेलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा रहा है.

अतीत से तुलना की जाए तो केंद्र शासित प्रदेश में खेलों को काफी बढ़ावा मिल रहा है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन न केवल श्रीनगर और जम्मू शहरों में बल्कि जम्मू और कश्मीर के सभी 20 जिलों में गुणवत्तापूर्ण खेल सुविधाओं और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. हर जिले को शीर्ष स्तर के इनडोर और आउटडोर स्टेडियमों से लैस किया जा रहा है. प्रशासन जम्मू-कश्मीर के युवाओं को एशियाई खेलों और ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों के लिए तैयार करने का भी काम कर रहा है. पहले जम्मू-कश्मीर में बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा, प्रशिक्षण और कोच नहीं थे. पिछले तीन साल के दौरान खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए कोचों को काम पर रखा गया है, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए कौशल विकसित कर सकें.

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इस दौरान वाटर स्पोर्ट्स का पुनरुद्धार भी हुआ है. इस साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल द्वारा आयोजित पहली बार ओपन कयाकिंग और कैनोइंग मैराथन रेस श्रीनगर में झेलम नदी में आयोजित की गई थी. 5 अगस्त 2019 से पहले जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की थी. इस तरह के आयोजन असंभव ही बने हुए थे. ऐसा इसलिए था, क्योंकि आवश्यक बुनियादी ढांचे की भी कमी थी. पिछले तीन साल के दौरान इस तरह की गतिविधियों को आयोजित करने के लिए खेल के बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है.

जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक जल संसाधनों की उपलब्धता केंद्र शासित प्रदेश को सबसे पसंदीदा जल क्रीड़ा स्थल में बदल सकती है. पिछले साल रंजीत सागर बांध में वाटर स्पोर्ट्स शुरू किए गए थे और इस साल झेलम, मानसबल, निगीन और वूलर वाटर स्पोर्ट्स इवेंट की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. शिकारा रेगाटा की याद दिलाने वाली नौकायन गतिविधि, जो साल 1950 से 1980 के दशक में श्रीनगर में डल झील पर जल क्रीड़ा प्रतियोगिताओं की प्रमुख विशेषता हुआ करती थी, फिर से शुरू होने की संभावना है.

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केंद्रीय खेल मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के लिए दो जल क्रीड़ा केंद्रों को मंजूरी दी है. एक जम्मू में और दूसरा श्रीनगर में. मुख्य उद्देश्य ओलंपिक-मानक सुविधाओं का निर्माण करना और अगले ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रतिभा का निर्माण करना है. जल क्रीड़ाओं को दशकों से पिछले सत्तारूढ़ शासन द्वारा बड़े पैमाने पर उपेक्षित किया गया था. हालांकि, पिछले तीन साल में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं. जम्मू-कश्मीर सरकार ने पानी के खेल के प्रति उत्साही लोगों को सर्वोत्तम उपलब्ध सुविधा प्रदान करने के लिए रोइंग, कयाकिंग और कैनोइंग और कैनो स्लैलम के लिए 6 करोड़ रुपए के उपकरण खरीदे हैं.

कयाकिंग कैनोइंग पांचवां सबसे बड़ा ओलंपिक आयोजन है. पिछले चार साल में जम्मू-कश्मीर ने राष्ट्रीय स्तर पर 200 भागीदारी से 84 पदक हासिल किए हैं. नई खेल नीति ने भी बदलाव लाया है. इस साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में प्रशासनिक परिषद (एसी) ने जम्मू-कश्मीर खेल नीति 2022 के रोलआउट को मंजूरी दी थी. नई खेल नीति में खेल के बुनियादी ढांचे को विकसित करके और खिलाड़ियों को उनके संबंधित खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करके केंद्र शासित प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है. नीति सभी हितधारकों को शामिल करके और खेल के समग्र विकास के लिए अंतर-विभागीय तालमेल स्थापित करके उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करती है.

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यूटी की खेल प्रतिभा को और प्रेरित करने के लिए ओलंपिक, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई चैम्पियनशिप, विश्व कप, युवा ओलंपिक खेलों, दक्षिण एशियाई खेलों और विश्व विश्वविद्यालय खेलों/चैंपियनशिप में विजेताओं को विशेष नकद पुरस्कार दिए जाएंगे. इसके अलावा, सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और विभिन्न खेल विषयों में राष्ट्रीय स्कूल खेलों के विजेताओं को युवा सेवा और खेल निदेशालय द्वारा निर्दिष्ट छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी. इसके अलावा, विभिन्न आयोजनों में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण सुविधाओं के माध्यम से विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों की खेल जरूरतों को पूरा करने पर विशेष जोर दिया गया है.

साल 2021 में, जम्मू-कश्मीर के 17 लाख युवाओं ने विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लिया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इस साल सरकार संख्या में भारी वृद्धि की उम्मीद कर रही है और विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लेने के लिए लगभग 35 लाख युवाओं के शामिल होने की संभावना है. साल 2020-21 में, जम्मू-कश्मीर ने 14 खेल विषयों में 72 स्वर्ण, 90 रजत और 145 कांस्य पदक जीते.

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जम्मू-कश्मीर सरकार ने युवाओं के बीच खेल संस्कृति को विकसित करने के मिशन को शुरू किया है. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर के लोगों का मानना है कि 1989-90 में पाकिस्तान प्रायोजित विद्रोह के प्रकोप के कारण निलंबित की गई सभी गतिविधियों को पुनर्जीवित किया जाएगा और हिमालयी क्षेत्र की प्राचीन महिमा को बहाल किया जाएगा.

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