चेन्नई : रूस की एकीकृत परमाणु ऊर्जा प्रमुख रॉएटम ने बुधवार को कहा कि उसने तमिलनाडु के कुडनकुलम में बनने वाली पांचवीं 1,000 मेगावाट की परमाणु ऊर्जा इकाई के लिए थ्रस्ट और सपोर्टिंग रिंग भेज दी है. रॉसएटम ने कहा कि आइटम मशीन से बने छल्ले हैं जिनमें स्लॉट बने हुए हैं, जो मध्य भाग में और ऊपर से परमाणु रिएक्टर को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं तथा ऊपर की तरफ से या क्षैतिज टक्कर और भूकंपीय प्रभावों से बचाते हैं.
कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर भेजे गए उपकरणों में एक का वजन लगभग 20 टन और व्यास पांच मीटर से अधिक है. पहली बार, दो वस्तुओं को एक साथ मोटर वाहन परिवहन द्वारा भेज दिया गया. सबसे पहले, उपकरणों को सेंट पीटर्सबर्ग के बंदरगाह पर पहुंचाया जाएगा, और फिर समुद्र के रास्ते भारत भेजा जाएगा. रिएक्टर प्रथम सुरक्षा वर्ग का एक आइटम है, जो एक अण्डाकार तल के साथ ऊध्र्वाधर आकार में है. रिएक्टर के अंदर एक कोर और इंटर्नल्स हैं. ऊपर से उपकरण को ऊपर से ढंक कर सील कर दिया जाता है. इसके साथ ही उसे चलाने और नियंत्रित तथा सुरक्षित रखने करने के लिए जरूरी मेकेनिज्म इंस्टॉल किए जाते हैं. कोर में मॉनिटरिंग सेंसर से निकलने वाले केबलों को बाहर लाने के लिए नॉजल लगे होते हैं.
भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालक न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) के पास कुडनकुलम में 1,000 मेगावाट के दो संयंत्र (यूनिट 1 और 2) हैं, जबकि चार और (यूनिट 3, 4, 5 और 6) निमार्णाधीन हैं. सभी छह इकाइयां रॉसएटम द्वारा आपूर्ति की गई रूसी प्रौद्योगिकी और उपकरणों के साथ बनाई गई हैं. तीसरी और चौथी इकाई के निर्माण के लिए प्रमुख उपकरण रूस से कुडनकुलम पहुंच चुके हैं. पांचवीं और छठी इकाइयों के लिए बड़ी संख्या में पुर्जे रूस से आने हैं.
(आईएएनएस)
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