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क्यूबा ने चीन को द्वीप पर जासूसी केंद्र बनाने की अनुमति दी: अमेरिकी खुफिया विभाग

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Published : Jun 9, 2023, 8:40 AM IST

अमेरिकी खुफिया विभाग ने जानकारी दी है कि क्यूबा ने चीन को द्वीप पर जासूसी केंद्र बनाने की अनुमति दे दी है. सीएनएन को यह जानकारी दो खुफिया सूत्रों ने दी है. सूत्रों से पता चला है कि अमेरिका को योजना की भनक कई हफ्ते पहले ही मिल चुकी है.

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अमेरिकी खुफिया विभाग

वाशिंगटन:क्यूबा अपने द्वीप पर चीन को एक जासूसी केंद्र निर्माण कराने की अनुमति देने पर सहमत हो गया है. इस जासूसी केंद्र से दक्षिणपूर्वी अमेरिका पर नजर रखी जा सकती है. सीएनएन को यह जानकारी दो खुफिया सूत्रों ने दी है. सीएनएन ने बताया कि अमेरिका को पिछले कई हफ्तों से इस योजना की जानकारी थी. हालांकि, सूत्र का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि चीन ने जासूसी केंद्र का निर्माण शुरू कर दिया है या नहीं.

खुफिया जानकारी को लेकर दूसरे सूत्र का कहना है कि इससे पता चलता है कि सैद्धांतिक रूप से एक सौदा हो गया है लेकिन जासूसी केंद्र के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं जताई गई है. उधर, क्यूबा के उप विदेश मंत्री कार्लोस फर्नांडीज डी कोसियो ने इन खबरों का खंडन किया है. यह पहली बार नहीं होगा जब चीन ने अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक संचार की जासूसी करने का प्रयास किया है, जिसे सिग्नल इंटेलिजेंस के रूप में जाना जाता है.

सीएनएन ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि एक संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारा जो फरवरी में अमेरिका से गुजरा था, वह सिग्नल की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में सक्षम था और माना जाता है कि वह लगभग वास्तविक समय में बीजिंग वापस भेज दिया गया था. उस मामले में गुब्बारे को मारने से पहले अमेरिका ने संवेदनशील साइटों की सुरक्षा और खुफिया संकेतों को सेंसर करने के लिए कदम उठाए. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्यूबा में चीनी जासूसी सुविधा के निर्माण को रोकने के लिए अमेरिका क्या कर सकता है?

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राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने यह कहते हुए रिपोर्ट का खंडन किया कि यह रिपोर्ट सटीक नहीं है. क्यूबा के साथ चीन के संबंधों के बारे में हमारी वास्तविक चिंताएँ हैं और हम प्रशासन के पहले दिन से ही हमारे गोलार्ध और दुनिया भर में चीन की गतिविधियों के बारे में चिंतित हैं. हम इसकी बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और इसका मुकाबला करने के लिए कदम उठा रहे हैं. किर्बी ने कहा कि हमें विश्वास है कि हम देश और क्षेत्र में अपनी सभी सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम हैं.

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