नई दिल्ली/नोएडा:राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में दिव्यांग खिलाड़ियों ने बास्केटबॉल टूर्नामेंट में दमखम दिखाया. दरअसल इस कार्यक्रम का आयोजन ग्रेटर नोएडा के स्थापना दिवस के मौके पर किया गया था. बता दें कि दिव्यांगों के लिए यह पहल असिस्ट इंडिया के कार्तिकेय गोयल और पार्थ की तरफ से की जा रही है. इसमें ग्रेटर नोएडा के 24 स्कूलों ने हिस्सा लिया था.
'दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ना उद्देश्य'
असिस्ट इंडिया के संस्थापक कार्तिकेय गोयल ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना उनका प्रमुख उद्देश्य है. सोसायटी में अभी भी ऐसे लोग हैं जो दिव्यांगों से बात करने से बचते हैं. ऐसे में उन्होंने स्पोर्ट्स के जरिए दिव्यंगों को समाज से जोड़ने की एक पहल है. उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए हमेशा आगे आना चाहिए. इस मौके पर बच्चों की हौसला अफजाई करने के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के CEO नरेंद्र भूषण और जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह पहुंचे हुए थे.
यूं हुई थी असिस्ट इंडिया की शुरुआत
बता दें असिस्ट इंडिया की शुरुआत 3 वर्ष पहले हुई, असिस्ट इंडिया का उद्देश्य समाज को एक संदेश देना है कि खेल में किसी तरह का भेदभाव नहीं होता है. साथ ही दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना भी उद्देश्य है.
Body:"दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ना उद्देश्य"
असिस्ट इंडिया के संस्थापक कार्तिकेय गोयल ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना उद्देश्य, सोसायटी में अभी लोग जो दिव्यांगों से बात करने में बचते हैं। ऐसे में स्पोर्ट्स के जरिए दिव्यंगों को समाज से जोड़ने की एक पहल है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को सोसायटी से जोड़ने की दिशा में कदम उठाया है और आमजन से अपील करते हुए कहा कि दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
"दिव्यांग बच्चों ने दिखाया दमखम"
खेल समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ग्रेटर नोएडा कार्निवल के तहत बास्केटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें दिव्यांगों बच्चों ने भी प्रतिभाग कर वहां मौजूद सभी को भौंचक कर दिया और अपना दमखम दिखाया। बच्चों की हौसला अफजाई करने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के CEO नरेंद्र भूषण और जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह पहुंचे।
Conclusion:बता दें असिस्ट इंडिया की शुरुआत 3 वर्ष पहले हुई, असिस्ट इंडिया का उद्देश्य समाज को एक संदेश देना है कि खेल में किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। साथ ही दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना भी उद्देश्य है।