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मुरादनगर श्मशान हादसा : अपनी मांगों को लेकर पीड़िताओं ने नगर पालिका परिसर में किया प्रदर्शन

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Published : Nov 29, 2021, 6:07 PM IST

मुरादनगर श्मशान हादसे (Muradnagar crematorium accident) की पीड़ित महिलाओं ने मृतकों की होर्डिंग्स और बैनर लेकर न्याय की मांग की और नगर पालिका परिसर (municipality premises) में प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

muradnagar cremation ground accident
मुरादनगर श्मशान घाट हादसा

नई दिल्ली/गाजियाबाद : मुरादनगर श्मशान घाट हादसे (Muradnagar crematorium accident) की पीड़ित महिलाएं मृतक लोगों के फोटो होर्डिंग्स और बैनर लगाकर न्याय की मांग करते हुए और मुरादनगर नगर पालिका परिषद (Muradnagar Municipality Premises) के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नगर पालिका पहुंचीं. उन्होंने प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया.

तीन जनवरी को मुरादनगर नगर पालिका परिषद (Muradnagar Municipality Premises) के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण उखलारसी गांव में श्मशान घाट हादसा हुआ था, जिसमें करीब 25 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और इतने ही लोग घायल हुए थे. उस समय मृतकों के परिजनों के हाईवे जाम करने पर प्रशासन द्वारा मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी, मुआवजा, बच्चों की मुफ्त शिक्षा और आवास की घोषणा की गई थी, लेकिन हादसे के एक साल के बाद भी सरकार नौकरी और अन्य मांगें पूरी न होने के कारण अब पीड़ित मुरादनगर नगर पालिका परिषद में धरना-प्रदर्शन करने पहुंचे.

श्मशान घाट हादसे की पीड़िताओं का प्रदर्शन
श्मशान घाट हादसे की पीड़िता रजनी ने बताया कि इस हादसे में उन्होंने अपने बेटे, देवर, बुआ के बेटे और बुआ-सास के बेटे सहित चार लोगों को खोया है. उनकी देवरानी के घर में कोई भी कमाने वाला नहीं है तो वहीं दूसरी ओर उनके बेटे के गम में उनकी बेटी सदमे में रहती है. उनके घर में भी कोई भी कमाने वाला नहीं है. नगर पालिका परिषद के भ्रष्टाचार की वजह से वह लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. अगर उनके परिवार का एक भी शख्स जिंदा होता तो आज उनको नौकरी पाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता.
पीड़ित परिजनों ने लगाई गुहार
ईटीवी भारत को श्मशान घाट हादसे की पीड़िता मनीषा ने बताया कि इस हादसे में उन्होंने अपने पति और ससुर को खोया था. जिसके बाद से उनको अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. सरकार द्वारा 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है. उसका वह क्या करेंगे. बच्चों के एडमिशन के लिए भी उनको चक्कर काटने पड़े हैं.
नगर पालिका परिसर में पीड़ितों का धरना

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सरकारी नौकरी पाने के लिए वह करीब 11 महीने से संघर्ष कर रही हैं. ऐसे में उनको आलाधिकारी द्वारा संविदा पर नौकरी देने की बात कही जाती है. लेकिन वह संविदा पर नौकरी नहीं करना चाहते हैं. जिनकी लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ है. वह खुले घूम रहे हैं. उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. प्रशासन द्वारा दिए गए आवास को लेकर उनका कहना है कि आवास की हालत जर्जर हो रही है. ऐसा लगता है प्रशासन ने उनको मारने के लिए आवास दिया है. वह इस आवास को वापस कर देंगे.

मुरादनगर श्मशान हादसा पीड़ितों की गुहार
ईटीवी भारत को पीड़िता पूजा ने बताया कि सरकारी नौकरी की मांग को लेकर उन्होंने मुरादनगर नगरपालिका, गाजियाबाद जिलाधिकारी, सांसद, विधायक यहां तक के लखनऊ कमिश्नर से भी मुलाकात की है. उनको सिर्फ आश्वासन दिया जाता है. ऐसे में वह जानना चाहती हैं कि जिन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से यह हादसा हुआ है और जिन्होंने रिश्वत खाई है. वह खुले क्यों घूम रहे हैं.ये भी पढ़ें-मुरादनगर श्मशान घाट हादसा : गुजर गया साल न मिली नौकरी, न इंसाफ


ईटीवी भारत को पुष्प लता ने बताया कि उन्होंने इस हादसे में अपने पति को खोया था. उनका कहना है कि आज अगर उनकी मांगें मुरादनगर नगर पालिका परिषद में पूरी नहीं होती हैं. तो वह अगला धरना जिलाधिकारी ऑफिस में करेंगे. अगर वहां भी मांगे पूरी नहीं हुई तो वह लखनऊ तक धरना करेंगे. आज के धरने के बारे में उन्होंने पुलिस प्रशासन सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी को बता दिया था. इसके बावजूद अभी तक मुरादनगर नगर पालिका परिषद में चेयरमैन नहीं आए हैं.
वहीं दूसरी ओर इस धरने प्रदर्शन में पीड़िता अंजू भी शामिल हैं. जिनके पति इस हादसे में बुरी तरह घायल हो गए थे और करीब तीन महीने के इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. जिनको अभी तक प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है.

हालांकि धरने पर बैठी श्मशान घाट हादसे के पीड़ितों को मोदीनगर तहसीलदार हरी प्रताप सिंह और मुरादनगर थानाध्यक्ष सतीश कुमार समझाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी मांगों को जल्दी पूरा कराया जाएगा. ऐसे में वह धरने को समाप्त कर अपने घर वापस चली जाएं.

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