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आंदोलन में शामिल किसानों और मजदूरों की घर आए मेहमान की तरह सेवा कीः विजेंद्र यादव

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Published : Dec 10, 2021, 7:12 PM IST

संयुक्त किसान मोर्चा (sanyukt kisan morcha on andolan) द्वारा आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा के बाद किसान आंदोलन अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान अब घर लौटने की तैयारियों में जुटे हुए हैं. किसान आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के किसानों गाजीपुर बॉर्डर पर आना-जाना लगा रहा.

आंदोलन
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नई दिल्ली/गाजियाबाद: किसान आंदोलन के शुरुआती दौर में गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों के लिए खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी किसान नेता राकेश टिकैत ने गाजियाबाद भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष विजेंद्र सिंह यादव (Bijendra Singh Yadav, District President BKU Ghaziabad) को दी थी. इस जिम्मेदारी को किसान नेता बिजेंद्र सिंह यादव ने एक साल तक बखूबी निभाया.

किसान आंदोलन (farmers protest ) के दौरान लाखों की संख्या में किसान गाजीपुर बॉर्डर आते जाते रहे. विजेंद्र सिंह ने आंदोलनकारी किसानों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो इसका खासा ख्याल रखा. किसान नेता बिजेंद्र सिंह की उम्र तकरीबन 64 साल है. बिजेंद्र सिंह बताते हैं गाज़ियाबाद में किसानों का आंदोलन (farmers protest ) चल रहा था. गाजियाबाद का भारतीय किसान यूनियन का ज़िलाध्यक्ष हाेने के नाते मेरी ज़िम्मेदारी बनती थी कि आंदोलन के दौरान किसी भी किसान को कोई समस्या ना हो.आंदोलन में शामिल किसानों और मजदूरों की घर आए मेहमान की तरह सेवा की है.

गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान अब घर लौटने की तैयारियों में

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आंदोलनकारी किसानों के लिए तमाम व्यवस्था करने में ही दिन निकल जाता था. कई बार तो ऐसा होता था कि रात में सोने के लिए भी समय नहीं मिल पाता था. मेरी कोशिश यही रही कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसी भी आंदोलनकारी किसान को किसी प्रकार की कोई समस्या ना. किसानों के लिए व्यवस्था करने में गाजियाबाद जिला प्रशासन का भी पूरा सहयोग रहा. आंदोलन के शुरुआती दौर में ही गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन स्थल पर विजेंदर सिंह ने मेस बनाया था, जहां पर हर दिन हज़ारों किसानों के लिए खाना बनता था. गांवों से किसान आंदोलनकारी किसानों के लिए कच्चा राशन लेकर आते थे.

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कच्चा राशन को रखने के लिए बॉर्डर पर गोदाम तैयार किए थे. दूर राज्यों से आने वाले किसानों के लिए ठहरने की व्यवस्था की गई थी. ठंड के मौसम में किसानों के नहाने धोने के लिए गर्म पानी की व्यवस्था भी की. विजेंद्र सिंह बताते हैं कि गाजीपुर बॉर्डर पर अब तक कई करोड़ किसानों के लिए खाने-पीने, ठहरने और नहाने धोने की व्यवस्था कर चुके हैं. उन्हाेंने बताया कि कृषि कानूनों की वापसी (farmers agitation ends) के बाद किसानों में खुश हैं लेकिन दूसरी तरफ आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों के खोने का गम भी है.



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