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ट्रांसजेंडर के लिए अलग से वाशरुम बनाने का काम तेजी से चल रहा है : दिल्ली सरकार

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Published : Aug 3, 2022, 9:44 PM IST

हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि ट्रांसजेंडर के लिए अलग से वाशरुम का निर्माण करने की दिशा में तेजी से काम चल रही है. दिल्ली सरकार ने कोर्ट को ये बताया कि ये काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.

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दिल्ली हाईकोर्ट की खबरें

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने कहा है कि ट्रांसजेंडर के लिए अलग से वाशरुम का निर्माण करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. दिल्ली सरकार ने ये बातें दिल्ली हाईकोर्ट को एक हलफनामा के जरिये दी है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 14 नवंबर को करने का आदेश दिया है.

दिल्ली सरकार ने कोर्ट को ये बताया कि वो ट्रांसजेंडर के लिए अलग से वाशरुम बनाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है और ये काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. दिल्ली सरकार ने कहा कि दिव्यांगों के लिए बने 505 वाशरुम को भी ट्रांसजेंडर्स के इस्तेमाल के लिए चिह्नित किया गया है. ट्रांसजेंडर के लिए नौ नए वाशरुम बना लिए गए हैं और उनके लिए 56 वाशरुम बनाने का कार्य प्रगति पर है. दिल्ली सरकार की इस स्टेटस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस संबंध में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

26 जुलाई 2021 को हाईकोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया था. याचिका लॉ छात्रा जासमीन कौर छाबड़ा ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत 5 अक्टूबर 2017 को जारी दिशानिर्देश में ट्रांसजेंडर के लिए अलग से टॉयलेट बनाने की जरुरत बताई गई थी. लेकिन ये लागू नहीं किया जा रहा है. याचिका में वाशरुम की साफ-सफाई रखने का दिशानिर्देश देने की मांग की गई है. साफ-सफाई हर नागरिक का अधिकार है.

याचिका में ट्रांसजेंडर पर्संस एक्ट को लागू करने की मांग की गई है. इस कानून में शिक्षा, रोजगार, हेल्थकेयर, आवागमन इत्यादि के मामलों में ट्रांसजेंडर्स के साथ भेदभाव करना अपराध करार दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने ट्रांसजेंडर के लिए टॉयलेट का निर्माण करने के लिए फंड जारी किया है लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि मैसूर, भोपाल और लुधियाना में सार्वजनिक शौचालयों में ट्रांसजेंडर के लिए अलग से वाशरुम बनाने पर काम चल रहा है लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ये शुरु नहीं किया गया है. ऐसा नहीं करना संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है। ट्रांसजेंडर्स को पुरुषों वाले टॉयलेट की इस्तेमाल करना होता है.

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