चोरी की गाड़ियां तलाशने में दिल्ली पुलिस फेल, जानिए क्या हैं चुनौतियां
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Published : Dec 24, 2021, 2:13 PM IST
दिल्ली में औसतन 30 हजार से ज्यादा गाड़ियां प्रत्येक वर्ष चोरी हो जाती है. वहीं, 6 हजार से ज्यादा झपटमारी की वारदातों को एक साल के भीतर अंजाम दिया जाता है.
Vehicle theft and snatching cases in delhi during eight years
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रत्येक वर्ष वाहन चोरी एवं झपटमारी के मामले (Vehicle theft and snatching cases) बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन चोरी की गाड़ी एवं झपटे गए मोबाइल की बरामदगी के प्रतिशत में कोई खास इज़ाफ़ा नहीं हो रहा है. यह जानकारी गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की तरफ से लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी गई है. उन्होंने बताया है कि चोरी के मामलों में 8 फीसदी कार एवं 13 फीसदी दुपहिए ही दिल्ली पुलिस बरामद कर पाती है.
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में औसतन 30 हजार से ज्यादा गाड़ियां प्रत्येक वर्ष चोरी (Cars stolen every year) हो जाती है. वहीं 6 हजार से ज्यादा झपटमारी की वारदातों को एक साल के भीतर अंजाम दिया जाता है. लोकसभा में यह सवाल पूछा गया था कि ऐसी वारदातों में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) कितनी वारदातों को सुलझा पाती है. इसके अलावा वाहन चोरी एवं झपटमारी (Vehicle theft and snatching) के मामलों में दिल्ली पुलिस की बरामदगी का क्या प्रतिशत है. इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की तरफ से लोकसभा में बताया गया है कि चोरी की 8 फीसदी कार एवं 13 फीसदी बाइक को पुलिस बरामद कर लेती है. वहीं झपटमारी में गए लगभग 25 फीसदी मोबाइल को दिल्ली पुलिस बरामद कर लेती है.
चोरी की गाड़ियां तलाशने में दिल्ली पुलिस फेल, जानिए क्या हैं चुनौतियां
दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि चोरी की गाड़ियों एवं झपटमारी के सामान को बरामद करने में शुरू से ही दिल्ली पुलिस काफी पीछे रही है. उन्होंने बताया कि वाहन चोरी के मामलों में आरोपी कुछ ही समय में दिल्ली छोड़कर बाहर निकल जाते हैं. वह गाड़ियों को मेरठ के आसपास कटवा देते हैं या फिर उत्तर-पूर्वी राज्यों, बिहार एवं झारखंड में उन्हें फर्जी दस्तावेजों पर बेच देते हैं. इसकी वजह से उन गाड़ियों को बरामद करना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में पीड़ित को भी इंश्योरेंस की तरफ से रुपये मिल जाते हैं, इसलिए वह भी पुलिस पर ज्यादा दबाव नहीं डालता. उन्होंने बताया कि वाहन चोरी के मामले कई बार रंगे हाथ आरोपी के पकड़े जाने पर सुलझते हैं. कई बार मुखबिरों के जरिये ऐसे गैंग पकड़े जाते हैं. पुलिस इस तरह के अपराध करने वाले गैंग पर भी लगातार नजर रखती है. लेकिन इसके बावजूद चोरी की गाड़ियों का बरामद प्रतिशत नहीं बढ़ सका है. उन्होंने बताया कि इसे बढ़ाने के लिए उन राज्यों की पुलिस से तालमेल के साथ काम करना होगा जहां ज्यादा चोरी की गाड़ियां बेची जा रही है. वहां अगर पुलिस गाड़ियों की जांच अभियान चलाये तो निश्चित रूप से बड़ी बरामदगी होगी. पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि झपटमारी के मामले में भी दिल्ली पुलिस अपनी तरफ से केस सुलझाने के लिए पूरा प्रयास करती है. खासतौर से अगर मोबाइल झपटा गया हो तो टेक्निकल सर्विलांस की मदद से उसे बरामद करने का प्रयास किया जाता है. लेकिन कई बार ऐसे गैंग दिल्ली से बाहर ले जाकर मोबाइल को बेच देते हैं. इसके अलावा मोबाइल को अलग-अलग हिस्सों में बेचने के मामले भी सामने आते हैं. इनकी वजह से झपटे गए मोबाइल की बरामदगी का प्रतिशत महज 20 से 25 फीसदी रहता है. उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस की मेहनत से इसमें आने वाले समय में और सुधार आएगा.