नई दिल्ली : मुंडका अग्निकांड को लेकर आम आदमी पार्टी और MCD की सत्ता पर काबिज भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. इसी बीच इस हादसे में करीब ढाई-तीन सौ लोगों के मरने की आशंका जतायी जा रही है. जिनमें से महज 58 लोगों को ही जिंदा बचाया जा सका है. मुंडका अग्निकांड में अब तक 27 लोगों के शव बरामद हुए हैं. इन मृतकों में 21 महिलाएं तो 6 पुरुष शामिल रहे. दिल्ली पुलिस के बयान के मुताबिक इन 27 लोगों के शव में 8 शवों को उनके परिजनों ने पहचान कर ली है. जिन्हें पोस्टमॉर्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया है. जबकि बाकी 19 शवों के लिए परिवार आज भी अस्पताल में बैठा इंतजार कर रहे हैं. अब बोरियों में भरकर लाशें गायब करने की बात भी सामने आ रही है.
लाश गायब होने की आशंका के साथ ही लाश का इंतजार करते इन्हीं तमाम लोगों में से एक निशा का परिवार भी है जो अस्पताल की मोर्चरी के बाहर बैठा है. और गोद में निशा की दो महीने की दुधमूंही बच्ची भी है. जिसे हर पल मां की ममतामयी छांव की दरकार और इंतजार है. इस बदनसीब के हिस्से मां की लाश देखना भी मयस्सर नहीं है. क्योंकि इसकी मां इस अग्निकांड की ऐसी भेंट चढ़ी कि आज तक उसकी लाश भी नहीं मिल सकी है.
मृतक निशा के परिजन का आरोप है कि फैक्ट्री के गोदाम में ढाई-तीन सौ लोग काम करते थे. उस दिन भी करीब इतने ही लोग वहां मौजूद थे. जिनमें से सिर्फ 27 लोगों के मरने की बात कही जा रही है. और महज 58 लोग जिंदा बचे. तो सवाल ये है कि बाकी लाशें कहां चली गईं. उनका आरोप है कि हर रोज बोरियों में भरकर लाशें गायब की जा रही हैं. उनका दावा है कि बीते दिन भी बोरियों में भरकर लाशें गायब की गईं. ऐसे में सवाल ये है कि इस दुधमूंही बच्ची को और इनके इन परिजनों को निशा की लाश भी क्या नसीब नहीं होगी.