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Explainer: दिल्ली में शराब को लेकर शोर क्यों? क्या है पूरा मामला और क्या है इसका भविष्य?

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Published : Aug 8, 2022, 11:40 AM IST

Updated : Aug 8, 2022, 3:57 PM IST

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राजधानी में नई आबकारी नीति (New Excise Policy) यानी शराब की बिक्री को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए दिशा-निर्देश को वापस ले लिया गया है. इस फैसले से अभी काफी शोर मच रहा है. दिल्ली सरकार इसके लिए उपराज्यपाल को जिम्मेदार बता रही है. वहीं उपराज्यपाल ने इस नीति को लागू करने में हुई अनियमितता का हवाला देते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी है. इस पर पूरा मामला क्या है? नई नीति का विरोध क्यों? इस बारे में पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट...

नई दिल्लीःदिल्ली में पहले शराब की बिक्री सरकारी दुकानों में होती थी. निर्धारित रेट पर ही चुनिंदा जगहों पर खुली हुई दुकानों में ही शराब बेची जाती थी. यह वर्षों पुरानी बनाई गई नीति के तहत शराब की बिक्री होती थी. केजरीवाल सरकार ने गत वर्ष नवंबर में शराब की बिक्री के लिए नई आबकारी नीति (New Excise Policy) को लागू किया. इसके तहत शराब की बिक्री की जिम्मेदारी निजी कंपनियों और दुकानदारों को दे दिया गया. सरकार का कहना था कि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगा होगा और कम कीमत पर लोग शराब खरीद सकेंगे. इसके अलावा दुकान पर देसी-विदेशी सभी ब्रांडों की शराब एक जगह मिलेगी. लेकिन नई आबकारी नीति (New Excise Policy) के तहत नवंबर से दिल्ली में शराब की दुकानों को अचानक बंद करने का सरकार ने फैसला लिया है. इससे शराब की बिक्री को लेकर अफरा-तफरी मच गई.

पुरानी आबकारी नीति के तहत कैसे बिकती थी शराब?

पुरानी शराब पॉलिसी में L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था, जिसमें L1 दुकानें डीडीए के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शॉपिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं. दोनों तरह के लाइसेंस 2003 से चल रहे थे. L10 वाइन शॉप के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए थे. पुरानी पॉलिसी के तहत 260 प्राइवेट रिटेल शॉप, 480 गवर्नमेंट शॉप यानी कुल 740 शॉप थी. हर साल वेंडर लाइसेंस रिन्यू के लिए फीस भरता है. हालांकि होलसेल की प्राइस फिक्स थी और बिलिंग अमाउंट पर वैट लगता था.

नई आबकारी नीति

नई आबकारी नीति के तहत किस तरह किया गया प्लान?

दिल्ली की नई आबकारी नीति (New Excise Policy) 2021-2022 के तहत पूरी दिल्ली को 32 लिकर जोन में बांटा गया. 9 जोन ने पहले ही लाइसेंस सरेंडर कर दिया है. इसके तहत 849 दुकानें खुलीं. 31 जोन में 27 दुकानें मिली. एयरपोर्ट जोन को 10 दुकानें मिलीं. 639 दुकानें 9 मई को और 464 दुकानें 2 जून को खोली गईं. जबकि 17 नवंबर 2021 को लागू होने से पहले दिल्ली में शराब की कुल 864 दुकानें थी. 475 दुकानें सरकार चला रही थी, जबकि 389 दुकानें प्राइवेट थीं.

नई आबकारी नीति को लागू करने का खास मकसद क्या था?

दिल्ली में नई आबकारी नीति को लागू करने के पीछे दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा तर्क शराब माफिया को खत्म करने और शराब के समान वितरण का था. साथ ही शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 साल कर दी गई. इसके साथ ही ड्राइडे भी घट गए. इस नीति के लागू होने से दिल्ली पहली सरकार बनी जिसने शराब व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया. पब्लिक प्लेस में स्टोर के आगे कोई शराब पीता है तो पुलिस नहीं बल्कि स्टोर वाला जिम्मेदार होगा. लोगों को स्टैंडर्ड लेवल की शराब पीने को मिलेगी.

नई आबकारी नीति

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव क्यों?

दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनातनी जारी है. आबकारी विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुंचाने के इरादे से तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नीति लागू होने से ठीक पहले नीति में बदलाव किया इससे सरकार को रेवेन्यू का तगड़ा नुकसान हुआ. इसीलिए इस मामले की जांच सीबीआई करें. वहीं अब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस पॉलिसी को लागू करने में हुई चूक और कथित अनियमितताओं के मामले में अब कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. उन्होंने तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर ए गोपी कृष्ण और डिप्टी कमिश्नर आनंद कुमार तिवारी समेत 11 लोगों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं.

किस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने 11 अधिकारियों के खिलाफ की कार्रवाई?

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा आबकारी विभाग के पूर्व कमिश्नर ए गोपी कृष्ण और डिप्टी कमिश्नर आनंद कुमार तिवारी समिति ने 11 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. यह कार्रवाई दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उपराज्यपाल को सौंपी गई 37 पेज की रिपोर्ट के बाद की गई है. रिपोर्ट में सतर्कता विभाग की जांच को आधार बनाया गया है. विजिलेंस विभाग द्वारा दी गई अपनी रिपोर्ट में नई आबकारी नीति में कई तरह की कथित गड़बड़ियों को बताया गया है. इसमें एयरपोर्ट पर शराब की दुकान खोलने के लिए जरूरी एयरपोर्ट ऑपरेटर से एनओसी लाने में कामयाब ना होने वाले कंपनी को 30 करोड़ रुपये वापस किए जाना बताया गया है. इसे नियमों के खिलाफ बताया गया है.

नई आबकारी नीति

इसी तरह कोरोना काल में लाइसेंसधारकों को 144 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देना, मैन्युफैक्चरर्स और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को रिटेल में शराब बेचने का टेंडर मिलने, शराब कारोबारियों के एक साथ बिजनेस करने को आधार बनाया गया है. रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर ए गोपीकृष्ण और डिप्टी कमिश्नर आनंद कुमार तिवारी को सस्पेंड करने संबंधी फाइल केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई है, जबकि तीन असिस्टेंट कमिश्नर पंकज भटनागर, नरेंद्र सिंह, नीरज गुप्ता सेक्शन ऑफिसर कुलदीप सिंह, सुभाष रंजन, सुमन डीलिंग हैंड सत्यव्रत भटनागर, सचिन सोलंकी और गौरव मान को निलंबित कर दिया गया है. इनमें से पूर्व कमिश्नर की जगह अब कृष्ण मोहन आ गए हैं.

नई आबकारी नीति

उपराज्यपाल की कार्रवाई के बाद क्यों भड़के मनीष सिसोदिया?



दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का आरोप है कि कुछ चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुंचाने की नीयत से उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति में शराब की दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले पॉलिसी में फेरबदल किया. उन्होंने कहा कि इससे सरकार को राजस्व के हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है. उन्होंने सीबीआई से इस मामले की जांच की भी मांग की है. सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल ने अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला? इससे किन दुकानदारों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ? उपराज्यपाल ने यह निर्णय खुद लिया या किसी के दबाव में? उन दुकानदारों ने इसके बदले किसे कितना फायदा पहुंचाया है? इन सब प्रश्नों की जांच होनी चाहिए. इसे लेकर उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर सुबोध कुमार को पत्र भी लिखा है.

सिसोदिया का कहना है कि दिल्ली में नई आबकारी नीति 2021-22 तब के उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद ही लागू की गई थी. कैबिनेट की ओर से 15 अप्रैल 2021 को पास किए गए प्रस्ताव में तत्कालीन उपराज्यपाल ने कई बदलाव की भी करवाए थे और उनकी मंजूरी से ही इसे लागू किया गया. इस नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाते हुए उन्हें पूरी दिल्ली में समानता के आधार पर वितरित करने का प्रावधान रखा गया था. नई आबकारी नीति की जानकारी देते हुए लिखा गया था कि दिल्ली में जहां पहले एक भी दुकाने नहीं वहां दुकान खोली जाएं.

अब आगे क्या होगा?

दिल्ली में शराब की बिक्री को लेकर मची अफरातफरी के बीच फिलहाल नई आबकारी नीति को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है. यह इसलिए किया गया ताकि नई नीति के तहत जो दुकानें खुली थी, वहां से शराब का स्टॉक निकल जाए. साथ ही इस दौरान पहले की तरह यानि नवंबर 2021 से पहले जिस नियम के तहत शराब की बिक्री होती थी, वह दोबारा व्यवस्थित रूप से चल सके. इधर, नई आबकारी नीति को रद्द करने और पुरानी नीति को लागू करने को लेकर सरकार और उपराज्यपाल के बीच जो तनातनी बनी हुई है, इस संबंध में पूर्व नौकरशाह उमेश सहगल कहते हैं कि चूंकि जांच सीबीआई को सौंप दी गयी है, इसलिए जांच होने तक दोनों को इंतजार करना चाहिए.

नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली में शराब बिक्री से चालू वित्त वर्ष में आबकारी राजस्व 10 हजार करोड़ के करीब पहुंचने की उम्मीद थी. इसके लिए 32 जोन बनाए गए थे. शुरुआती दौर में आबकारी विभाग ने कुल 32 जोन में से 20 जोन का आवंटन कर करीब 5300 करोड़ रुपये जमा किए थे.



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Last Updated :Aug 8, 2022, 3:57 PM IST

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