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सोनिया गांधी बोलीं, दिल्ली हिंसा मामले में विपक्षी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग साजिश का हिस्सा

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Published : Aug 30, 2022, 4:53 PM IST

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

दिल्ली हिंसा के मामले में हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग के पीछे एक बड़ी साजिश है. लॉयर्स वॉयस ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर विपक्षी नेताओं को दिल्ली हिंसा का जिम्मेदार ठहराया था.

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कहा है कि दिल्ली हिंसा के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग के पीछे एक बड़ी साजिश है. दोनों नेताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि याचिकाकर्ता ने इस मामले में विपक्षी दलों को तो पक्षकार बनाया है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी के लोगों को छोड़ दिया है, जो एक साजिश की ओर इशारा करता है.

सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हलफनामे में कहा गया है कि सत्ताधारी दल के नेताओं की ओर से दिया गया भाषण हेट स्पीच की श्रेणी में आता है. हलफनामे में कहा गया है कि विपक्षी नेताओं का काम सरकार की नीतियों की आलोचना करना और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाना है. हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने उनके भाषण को संपूर्णता से पेश नहीं किया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं को 28 फरवरी को नोटिस जारी किया था. दरअसल एक याचिकाकर्ता शेख मुज्तबा और दूसरे याचिकाकर्ता लॉयर्स वॉयस ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर नेताओं को दिल्ली हिंसा का जिम्मेदार ठहराया था. शेख मुज्तबा ने बीजेपी के चार नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के भाषणों को उकसाने वाला और हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया था.

लॉयर्स वॉयस ने 20 नेताओं को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. लॉयर्स वॉयस ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनीष सिसोदिया, अमानतुल्लाह खान, वारिस पठान, अकबरुद्दीन ओवैसी, वकील महमूद प्राचा, हर्ष मांदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, उमर खालिद, मौलाना हबीब उर रहमान, मोहम्मद दिलावर, मौलाना श्रेया रजा, मौलाना हामूद रजा, मौलाना तौकीर, फैजुल हसन, तौकीर रजा खान और बीजी कोसले पाटिल शामिल हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इन नेताओं को पक्षकार बनाने से पहले इनका जवाब जानना जरुरी है. उसके बाद कोर्ट ने इन नेताओं को नोटिस जारी किया.

24 फरवरी को कोर्ट ने एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को चुनौती देनेवाली याचिकाकर्ता की इस मांग को खारिज कर दिया था कि उसे इस मामले में पक्षकार बनाया जाए. याचिकाकर्ता की ओर से वकील पवन नारंग ने कहा था कि इस मामले में शेख मुज्तबा की उस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की. तब कोर्ट ने कहा था कि आप न तो इस मामले से कहीं जुड़े हुए हैं और न ही आप सीधे पक्षकार हैं. 8 फरवरी को कोर्ट ने लॉयर्स वॉयस और शेख मुज्तबा फारुख को जरुरी पक्षकारों को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी थी.

8 फरवरी को शेख मुज्तबा की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने भी दंगा भड़काने में मदद की, लेकिन एक भी एफआईआर दिल्ली पुलिस के खिलाफ दर्ज नहीं किया गया है. लॉयर्स वॉयस की ओर से वकील सोनिया माथुर ने कहा था कि वे भी कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ हेट स्पीच संबंधी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही हैं. उसके बाद कोर्ट ने दोनों को उन नेताओं को भी पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने का निर्देश दिया.

बता दें कि 27 फरवरी 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टालते हुए 13 अप्रैल 2020 को सुनवाई करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी. हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2020 को हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई कर जल्द फैसला लें.

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