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श्रमिकों के पलायन से प्रभावित परियोजनाओं में काम करेंगे बेघर, एजेंसियों से बात जारी

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Published : Jul 22, 2020, 4:43 PM IST

दिल्ली में श्रमिकों की कमी से कई परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है. इसी कारण दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डुसिब) के अधिकारी विभिन्न एजेंसियों से संपर्क में है. इसके तहत रैन बसेरे में रहने वालों को दिल्ली मेट्रो में साफ-सफाई के काम पर भी लगाने की योजना है.

many projects affected due to lack of migrant workers in delhi homeless people
प्रभावित परियोजनाओं में काम करेंगे बेघर

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से काफी संख्या में मजदूरों का पलायन हो चुका है. श्रमिकों की कमी से कई परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है. दिल्ली मेट्रो सहित कई योजना में काफी संख्या में सफाई कर्मचारियों की जरूरत है. इस कारण दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड यानी (डुसिब) अब रैन बसेरों में रहने वालों को बड़ी परियोजनाओं के काम पर लगाने की कोशिश में जुट गया है.

प्रभावित परियोजनाओं में काम करेंगे बेघर


दिल्ली मेट्रो समेत अन्य परियोजनाओं से संपर्क

डुसिब के अधिकारी विभिन्न एजेंसियों से संपर्क में है. इसके तहत रैन बसेरे में रहने वालों को दिल्ली मेट्रो में साफ-सफाई के काम पर भी लगाने की योजना है. इससे मेट्रो परिचालन शुरू होने पर कामकाज में राहत मिल सकती है. डुसिब इन्हीं लोगों को कारपेंटर, मिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण भी दे रहा है. डुसिब के सीईओ विकास आनंद के अनुसार इन बेघर लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है.


मोबाइल एप भी किया जा रहा विकसित

डुसिब एक मोबाइल ऐप भी बना रहा है. इसमें सभी का डाटाबेस तैयार किया जाएगा. जिसमें हर बेघर के बारे में जानकारी होगी. इस डाटाबेस को उद्योगों या निर्माण क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के सामने पेश किया जाएगा. यदि उद्योगों या निर्माण क्षेत्र के निदेशक राजी होंगे, तो इन लोगों को काम दिलाया जाएगा. इस कार्य में डुसिब इनकी मदद करेगा.

कामगारों की कमी की भारपाई करेंगे बेघर


कामगारों की कमी की भारपाई करेंगे बेघर

डुसिब का मानना है कि इस समय लाखों लोग अपने गांव चले गए हैं. कामगारों की दिल्ली में कमी है. यदि यह लोग एक बार काम में लग गए तो भीख मांगना छोड़ देंगे. अगर 30 से 40 फीसद लोग भी शिफ्ट हो जाते हैं तो यह बड़ी उपलब्धि होगी. डुसिब में समय-समय पर ऐसे लोगों को प्रशिक्षण दिला चुका है. जिसमें सिलाई, पलंबर, इलेक्ट्रिशियन का काम शामिल है. इसके अलावा 90 बेघरों को मारुति सुजुकी के माध्यम से वाहन चलाने का प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है. इससे छह लोग नौकरी पा चुके हैं और वाहन चला रहे हैं.


बता दें कि दिल्ली में 200 के करीब स्थाई रैन बसेरे चल रहे हैं. जिनमें 10000 लोग रह रहे हैं. इनमें से ज्यादातर बेरोजगार हैं. कुछ लोग ऐसे हैं कि ढाबे पर नौकरी करते थे. लॉकडाउन से ढाबा बंद हो गया और नौकरी छूट गई. यह लोग बेरोजगार हो गए. ये लोग अपने गांव भी जाना नहीं चाहते हैं. इससे मंदिर, मस्जिदों, गुरुद्वारों के आसपास भीख मांगने वालों की संख्या भी अच्छी खासी हो गई है.

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