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नारी तू नारायणी: एक मां की संघर्ष गाथा, जिसने दिलाया निर्भया को इंसाफ

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Published : Mar 8, 2021, 6:02 AM IST

Updated : Mar 8, 2021, 11:53 AM IST

साल 2012, दिल्ली की वो सर्द रात में हुई घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया था. भले ही घटना को 8 साल पूरे हो चुके हैं, बावजूद इसके जेहन में वो यादें ताजा हैं. जानिए उस मां का क्या कहना है जिसने सब कुछ परे रख कर इंसाफ के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे...

Nirbhaya mother and Seema Kushwaha lawyer struggle
महिला दिवस: निर्भया की मां और सीमा कुशवाहा का संघर्ष

कई बार गिरी, संभली, फिर उठी

न्याय की लड़ाई में वो अटल रही

जिसने अंत तक हार नहीं मानी..

निर्भय होकर 'निर्भया' के लिए न्याय मांगने की

निर्भया की मां के संघर्ष की बात

साल 2012, दिल्ली की वो सर्द रात में हुई घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया था. भले ही घटना को 8 साल पूरे हो चुके हैं, बावजूद इसके जेहन में वो यादें ताजा हैं. बात कर रहें हैं 16 दिसंबर को हुए निर्भया केस की. इस घटना की जानकारी लोगों को मिलते ही लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. लोगों में आक्रोश देखने के बाद लगा कि आरोपियों को सजा जल्द मिलेगी, लेकिन जैसे जैसे समय बीता तो लगा की लोगों का आक्रोश कहीं धूमिल हो गया है. वहीं इन सब के बीच धूंध के पहरे में खिलते सूरज की तरह निखरी निर्भया की मां....वो मां जिसने सब कुछ परे रख कर कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे क्योंकि उस मां ने महसूस की थी बेटी की तकलीफ.

आज महिला दिवस के दिन एक बार फिर बताते हैं एक मां के संघर्ष की वो कहानी, जो अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ी . जिसने हर किसी के दिल और दिमाग पर अमिट छाप छोड़ दी. निर्भया की मां, आशा देवी बताती हैं कि निर्भया 12-13 दिन जिंदा थी, लेकिन ऐसी हालत में थी कि उसे एक चम्मच पानी नहीं दिया जा सकता था. निर्भया को जब होश आया तो उसने पानी मांगा, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि इनका ऐसा कोई सिस्टम नहीं बचा, जिसमें पानी दिया जा सके. इस बात को सोच कर आशा देवी बिलख उठती हैं.

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आशा देवी का कहना है कि आज भी हाथों में पानी लेकर खड़ी रहती हैं और सोचती हैं कि वो अभागे मां-बाप हैं, जिसकी बेटी पानी मांग रही थी, लेकिन हम नहीं दे पाए. यह तड़प आज भी उनके दिल में रहती है. आशा देवी का कहना है कि उनकी बेटी तो उनके साथ नहीं है लेकिन वो हमेशा महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के लिए अवाज उठाएंगी.

'मुझे नहीं पता कि लाइफ में क्या करूंगी, कैसे करूंगी, लेकिन मैं अपनी शक्ति के साथ हर उस बच्ची के साथ खड़ी रहूंगी, जिसके साथ अन्याय होगा. - आशा देवी, निर्भया की मां'

नारी तू नारायणी

जेल मैन्युअल के मुताबिक अंतिम वक्त तक जीने का अधिकार है. वहीं एक से ज्यादा साथी हैं तो सजा एक साथ मिलेगी. ऐसे में आशा देवी बताती हैं कि कई बार स्थिति बहुत खराब हो जाती थी. निर्भया की घटना से हमें सीख लेनी चाहिए.

'विक्टिम को कोई अधिकार नहीं मिलता, विक्टिम होकर हम इंतजार करते हैं, आरोपी अपील करे तब सुनवाई होगी. - आशा देवी, निर्भया की मां'

नारी तू नारायणी

आशा देवी का मन कई बार डगमगाया, हर बार सोचने पर मजबूर हुई की बेटी को इंसाफ मिलेगा या नहीं. कई बार फांसी टली. कई बार मन में सवाल खड़े हुए. उनका कहना है कि सिस्टम बदलने के लिए कोई सोचने को तैयार नहीं. आगे भी बच्चियों को इंसाफ मिलना चाहिए.

'छोटी घटनाओं पर ध्यान देंगे तो बड़ी घटनाएं रोकी जा सकेंगी. आप क्राइम को रोकें, इस बारे में बात करें.- आशा देवी, निर्भया की मां'

नारी तू नारायणी

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इस कठीन सफर में निर्भया की मां का साथ देने वाली दूसरी महिला रहीं सीमा कुशवाहा, निर्भया मामले की वकील. सीमा दिन रात निर्भया को न्याय दिलवाने की लड़ाई में अटल रही.

'बेटी ने जो चाहा था वो प्रावधान नहीं है, फांसी की सजा का प्रावधान आईपीसी में है. सजा मिलने के बावजूद भी दर्द अभी भी कम नहीं हुआ है. सीमा कुशवाहा, निर्भया मामले की वकील'

नारी तू नारायणी

मामले में कई सालों तक कानूनी दांव-पेच के बाद आखिरकार निर्भया के साथ दुष्कर्म करने वाले सभी आरोपियों को फांसी की सजा साल 2020 में दी गई.

Last Updated : Mar 8, 2021, 11:53 AM IST

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