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गोडसे ने यहां रची थी गांधी की हत्या की साजिश

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Published : Oct 1, 2020, 10:08 PM IST

30 जनवरी 1948 की शाम आज तक सबसे मनहूस मानी जाती है, क्योंकि इसी शाम दिल्ली के बिड़ला भवन में चली गोली की आवाज ने पूरे देश को 'खामोश' कर दिया था. उस दिन गोड्से की पिस्तौल से निकली गोलियों ने मानवता को मौत की नींद सुला दिया था. जिसने अहिंसा की विचारधारा पर प्रतिघात किया था. उस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर गोली चलाई गई थी. जिसकी पटकथा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में लिखी गई थी. पढ़िए पूरी खबर...

nathuram godse planned of mahatma gandhi assassination in gwalior
महात्मा गांधी हत्या

नई दिल्ली/ग्वालियर: 30 जनवरी 1948 को भारत के इतिहास में काला दिन माना जाता है. ये काला दिन इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसी दिन शाम को जब दिल्ली के बिड़ला भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रार्थना सभा से उठ रहे थे, उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू के सीने को गोली से छलनी कर दिया था. नाथूराम गोडसे ने बापू की हत्या की साजिश की पटकथा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रची थी.

महात्मा गांधी हत्याकांड की साजिश

हिंदू महासभा का गढ़ रहा है ग्वालियर

ग्वालियर शुरू से ही हिंदू महासभा का गढ़ रहा है, जहां आज भी गोडसे को भगवान की तरह पूजा जाता है. उन दिनों गोडसे के सहयोगी ग्वालियर आते-जाते थे. 20 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या की नाकाम कोशिश के बाद गोडसे ग्वालियर आए और यहां कुछ दिन रहे. कुछ दिनों बाद गोडसे ने अपने साथियों के बदले खुद ही गांधी की जान लेने की तैयारी की और ग्वालियर में हिंदू महासभा के नेता के साथ मिलकर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रची.

500 रुपए में पिस्टल खरीद ग्वालियर में ली ट्रेनिंग

गांधी की हत्या करने में गोडसे की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परचित गंगाधर दंडवत ने की. ग्वालियर में शिंदे की छावनी वो जगह थी, जहां से पिस्टल खरीदी गई थी और यहीं पर नाथूराम को महात्मा गांधी की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया था. नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली, जब नाथूराम गोडसे ने बंदूक चलाने का प्रशिक्षण ले लिया तो उसके बाद 29 जनवरी की सुबह नाथूराम गोडसे ग्वालियर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

30 जनवरी की शाम होते ही नाथूराम गोडसे दिल्ली के बिड़ला भवन पहुंचे और में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी किसी के सीने में तीन गोलियां दाग दीं. गोली की इस गूंज से पूरे देश में सन्नाटा छा गया, चारों ओर अफरा-तफरी मच गई, पूरा देश आंसुओं में डूब गया, जबकि हिंदू महासभा इस हत्या को अपनी जीत मान कर बेहद खुश हुई.

बापू की हत्या आज भी मिशन

ग्वालियर में हिंदू महासभा के सदस्य आज भी बापू महात्मा गांधी की हत्या को एक मिशन के रूप में मानते हैं. उनका कहना है कि नाथूराम गोडसे द्वारा बापू महात्मा गांधी को मारना एक मिशन था और एक मिशन के तहत ही नाथूराम गोडसे ग्वालियर आए थे. गौरतलब है कि ग्वालियर मध्य भारत से ही हिंदू महासभा का गढ़ है और यहीं मध्य भारत से हिंदू महासभा का प्रमुख कार्यालय मौजूद है. आज भी ग्वालियर में नाथूराम गोडसे को हिंदू महासभा के लोगों द्वारा पूजा जाता है. उनके कार्यालय में नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित है, हालांकि मूर्ति के विरोध होने के चलते कार्यालय से उसे हटा दिया गया है, लेकिन आज भी नाथूराम गोडसे की पूजा की जाती है.

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