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AIIMS में बढ़ेगी लिवर ट्रांसप्लांट व फेफड़े की बीमारियों के इलाज की सुविधा, दोगुने से ज्यादा होंगे बेड

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Published : Aug 27, 2022, 5:01 PM IST

दिल्ली एम्स
दिल्ली एम्स

एम्स में सांस की बीमारी व फेफड़े के कैंसर respiratory disease and lung cancer के मरीजों की सख्या बढ़ रही है. इसलिए फेफड़े की बीमारियों के इलाज की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी.

नई दिल्ली:दिल्ली के एम्स में सांस की बीमारियों व फेफड़े के कैंसर के मरीजों की सख्या बढ़ रही है. इसलिए फेफड़े की बीमारियों के इलाज की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी. साथ ही लिवर प्रत्यारोपण की सुविधा भी बढ़ेगी.

दरअसल, एम्स के मुख्य अस्पताल से सर्जरी विभाग को नए ब्लाक में शिफ्ट किए जाने के बाद तीन वार्ड खाली हुए हैं. इसलिए न्यू प्राइवेट वार्ड से पल्मोनरी मेडिसिन विभाग को मुख्य अस्पताल के खाली हुए दो वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा.

इस वजह से फेफड़े की बीमारियों के इलाज के लिए दोगुने से ज्यादा बेड बढ़ जाएंगे. इसके अलावा लिवर व फेफड़ा प्रत्यारोपण के लिए भी खाली हुए वार्ड में पांच बेड आरक्षित रहेगा. इसलिए लिवर व फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा भी बढ़ेंगी. एम्स प्रशासन ने 25 अगस्त को ही मुख्य अस्पताल के खाली हुए सी-सात व डी-सात वार्ड को पल्मोनरी मेडिसिन विभाग को आवंटित करने का आदेश जारी किया है. सी-सात वार्ड में 48 व सी-डी वार्ड में 28 वार्ड है. इस तरह दोनों वार्ड को मिलाकर 76 बेड है.

फेफड़े की बीमारियों के इलाज की सुविधा
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डा. डीके शर्मा ने कहा कि न्यू प्राइवेट वार्ड में मौजूद पल्मोनरी विभाग से ब्रोंकोस्कोपी लैब, स्लीप लैब, डे केयर कीमोथेरेपी इत्यादि सभी सुविधाएं स्थानांतरित होनी है. इसलिए मुख्य अस्पताल में विभाग के लिए निर्धारित किए गए दोनों वार्ड का आंतरिक साज सज्जा नए सिरे से डिजाइन किया जाएगा. वार्ड में ब्रोंकोस्कोपी लैब, स्लीप लैब, डे-केयर कीमोथेरेपी इत्यादि सुविधाओं के लिए जगह निर्धारित की जाएगी. इसके बाद वार्ड में बेड की संख्या निर्धारित की जाएगी.

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