नई दिल्ली :दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों में जिस फ्री बिजली का उदाहरण पेश करके केजरीवाल लोगों को पार्टी से जुड़ने और चुनाव में जिताने की अपील करते हैं. लेकिन अब केजरीवाल सरकार के दिल्ली में बिजली बिल पर सब्सिडी का विकल्प लेने की बात पर बीजेपी हावी हो गई है. बीजेपी का कहना है केजरीवाल सरकार अब बेनकाब हो गई है.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है कि केजरीवाल का फ्री दिल्ली मॉडल अब पूरी तरह से बेनकाब और फेल हो चुका है. केजरीवाल सरकार ने पहले तो फिक्स बिजली देने के नाम पर दिल्ली में लूट मचाई. जिसमें किसानों को भी नहीं बख्शा गया. और जब उससे भी मन नहीं भरा तो अब दिल्लीवासियों को अक्टूबर से बिजली शुल्क देने का अल्टरनेटिव भी दे डाला है. क्योंकि अब उन्हें ही सब्सिडी मिलेगी जो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हैं. या जिन्हें केजरीवाल का संरक्षण प्राप्त है. हालत यह है कि दिल्ली के हर विभाग में इतनी लूट मचाई है कि सब कुछ खोखला हो चुका है. चाहे बिजली विभाग हो, दिल्ली जल बोर्ड हो, परिवहन विभाग हो या फिर शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग हो.
सब्सिडी मॉडल के तहत नहीं देना पड़ता है बिजली बिल
दिल्ली में बिजली सब्सिडी मॉडल के तहत जो प्रति माह 200 यूनिट से कम खपत करते हैं, उन्हें कोई बिजली बिल नहीं देना पड़ता है. 200 यूनिट से 400 यूनिट के बीच खपत करने वालों को भी सब्सिडी दी जाती है. जो प्रति लोड के लिए निर्धारित शुल्क पर आधारित होती है.
उपभोक्ताओं की तादाद से ज्यादा सब्सिडी मॉडल के तहत आने वालों की तादाद में हुआ इजाफा
2019-20 से 2021-22 के बीच उपभोक्ताओं की संख्या में 2.74 लाख का इजाफा हुआ है. इस बीच 0-200 यूनिट खपत श्रेणी में आने वालों में 1.71 लाख की वृद्धि भी हुई है. जिन परिवारों को 400 यूनिट तक की खपत के लिए सब्सिडी प्राप्त हुई है. ऐसे उपभोक्ताओं की तादाद में ज्यादा वृद्धि देखी गई है. आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि में उपभोक्ताओं की तादाद में 2.74 लाख की वृद्धि हुई है. जबकि सब्सिडी प्राप्त करने वालों की संख्या में 2.97 लाख की वृद्धि हुई है.
सब्सिडी के दायरे में आने के लिए लोग बचाते हैं बिजली
बिजली विभाग के एक अधिकारी के अनुसार यह आंकड़ा काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह दर्शाता है कि ऐसे कई लोग हैं, जो सब्सिडी के दायरे में आने के लिए हर तरह से बिजली बचाने की कोशिश करते हैं. हैरत की बात है कि बीते 2 साल से ऐसे कई श्रेणी के लोग हैं, जो घरों से ही काम कर रहे हैं. ऐसे में बिजली बिल ज्यादा आना चाहिए, लेकिन बिजली बिल ज्यादा आने की बजाए सब्सिडी श्रेणी के लोगों के आंकड़े में वृद्धि हो रही है.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता कहते हैं कि केजरीवाल सरकार की बिजली को लेकर राजनीति तो उस वक्त ही उजागर हो चुकी थी. जब कोरोना काल में दुकानदारों से लेकर विभिन्न फैक्ट्रियों से कमर्शियल रेट पर बिजली शुल्क की वसूली की गई थी. जहां सभी राज्यों ने बिजली शुल्क में उपभोक्ताओं को राहत दी थी, वहीं बजट में बिजली बिलों में साल भर के लिए 2820 करोड़ की सब्सिडी देने का वादा करने वाली केजरीवाल सरकार लॉकडॉउन में उन पैसों से खुद की जेब भरने का काम किया. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान ऑफिस और दुकानें बंद रही. ऐसे में बिजली की खपत लगभग 7409 मेगावाट रही, लेकिन केजरीवाल सरकार 22,876 मेगा वाट के फिक्स्ड चार्ज के बिल भिजवाती रही.
बकौल आदेश गुप्ता पंजाब में सरकार बनने के बाद केजरीवाल को अपना चेहरा चमकाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ रही है. उसके लिए नया पैतरा अपनाते हुए कह रहे हैं कि दिल्ली के लोग चाहते हैं कि उन्हें बिजली पर कोई सब्सिडी ना दी जाए. और उनके बिजली के पैसों का इस्तेमाल विकास में किया जाए, लेकिन केजरीवाल को बताना चाहिए कि दिल्ली के टैक्स पेयर के पैसों का वे अभी तक क्या करते रहे हैं. और आगे बिजली से आने वाले पैसों का क्या करेंगे. हकीकत तो यही है कि अब उन्हें सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पंजाब में भी चेहरा चमकाने के लिए और अधिक पैसों की जरूरत पड़ रही है.