नई दिल्ली :दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों के पांच लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया. उन्होंने व्यंग्य किया कि केंद्र सरकार के पास क्या पैसों की कमी हो गयी है, जो स्कूल, अस्पताल में फ्री शिक्षा, इलाज की सुविधा खत्म करना चाहती है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से जनता को फ्री में मिलने वाली सुविधाओं का जिस तरीके से विरोध किया जा रहा है. वह बेहद हैरान कर देने वाला है. ऐसा कहा जा रहा है कि अगर सरकार जनता को फ्री सुविधाएं देंगी तो सरकार कंगाल हो जाएगी, जो देश के लिए नई आफत पैदा कर देगा. इन सारी फ्री सुविधाओं को तुरंत प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए. इससे मन में यह शक पैदा होता है कि क्या केंद्र सरकार की आर्थिक हालत वर्तमान समय में कही बहुत ज्यादा खराब तो नहीं हो गई है. आजादी मिलने के बाद पिछले 75 साल से लगातार पूरे देश भर के सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा लोगों के बच्चों को मिल रही है. अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज लोगों को मिल रहा है, तो अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन सारी चीजों को बंद करने या फिर इन चीजों को लेकर विरोध किया जा रहा है. सरकारी स्कूलों में फीस लगाए जाने की मांग उठ रही है. क्या केंद्र सरकार की आर्थिक स्थिति वाकई में ठीक है ?
केजरीवाल ने कहा कि अग्निवीर योजना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा यह कहा गया कि सैनिकों का पेंशन बिल इतना है कि सरकार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है.आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार कह रही है कि हमसे पेंशन बिल बर्दाश्त नहीं हो रहा है, जो बेहद हैरान कर देने वाला है. आज तक किसी भी सरकार ने यह नहीं कहा कि देश की सुरक्षा के लिए पैसे की कमी हो गई है. सैनिकों को जो पेंशन केंद्र सरकार के द्वारा की दी जाती है. वह अहसान के रूप में नहीं दी जाती. वह इसलिए दी जाती है क्योंकि जो सैनिक है अपनी जान दांव पर लगाकर बॉर्डर पर खड़े होकर हमारी रक्षा करते हैं. लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सरकार सैनिकों की पेंशन बिल है, उसका भार भी वहन नहीं कर पा रहे हैं.
मनरेगा योजना पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश का सबसे गरीब आदमी को सरकार 100 दिन के लिए काम देती है और फिर पैसा देती है. लेकिन केंद्र सरकार कह रही है कि हमारे पास इनको देने के लिए भी पैसा नहीं है. इस बार के बजट में मनरेगा योजना में 25 फीसदी की कटौती कर दी गई है. सरकार कह रही है कि पैसा नहीं है. केंद्र सरकार देश भर से जितना टैक्स इकट्ठा करती हैं उसमें से एक हिस्सा राज्यों को देती है.