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शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर कुदसिया बाग में प्रदर्शनी का आयोजन

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Published : Sep 28, 2022, 6:27 PM IST

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर (Occasion of birth anniversary of Bhagat Singh) केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के ऐतिहासिक कुदसिया बाग में प्रदर्शनी का आयोजन (Exhibition organized in Qudsia Bagh) किया. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उद्घाटन किया. भगत सिंह के जीवन से जुड़ी हर बात को प्रदर्शनी में दिखाने की कोशिश की गई है.

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नई दिल्लीः दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर (Occasion of birth anniversary of Bhagat Singh) कश्मीरी गेट स्थित दिल्ली की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर कुदसिया बाग में प्रदर्शनी (Exhibition organized in Qudsia Bagh) का उद्घाटन किया. प्रदर्शनी दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग द्वारा शहीद भगत सिंह के जीवन वृतांत पर आधारित ‘मेकिंग ऑफ ए रेवोलुशनरी’ के नाम पर आयोजित की गई.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भगत सिंह का पूरा जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. चाहे उनका बचपन हो, उनकी स्कूल-कॉलेज के दिनों की क्रांतिकारी गतिविधियां हो या फिर देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे से झूल जाना. उनका हर वृतांत हमें देशभक्ति के भाव से सराबोर कर देता है और देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है.

शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर प्रदर्शनी.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि 23 साल की छोटी उम्र में आज जब युवा नौकरी ढूंढने, करियर बनाने को लेकर सोच रहे होते है, उस दौर में शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी प्रयासों और देश के लिए बलिदान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को दिशा और गति दी. यही कारण है कि आज वे सभी व्यक्ति जिनके अंदर देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है, भगत सिंह उन सभी के प्रेरणास्रोत है.

शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर प्रदर्शनी.

प्रदर्शनी में भगत सिंह के जन्म 1907 से लेकर 1931 में उनकी मृत्यु तक के जीवन, इतिहास और घटनाओं को चार भागों में प्रदर्शित किया गया. पहले भाग में सरदार भगत सिंह के जन्म और उससे जुड़े स्थान, उनके परिवार, उनके विद्यालय आदि के बारे में अवगत कराया गया है. दूसरे भाग में भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों के आरंभ के बारे में दर्शाया गया है कि किस प्रकार बचपन से ही भगत सिंह ब्रिटिश राज के अत्याचारों के खिलाफ अपने दिल में बदले की भावना के बीज बो रहे थे.

तीसरे भाग में दिल्ली की केन्द्रीय विधानसभा अर्थात् आज के संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह द्वारा फेंके गए बम और उससे संबंधित दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया है. अंतिम भाग में भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु तथा सुखदेव के हृदयविदारक फांसी के दृश्य को दर्शाते हुए शहीद भगत सिंह के त्याग, बलिदान और समर्पण व देश पर मर मिटने के जज्बे को सलामी दी गई है.

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एक महीने तक चलने वाली यह प्रदर्शनी निःशुल्क रहेगी. यहां कोई भी सामान्य व्यक्ति मंगलवार (28 सितंबर) से लेकर अगले एक महीने तक सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक भगत सिंह के जीवन से जुड़ी हुई बातें को जान सकता है, समझ सकता है और अपने जीवन में उतार भी सकता है.

वहीं, इस मौके पर दिल्ली के छावला गांव में तिरंगा फहराकर कर भगत सिंह को याद करते हुए सलामी दी गई और पूरे छावला इलाके में उनकी तस्वीर और तिरंगे के साथ तिरंगा यात्रा निकाली गई. इसमें काफी संख्या में बाइक सवारों के साथ पैदल महिला और पुरुषों ने भी भाग लिया. इस मौके पर शहीद भगत सिंह के पौत्र, यादवेंद्र सिंह संधू मुख्य अतिथि के रूप में उनके जन्मदिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर तिरंगा यात्रा.
आईटीबीपी के जवानों के साथ दिल्ली पुलिस के जवानों और वहां मौजूद लोगों ने सलामी देकर उनको याद किया. इसके बाद भगत सिंह पार्क से तिरंगा यात्रा निकाली गई, जिसमें काफी संख्या में महिला-पुरुषों के साथ बाइक सवार भी शामिल हुए. जिन्होंने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की तस्वीर और तिरंगा के साथ पूरे छावला गांव में तिरंगा यात्रा निकाली. इस दौरान भारत माता और शहीद भगत सिंह के जयकारे भी लगते रहे और देशभक्ति के धुनों पर सभी थिरकते भी नजर आए.

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