नई दिल्ली:हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जो शरद, चैत्र, माघ और आषाढ़ के महीने में पड़ती है. शरद और चैत्र के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए विशेष होती है. वहीं माघ और आषाढ़ के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि तांत्रिकों व अघोरियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहते हैं तथा दिन-रात उनकी उपासना करते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है और जिनका समापन 10 अप्रैल को होगा. अबकी चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है. इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा. वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हालांकि कि गुप्त नवरात्रि भी आती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की लोक मान्यता ज्यादा है. इस नवरात्रि माता भक्तों को दर्शन देने के लिए घोड़े में सवार होकर आ रही हैं. शक्ति का स्वरुप माने जाने वाली मां दुर्गा को समर्पित यह 9 दिन बेहद कल्याणकारी होते हैं. इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और पूरे भारत में भक्ति और उल्लास का माहौल रहता है.
घटस्थापना तिथि - 2 अप्रैल 2022 :चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है जो चंद्रमा का प्रतीक हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी बुरे प्रभाव और शगुन दूर होते हैं. इस दिन भक्तों को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए.
द्वितीया तिथि - 3 अप्रैल 2022 :मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है और चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को प्रदर्शित करती हैं और जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सच्चे दिल से करता है उसके सभी दुख, दर्द और तकलीफें दूर हो जाती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हरे रंग के कपड़े पहनें.
तृतीया तिथि - 4 अप्रैल 2022 :नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है जो शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. इनकी पूजा करने से शक्ति का संचार होता है तथा हर तरह के भय दूर हो जाते हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा में ग्रे रंग का कपड़ा पहनें.
चतुर्थी तिथि - 5 अप्रैल 2022 :चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है जो सूर्य देव को प्रदर्शित करती हैं. चतुर्थी तिथि पर संतरे रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है. मां कुष्मांडा की पूजा करने से भविष्य में आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती हैं.