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पहले ट्यूमर ले साइज को हटाया, फिर उसे दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचाए बगैर निकाला

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Published : Feb 7, 2022, 10:30 PM IST

डाउन स्टेजिंग थेरेपी से एक 48 वर्षीय कैंसर के मरीज के पेट से 65 सेमी लंबे पांच किलो वजनी ट्यूमर को सर गंगाराम हॉस्पिटल में निकाल कर मरीज के स्प्लीन, कोलन, लिवर और ड्राईफ्रॉम जैसे वाइटल ऑर्गन्स को बचाते हुए एक नई जिंदगी दी.

डॉक्टरों ने मरीज के पेट से ट्यूमर
डॉक्टरों ने मरीज के पेट से ट्यूमर

नई दिल्ली:जब पेट के अंदर पांच किलो का ट्यूमर हो और यह आसपास के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों बड़ी आंत, स्प्लीन, डाईफ्रॉम और लिवर पर जबरदस्त दबाव बनाकर मरीज के डेली रूटीन को काफी प्रभावित कर रहा हो, तो ऐसी परिस्थिति में आपका डॉक्टर अगर तत्काल सर्जरी करने की बजाय सर्जरी को लेट करने के बारे में सलाह दे तो ऐसे में परिजनों के धैर्य का जवाब देना लाजिमी है. पांच किलो वजनी ट्यूमर के आकार को 63 सेंटीमीटर से घटाकर 42 सेंटीमीटर तक लाने के लिए मरीज को पांच महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा. उसके बाद डॉक्टर ने मरीज की सर्जरी सफलतापूर्वक कर ट्यूमर को हटाकर उसे एक नई जिंदगी दी. डॉक्टर को पूरा भरोसा था कि ट्यूमर डाउन स्टेजिंग टेक्निक से बढ़ेगा नहीं, बल्कि इसका आकार घटेगा. जब ट्यूमर का साइज घट जाएगा तो उसे दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान किए बगैर आसानी से पेट से बाहर निकाला जा सकता है.

मरीज के पेट से 63 सेमी लंबे और पांच किलो वजनी ट्यूमर सफलतापूर्वक निकालने वाले सर गंगा राम हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एवं लिवर ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर उश्वस्त धीर बताते हैं कि 5 महीने पहले उनके पास 48 वर्षीय एक ऐसा मरीज आया जो अपने पेट में 63 सेंटीमीटर लंबा और लगभग 5 किलो वजनी ट्यूमर पाल रहा था. इतने बड़े ट्यूमर की वजह से मरीज ना कुछ खा रहा था ना पी रहा था और पेट में असहनीय दर्द हो रहा था. सीटी स्कैन जांच में पता चला की पेट में एक बड़ा ट्यूमर है, जो स्प्लीन, लीवर, डाईफ्रॉम और कोलोन से चिपका हुआ था. इस केस में तुरंत सर्जरी करना जरूरी था , लेकिन अगर ऐसा किया जाता तो मरीज के लिए बहुत खतरा होता. क्योंकि ट्यूमर इतना बड़ा था कि वह शरीर के कई अहम अंगों के अंदर तक चला गया था। इसलिए स्पेशल प्रोसीजर करने का निर्णय लिया गया.

डॉक्टरों ने मरीज के पेट से ट्यूमर

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डॉ धीर बताते हैं कि सभी स्थितियों का जायजा लेने के बाद स्पेशल प्रोटोकॉल के तहत ट्यूमर को डाउनस्टेज करने का निर्णय लिया. लगभग 5 महीने तक ट्यूमर को डाउनस्टेज किया गया. उंसके बाद इस थेरेपी की सफलता जानने के लिए मरीज का फिर से सीटी स्कैन किया गया. यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि ट्यूमर का आकार काफी हद तक कम हो गया था. इससे ऑपरेशन के दौरान मरीज के स्प्लीन, लीवर कोलन और डायफ्रॉम जैसे महत्वपूर्ण अंगों को निकालने की नौबत नहीं पड़ी. डाउन स्टेजिंग थेरेपी की मदद से हम मरीज के ये सारे अंगों को बचा पाए , लेकिन पेट का केवल 10 फीसदी हिस्सा ट्यूमर के साथ बाहर निकालना पड़ा.

डॉ धीर ने बताया कि अच्छी बात यह रही कि मरीज को केवल 5 दिनों में ही डिस्चार्ज कर दिया गया. अब मरीज सामान्य रूप से खाना खा रहा है. सामान्य रूप से पानी पी रहा है और जो अंग 5 महीने पहले अगर ऑपरेशन किए गये होते तो उन्हें निकालना पड़ता, इनमें से कोई भी अंग बाहर नहीं निकालना पड़ा. हमें उम्मीद है कि इस ऑपरेशन के बाद इस मरीज को किसी कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस समय मरीज बिल्कुल नॉर्मल लाइफ जी रहा है.

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