नई दिल्ली:जब पेट के अंदर पांच किलो का ट्यूमर हो और यह आसपास के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों बड़ी आंत, स्प्लीन, डाईफ्रॉम और लिवर पर जबरदस्त दबाव बनाकर मरीज के डेली रूटीन को काफी प्रभावित कर रहा हो, तो ऐसी परिस्थिति में आपका डॉक्टर अगर तत्काल सर्जरी करने की बजाय सर्जरी को लेट करने के बारे में सलाह दे तो ऐसे में परिजनों के धैर्य का जवाब देना लाजिमी है. पांच किलो वजनी ट्यूमर के आकार को 63 सेंटीमीटर से घटाकर 42 सेंटीमीटर तक लाने के लिए मरीज को पांच महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा. उसके बाद डॉक्टर ने मरीज की सर्जरी सफलतापूर्वक कर ट्यूमर को हटाकर उसे एक नई जिंदगी दी. डॉक्टर को पूरा भरोसा था कि ट्यूमर डाउन स्टेजिंग टेक्निक से बढ़ेगा नहीं, बल्कि इसका आकार घटेगा. जब ट्यूमर का साइज घट जाएगा तो उसे दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान किए बगैर आसानी से पेट से बाहर निकाला जा सकता है.
मरीज के पेट से 63 सेमी लंबे और पांच किलो वजनी ट्यूमर सफलतापूर्वक निकालने वाले सर गंगा राम हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एवं लिवर ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर उश्वस्त धीर बताते हैं कि 5 महीने पहले उनके पास 48 वर्षीय एक ऐसा मरीज आया जो अपने पेट में 63 सेंटीमीटर लंबा और लगभग 5 किलो वजनी ट्यूमर पाल रहा था. इतने बड़े ट्यूमर की वजह से मरीज ना कुछ खा रहा था ना पी रहा था और पेट में असहनीय दर्द हो रहा था. सीटी स्कैन जांच में पता चला की पेट में एक बड़ा ट्यूमर है, जो स्प्लीन, लीवर, डाईफ्रॉम और कोलोन से चिपका हुआ था. इस केस में तुरंत सर्जरी करना जरूरी था , लेकिन अगर ऐसा किया जाता तो मरीज के लिए बहुत खतरा होता. क्योंकि ट्यूमर इतना बड़ा था कि वह शरीर के कई अहम अंगों के अंदर तक चला गया था। इसलिए स्पेशल प्रोसीजर करने का निर्णय लिया गया.
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