दिल्ली

delhi

दिल्ली हिंसा: शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

By

Published : Nov 22, 2021, 7:08 PM IST

दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी गई है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई एक दिसंबर को करने का आदेश दिया.

sharjeel imam bail plea
शरजील इमाम की जमानत याचिका

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट (karkardooma court) ने दिल्ली हिंसा मामले (delhi violence case) के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका (sharjeel imam bail plea) पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने एक दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है.

आज सुनवाई के दौरान शरजील इमाम के वकील पेश नहीं हुए। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा कि उन्हें आरोपी के वकील ने मेल किया है कि वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई में शामिल होना चाहते हैं. उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दिया. 4 अक्टूबर को कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थीं.

सुनवाई के दौरान शरजील इमाम (sharjeel imam) की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि एक व्यक्ति आईआईटी बांबे से ग्रेजुएशन करता है. उसे एक अच्छी नौकरी का ऑफर मिलता है, फिर भी वो छोड़कर आधुनिक इतिहास पढ़ता है. उन्होंने कहा था कि ये उसका अपना फैसला था. मीर ने कहा था कि केदारनाथ के फैसले की व्याख्या देखने की जरुरत है जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) में राजद्रोह की व्याख्या करता है. हम अंग्रेजी कानून का पालन करना चाहते हैं जहां भारतीयों को उठने की आजादी नहीं होती थी.

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट


मीर ने कहा था कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) कह रही है कि अस्सलाम-ओ-अलैकुम से भाषण शुरु होने का मतलब राजद्रोह था. लेकिन क्या अगर आरोप गुड मार्निंग से भाषण शुरु करता तो आरोप खत्म हो जाते. मीर ने कहा था कि अभियोजन को अपनी मर्जी से कोई निष्कर्ष निकालने की आजादी नहीं होनी चाहिए। हम किसी व्यक्ति पर मुकदमा केवल कानून के बदौलत नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर करते हैं. उन्होंने कहा था कि दो वर्ष बीतने को है लेकिन अभी ट्रायल शुरु भी नहीं हुआ है. अगर कोई सरकार की नीतियों (government policeies) की आलोचना करता है तो उसके खिलाफ क्या कई सारे मुकदमे होने चाहिए. किसी नीति का विरोध करने के कई तरीके हो सकते हैं. ये रोड पर प्रदर्शन के जरिये भी हो सकता है. प्रदर्शन के दौरान कोई विवाद नहीं हो सकता है.

मीर ने कहा था कि केवल संदेह के आधार पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है. मीर ने कहा था कि हाल ही में चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमें राजद्रोह नहीं चाहिए. ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि सरकार को जनता के प्यार की जरुरत है. अब राजशाही नहीं है कि लोगों को सरकार के आगे झुकने की जरुरत है. यह देश लोकतात्रिक और संवैधानिक मूल्यों से बना है. इन मूल्यों के जरिये ही शरजील इमाम की रक्षा हो सकती है. उसके खिलाफ केवल इस आधार पर अभियोजन नहीं चलाया जा सकता है कि उसने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध दिया.

ये भी पढ़ें :दिल्ली हिंसा: शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टली


दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर (Special Public Prosecutor) अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपी के पास कोई नया तथ्य नहीं है सिवाय ये कहने के कि उसे प्रदर्शन करने का किसी भी हद तक अधिकार है. अगर सरकार आपकी बात नहीं सुन रही है तो आपको विरोध करने का अधिकार है. उनकी दलील है कि अगर आम आदमी भी प्रदर्शन से परेशान हो जाए तो भी उन्हें प्रदर्शन करने का अधिकार है. अमित प्रसाद ने अमित साहनी के फैसले का उदाहरण दिया था. विरोध प्रदर्शनों के लिए आम रास्तों को रोका जाना कतई ठीक नहीं है और ऐसे में प्रशासन अपना काम जरुर करेगा और अतिक्रमण और बाधाओं को हटाएगा.


अमित प्रसाद ने कहा था कि दूसरा आरोप हमारी असलाम अलैकुम की दलील पर लगाया है. उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषणों को देखिए. उन्होंने कहा था कि क्या आरोपी गुड मार्निंग इत्यादि शब्दों से भाषण शुरु करता तो उसके आरोप वापस हो जाते. उन्होंने कहा था कि शरजील इमाम का भाषण एक खास समुदाय को टारगेट कर दिया गया था.

ये भी पढ़ें :दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टली


24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था. पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

ये भी पढ़ें :दिल्ली हिंसा: भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज

चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details