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वैक्सीनेशन पर सीएम और टास्क फोर्स के दावे में गैप, 60 फीसदी महिलायें नहीं लगवा पाई वैक्सीन

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Published : Dec 25, 2021, 2:23 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में योग्य 100 फीसद लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाने का दावा करने के साथ ही कहा है कि दिल्ली के 148.33 लाख लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है. विशेषज्ञ इसे आधा सच ही मान रहे हैं. पुरुषों ने तो टीका के लिये काफी उत्साह दिखाया है, लेकिन महिलाएं कम उत्साह दिखा पायी (delhi 60 percent women not vaccinate ) है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि टास्क फोर्स की हुई बैठक में डीएम ने खुद माना है कि दिल्ली में 60 फीसदी महिलाएं टीका नहीं लगवा पायी हैं.

दिल्ली वैक्सीनेशन
दिल्ली वैक्सीनेशन

नई दिल्लीःमुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि दिल्ली में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए योग्य 100 फीसदी लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगा दी गई है. जबकि, विशेषज्ञ इसे आधा हकीकत और आधा फसाना ही बता रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं की बात की जाए, तो केवल 60 फीसदी ने वैक्सीन नहीं ली delhi 60 percent women not vaccinate ) है. वहीं, 95 फीसदी पुरुष वैक्सीन लगा चुके हैं. जबकि, दिल्ली सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि दिल्ली के 148.33 लाख लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज ले ली है. साथ ही, 1.035 करोड़ से अधिक लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज भी ले ली है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अजय गंभीर कोविड टास्क फोर्स की हुई मीटिंग में शामिल थे. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में कोविड वैक्सीनशन को लेकर जेंडर गैप है. 60 फीसदी महिलाएं टीका नहीं लगवा पायी हैं. उनमें जागरूकता की कमी है. इस गैप को पूरा करना होगा.

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सीएम ने कहा कि दिल्ली में हुए सीरो सर्वे में 95 फीसद से अधिक लोगों में एंटीबॉडीज मिली है और अब पात्र 100 फीसद लोगों को वैक्सीन की पहली डोज भी लग चुकी है और 1.035 करोड़ से अधिक लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज लगवा ली है. संभव है कि दिल्ली में ओमीक्रोन का प्रकोप ज्यादा न हो. इसके बावजूद अगर ओमीक्रोन फैलता है, तो इससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार पूरी तरह से तैयार है.डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि दिल्ली में कोविड टास्क फोर्स की मीटिंग हुई. उसमें जो आंकड़े आए हैं. उसमें देखा गया है कि दिल्ली में बहुत सारे लोगों ने वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं ले पाये हैं. इसी बीच ओमिक्रोन का भी प्रकोप बढ़ रहा है, तो सरकार वैक्सीनेशन ड्राइव में तेजी लाई है, लेकिन फिर भी इस आंकड़े के तह में जाने पर पता चला कि महिलाएं बड़ी संख्या में टीके नहीं लगवा पाई हैं. 60 फीसदी महिलाएं कोविड-19 टीके से वंचित हैं.



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टास्क फोर्स मीटिंग में जब आंकड़ों पर चर्चा हुई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. वैक्सीन को लेकर तीन स्तर पर गैप देखा गया. एक रीजनल स्तर पर, दूसरा माइक्रो लेवल पर और तीसरा जेंडर गैप. इन 60 फीसदी महिलाएं टीका नहीं लगवा पाई हैं. इनमें उन महिलाओं की संख्या ज्यादा है, जो या तो प्रेग्नेंट है या बच्चों को दूध पिला रही हैं. यानी प्रेगनेंसी के बीच में और बच्चा होने के तुरंत बाद महिलाओं ने टीके नहीं लिए. उन्हें अलग-अलग स्रोतों से गलत जानकारी मिली, जिसकी वजह से वो टीके से वंचित रही. उन्हें बताया गया कि बच्चा उनके पेट के अंदर है, इसलिए वैक्सीन उन बच्चों के लिए खतरा हो सकता है. डॉ. अजय गंभीर ने बताया कि टीका बिलकुल सेफ है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी और दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए भी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि यह टीका गर्भवती एवं लैक्टिकेटिंग महिलाओं के लिए सुरक्षित है. दुनिया के दूसरे देशों में वैक्सीन के ऊपर हुए ट्रायल में भी इसे सुरक्षित माना गया है.




टीका लगाने वाली डिस्पेंसरी की डॉक्टर ने नाम नहीं लेने की शर्त पर बताया कि महिलाओं में कोरोना टीका को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है. वह जितने भी केंद्र पर टीका लगाने पहुंचती हैं, वहां महिलाएं डरी हुई आती हैं. उनका कहना होता है कि वे अभी तक डर की वजह से टीका नहीं लगवा रही थी, लेकिन जब उन पर दबाव बनाया गया तो टीका लगाने आ रही हैं.


डॉ. अजय गंभीर ने बताया कि अब टास्क फोर्स मीटिंग में यह तय किया गया है कि क्षेत्रवार महिला रोग विशेषज्ञों की कलेक्टर या डीएम के साथ नियमित मीटिंग होगी, जहां उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि अगर कोई भी प्रेग्नेंट या लैक्टिकेटिंग महिलाएं उनके पास आती हैं तो उन्हें समझा-बुझाकर टीका जरूर लगवाएं. अगर ऐसा होगा तो महिलाओं की भी 100 फीसदी टीकाकरण का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा.



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